घरेलू चुते और मोटे लंड PART-1

 

Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड PART-1




संसार में बूर और लंड का रिश्ता सबसे प्यारा होता है | लंड हमेशा से ही अपनी पत्नी और गर्लफ्रेंड की बूरों से अपनी प्यास बुझाते आये हैं, ठीक वैसे ही बूरें भी अपने पति और बॉयफ्रेंड से अपनी प्यास बुझती आईं हैं | लेकिन बुर या लंड पत्नी, गर्लफ्रेंड, पति, बॉयफ्रेंड के अलावा किसी और का हो तो मजा दुगना हो जाता है| जैसे पड़ोसन, पड़ोसी, शिक्षक, शिक्षिका इत्यादि... |


लेकिन एक बूर और लंड को सबसे ज्यादा मज़ा उनके अपने ही परिवार के लंड और बूरें ही दे सकती हैं | किसी भी मर्द का लंड सबसे विकराल रूप तभी लेता है जब उसके सामने जो बूर है वो उसकी अपनी सगी बेटी, बहन या माँ की हो | ठीक वैसे ही किसी भी लड़की या औरत की बूर अपने आप खुल के सबसे ज्यादा तभी रिसती है जब उसके सामने जो लंड है वो उसके अपने सगे बाप, भाई या बेटे का हो |


ये कहानी भी एक परिवार के ऐसे ही कुछ बुरों और लंडों की है जो समाज के नियमो को तार तार करते हुए चुदाई का अनोखा आनंद लेते हैं |


कहानी रामपुर के एक उच्च मध्यम परिवार की है | कहानी के किरदार कुछ इस प्रकार हैं |


पिता : रमेश सिंह ; उम्र ५२ साल. एक किराने की दूकान चलाते हैं. १० साल पहले तक वो अपने खेतों में काम भी करते थे और कसरत भी इसलिए बदन ५२ साल की उम्र में भी उनका बदन कसा हुआ है.


माँ : उमा देवी ; उम्र ४८ साल. घर को संभालने के अलावा वो हिसाब किताब का भी ध्यान रखती है. ज्यादा पढ़ी लिखी ना होने पर भी उसे दुनियादारी की समझ है .


बेटा (बड़ा) : रौनक सिंह ; उम्र २६ साल. एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है. सेल्स में होने के कारण वो ज्यादातर टूर पे ही रहता है. वो एक जिम्मेदार बेटा है.


बहु : उर्मिला सिंह ; उम्र २४ साल. अपनी सास के साथ घर संभालती है. १ साल पहले ही शादी कर के इस घर घर में आई थी और जल्द हे सबकी चहेती बन गई है. गोरा रंग, सुड़ौल बदन और अदाएं ऐसी की किसी भी मर्द के होश उड़ा दे.


बेटी/बहन : पायल सिंह ; उम्र २१ साल. बी.ए फर्स्ट इयर की क्षात्रा. इसी साल कॉलेज में एडमिशन लिया है. पायल इस कहानी की मुख्य पात्र भी है. गोरा रंग, भरी हुई चुचियां, पतली कमर और उभरी हुई चुतड देख के उसके कॉलेज के लड़को को अपने बैग सामने टांगने पड़ते हैं.


बेटा (छोटा): सोनू सिंह ; उम्र १८ ; १२ वीं कक्षा का क्षात्र. अव्वल दर्जे का कमीना. स्कूल में लडकियों की स्कर्ट में हमेशा झांकता रहता है. उसके बैग में हमेशा गन्दी कहानियों की ३-४ किताबें रहती है.


सुबह के ६ बजे रहे है. सूरज की पहली किरण खिड़की से होते हुए उर्मिला की आँखों पर पड़ती है. उर्मिला टीम-टीमाती हुई आँखों से एक बार खिड़की से सूरज की और देखती है और फिर एक अंगडाई लेते हुए बिस्तर पर बैठ जाती है. हांफी लेते हुए उर्मिला की नज़र पास के टेबल पर रखी रौनक की तस्वीर पर जाती है तो उसके चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आ जाती है. अपनी हथेली को ओठो के निचे रख के वो रौनक की तस्वीर को एक फ्लाइंग किस देती है और अपनी नाईटी ठीक करते हुए बाथरूम में घुस जाती है.


७ बज चुके है. नाश्ता लगभग बन चूका है और गैस पे चाय बन रही है. उर्मिला तेज़ कदमो के साथ अपनी ननद पायल के कमरे की तरफ बढती है. दरवाज़ा खोल के वो अन्दर दाखिल होती है. सामने बिस्तर पे पायल एक टॉप और पजामे में सो रही है. करवट हो कर सोने से पायल की चौड़ी चुतड उभर के दिख रही है. उर्मिला पायल की उभरी हुई चूतड़ों को ध्यान से देखती है. उसके चेहरे पे मुस्कान आ जाती है. वो मन ही मन सोचती है, "देखो तो कैसे अपनी चौड़ी चूतड़ को उठा के सो रही है. किसी मर्द की नज़र पड़ जाये तो उसका लंड अभी सलामी देने लगे". उर्मिला उसके करीब जाती है और एक चपत उसकी उठी हुई चुतड पे लगा देती है.


उर्मिला : ओ महारानी ... ७ बज गए है. (पायल की चुतड को थपथपाते हुए) और इसे क्यूँ उठा रखा है? कॉलेज नहीं जाना?


पायल: (दोनों हाथो को उठा के अंगडाई लेते हुए उर्मिला भाभी की तरफ देखती है. टॉप के ऊपर से उसकी बड़ी बड़ी चुचियां ऐसे उभर के दिख रही है जैसे टॉप में किसी ने दो बड़े गोल गोल खरबूजे रख दिए हो) उंssss

भाभी...बस ५ मिनट और सोने दीजिये ना प्लीज..!! कल रात देर तक पढाई की थी. बस भाभी ..और ५ मिनट....(पायल गिडगिडाते हुए कहती है).


उर्मिला : अच्छा बाबा ठीक है.. लेकिन सिर्फ ५ मिनट. अगर ५ मिनट में तू अपने कमरे से बाहर नहीं आई तो मई मम्मीजी को भेज दूंगी. फिर तो तुझे सुबह सुबह भजन सुनाएगी तो तेरी नींद अपने आप ही खुल जाएगी (उर्मिला हँसते हुए कहती है)


पायल : नहीं भाभी प्लीज. मैं पक्का ५ मिनट में उठ जाउंगी. आप मम्मी से मत बोलियेगा.


उर्मिला : हाँ हाँ नहीं कहूँगी. पर तू ५ मिनट में उठ जाना.


पायल : हाँ भाभी... (फिर पायल तकिये के निचे सर छुपा के सो जाती है और पायल कमरे से बाहर चली जाती है)


पायल रसोई में आती है तो उसकी सास उमा देवी चाय को कप में डाल रही है.


पायल : अरे मम्मी जी ... मैं तो बस पायल को उठा के आ ही रही थी. आप जाईये और टीवी देखिये. आपके प्रवचन का टाइम हो गया है.


उमा : कोई बात नहीं बेटी. थोडा काम मुझे भी तो कर लेने दिया कर. सारा काम तो तू ही करती है घर का (उमा देवी बड़े हे प्यार से उर्मिला से कहती है)


उर्मिला : कप मुझे दीजिये मम्मी जी... मैं सोनू को भी उठा देती हूँ. ये दोनों भाई बहन बिना उठाये उठते ही नहीं है.


उमा : सोनू को मैं उठा दूंगी. तू ये कप ले और पहले अपने बाबूजी को चाय दे दे. बूढ़े हो चले हैं लेकिन अब भी इनकी जवानी नहीं गई. इस उम्र में लोग सुबह सैर सपाटे के लिए जाते है और एक ये हैं की कसरत करेंगे (उमा देवी मुह बनाते हुए कहती है)


उर्मिला : (हँसते हुए) मम्मी जी आप भी ना..बस...!! ५२ साल की उम्र में भी बाबूजी कितने हट्टे-कट्ठे लगते है. उनके सामने तो आजकल के जवान लड़के भी मात खा जाए. आप तो बस यूँ ही बाबूजी को भला-बुर कहती रहती हैं (उर्मिला के चेहरे पर हलकी सी मायूसी आ जाती है)


उमा : (उर्मिला की ठोड़ी को पकड़ के उसका चेहरा प्यार से उठा के कहती है) अरे मेरी बहुरानी को बुरा लग गया? अच्छा बाबा अब नहीं कहूँगी तेरे बाबूजी के बारें में कुछ भी. अब ठीक है? (उमा देवी की बात सुनके उर्मिला के चेहरे पे मुस्कान वापस आ जाती है. उसकी मुस्कान देख के उमा कहती है) इतनी सुन्दर और प्यारी बहु मिली है मुझे. सबका कितना ख्याल रखती है. नहीं तो आज कल कौनसी बहु अपने सास ससुर का इतना ख्याल रखती है?


उर्मिला : क्यूँ ना रखूँ मम्मी जी? आप दोनों ने हमेशा से ही मुझे अपनी बहु नहीं बेटी माना है तो मेरा भी तो फ़र्ज़ है की मैं आप दोनों को अपने माता पिता का दर्ज़ा दू. कप दीजिये.. मैं बाबूजी को है दे कर आती हूँ. वैसे बाबूजी हैं कहाँ?


उमा : छत पर होंगे और कहाँ ? कर रहे होंगे अपने कसरत की तैयारी.


उमा देवी की बात सुनके उर्मिला हँस देती है और छत की सीढीयों की ओर बढ़ जाती है.


छत पर रमेश अपने कसे हुए बदन पर सरसों का तेल लगा रहा है. खुला बदन, निचे एक सफ़ेद धोती जो घुटनों तक उठा राखी है. सूरज की रौशनी में उसका तेल से भरा बदन जैसे चमक रहा है. उर्मिला चाय का कप ले कर छत पर आती है और उसकी नज़र बाबूजी के नंगे सक्त बदन पर पड़ती है. वैसे उर्मिला ने बाबूजी को कई बार इस हाल में देखा है, उनके बदन को कई बार दूर से निहारा भी है. रौनक का घर से दूर रहना उर्मिला के इस बर्ताव के कई कारणों में से एक था. उर्मिला कुछ पल बाबूजी के बदन को दूर से ही निहारती है फिर चाय ले कर उनके पास जाती है.


उर्मिला : ये लीजिये बाबूजी आपकी चाय (चाय पास के टेबल पर रखते हुए कहती है)


रमेश : सही टाइम पे चाय लायी हो बहु. मैं अभी कसरत शुरू करने हे वाला था. ५ मिनट बाद आती तो शायद नहीं पी पाता.


उर्मिला : (बाबूजी की बात सुनके उर्मिला का मुह छोटा हो जाता है. वो जानती है की बाबूजी कसरत सिर्फ लंगोट पहन के करते है. अगर वो ५ मिनट के बाद आती तो बाबूजी को लंगोट में देखने का आनंद ले पाती) आपकी बहु हूँ बाबूजी. आपकी सुबह की चाय कैसे मिस होने देती?


रमेश : (हँसते हुए) हहाहाहा... बहु..सही कहा तुमने. इसलिए तो मैं हमेशा कहता हूँ की मेरी एक नहीं दो बेटियां है.


उर्मिला : ये तो आप हो बाबूजी जो अपनी बहु को बेटी का दर्ज़ा दे रहे हो, नहीं तो लोग तो अपनी बहु को नौकरानी बना के रखते है.


रमेश : ना ना बहु...तू है ही इतनी सुन्दर...और प्यारी. कोई ऐसी बहु को नौकरानी बना के रखता है क्या भला?


बाबूजी की बात सुनके उर्मिला उनके पैर पढने के लये निचे झुकती है. नहाने के बाद उर्मिला ने जो ब्लाउज पहना है उसका गला थोडा गहरा है. झुकने से साड़ी का पल्लू निचे गिर जाता है जिसे उर्मिला सँभालने की जरा भी कोशिश नहीं करती. गहरे गले के ब्लाउज से उर्मिला के तरबूज जैसी चुचियों के बीच की गहराई साफ़ दिखने लगती है. बाबूजी की नज़र जैसे ही उर्मिला की बड़ी बड़ी चुचियों के बीच की घाटी पे पड़ती है उनकी आँखे बड़ी और थूक गले में अटक जाता है. रमेश ने वैसे बहुत सी लडकियों और औरतों को अपने लंड का पानी पिलाया है लेकिन अपनी बहु की जवानी के सामने वो सब पानी भारती है. किसी तरह से रमेश थूक को गले से निचे उतारते हुए कहता है.


रमेश : अरे बस बस बहु. मेरा आशीर्वाद तो हमेशा तेरे साथ है. (बहु के सर पे हाथ रख के आशीर्वाद देने के बाद रमेश उर्मिला के दोनों कंधो को पकड़ के उसे उठाता है) जुग जुग जियो बहु..सदा सुहागन रहो...


उर्मिला : (मुस्कुराते हुए नज़रे झुका के अपना पल्लू ठीक करती है) अच्छा बाबूजी... मैं अब चलती हु. मम्मी जी की रसोई में मदद कर दूँ.


रमेश : हाँ बहु..तुम जाओ. मैं भी अपनी कसरत कर लेता हूँ.


उर्मिला धीरे धीरे सीढीयों की तरफ बढ़ने लगती है. "उफ़ ..!! बाबूजी कैसे मेरी बड़ी बड़ी चुचियों के बीच की गहराई में झाँक रहे थे. उनका लंड तो पक्का धोती में करवटें ले रहा होगा". उर्मिला के दिल में ये ख्याल आता है. उसके कदम सीढीयों से उतरते हुए अपने आप ही थम जाते है. कुछ सोच कर वो दबे पावँ छत के दरवाज़े के पास जाती है और वहीं दिवार की आड़ में बैठ जाती है. थोड़ी दूरी पर बाबूजी खड़े है. चाय की ३-४ चुस्कियां ले कर वो कप टेबल पर रख देते है और अपनी धोती की गाँठ खोलने लगते हैं. उनकी पीठ उर्मिला की तरफ है. धोती खोल कर पास पड़ी खाट पर डालने के बाद बाबूजी अपने दोनों हाथों को कन्धों की सीध में लाते हैं और फिर अपने शारीर के उपरी हिस्से को दायें बाएं करने लगते है. जैसे से बाबूजी दाई तरफ मुड़ते हैं, उर्मिला की नज़र उनके लंगोट के आगे वाले हिस्से पर पड़ती है. उर्मिला के मुह से हलकी आवाज़ निकल जाती है, "हाय दैया ...!!". लंगोट का अगला हिस्सा फूल के उभरा हुआ है, करीब ३-४ इंच. लंगोट के उभार के दोनों तरफ से कुछ काले सफ़ेद बाल दिखाई पड़ रहे है. "उफ़..!! लंगोट का उभार ही ३-४ इंच का है तो बाबूजी का ल ....हे भगवान्....पता नहीं मम्मी जी ने कैसे झेला होगा इसे...". उर्मिला अपने आप में ही बडबडाने लगती है. उसकी नज़र लंगोट के उस उभरे हुए हिस्से पे मानो फंस सी जाती है.


वहां छत पर उर्मिला अपनी दुनिया में खोई हुई है और यहाँ उमा देवी चाय का कप ले कर अपने बेटे सोनू के कमरे तक पहुँच गई है. वो कमरे में घुसती है. सामने सोनू बिस्तर पे चादर ओढ़ के पड़ा हुआ है.


उमा : लल्ला...!! सोनू बेटा..!! उठ जा..आज स्कूल नहीं जाना है क्या?


सोनू : (आँखे खोल के एक बार मम्मी को देखता है और फिर आँखे बंद कर लेता है) मम्मी अभी सोने दीजिये ना...


उमा : (कप टेबल पे रख के) चुप कर..बड़ा आया अभी सोने दीजिये ना वाला..चल उठ जल्दी से...७:३० हो गए है. अभी सोता रहेगा फिर पायल से लडेगा नहाने के लिए....और ये टेबल कितना गन्दा कर रखा है. किताबें तो ठीक से रखा कर बेटा..


उमा टेबल पे रखी किताबें ठीक करने लगती है. जैसे हे वो निचे गिरी किताब उठाने के लिए झुकती है, उसके लो कट ब्लाउज के गले से उसकी फुटबॉल जैसी चुचियों के बीच की गहराई दिखने लगती है. कमीना सोनू रोज इसी मौके का इंतज़ार करता है. अपनी माँ के ब्लाउज में झांकते हुए वो दोनों चुचियों का साइज़ मापने लगता है. चादर के अन्दर उसका एक हाथ चड्डी के ऊपर से लंड को मसल रहा है. उमा किताब उठा के टेबल पे रखती है और दूसरी तरफ घूम के कुर्सी पे रखे कपडे झुक के उठाने लगती है. सोनू की नज़रों के सामने उसके माँ की चौड़ी चुतड उठ के दिखने लगती है जो साड़ी के अन्दर कैद है. सोनू माँ की चुतड को घूरता हुआ अपना हाथ चड्डी में दाल देता है और लंड की चमड़ी निचे खींच के लंड के मोटे टोपे को बिस्तर पे दबा देता है. माँ की चुतड को देखते हुए सोनू लंड के टोपे को एक बार जोर से बिस्तर पे दबाता है और वैसे ही अपनी कमर का जोर लगा के रखता है मानो वो असल में ही अपनी मम्मी की गांड के छेद में अपना लंड घुसाने की कोशिश कर रहा हो. उमा जसी हे कपडे ठीक करके सोनू की तरफ घुमती है, सोनू झट से हाथ चड्डी से बाहर निकाल लेता है और आँखे बंद कर लेता है.


उमा : नहीं सुनेगा तू सोनू? (उमा कड़क आवाज़ में कहती है)


सोनू : अच्छा मम्मी आप जाइये. मैं २ मिनट में आता हूँ.


उमा : अगर तू २ मिनट में नहीं आया तो तुझे आज नाश्ता नहीं मिलेगा. मेरे ही लाड़ प्यार से इसे बिगाड़ दिया है. ना मैं इसे सर पे चढ़ाती, ना ये बिगड़ता..(उमा बडबडाते हुए कमरे से बाहर चली जाती है)



वहां छत पर उर्मिला बाबूजी की लंगोट पर नज़रे गड़ाए हुए है. वो लंगोट के उभरे हुए हिस्से को देख कर लंड के साइज़ का अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रही है. "९ इंच ... ना ना ...१० से ११ इंच का तो होगा ही. जिस लड़की पर भी बाबूजी चड़ेंगे, पसीना छुडवा देंगे". तभी बाबूजी ज़मीन पर सीधा हो कर लेट जाते हैं और दंड पेलने लगते है. बाबूजी की कमर ज़मीन से बार बार ऊपर उठ कर फिर से ज़मीन पर पटकन ले रही हैं. उर्मिला ये नज़ारा गौर से देख रही है. एक बार तो उसका दिल किया की दौड़ के बाबूजी के निचे लेट जाए और साड़ी उठा के अपनी टाँगे खोल दें. लेकिन वो बेचारी करती भी क्या? समाज के नियम उसे ऐसा करने से रोक रहे थे. एक बार को वो उन नियमो को तोड़ भी देती पर क्या बाबूजी उसे ऐसा करने देंगे? उसके दिमाग में ये सारी बातें और सवाल घूम रहे थे. निचे उसकी बूर चिपचिपा पानी छोड़ने लगी थी. बैठे हुए उर्मिला ने साड़ी निचे से जांघो तक उठाई और झुक के अपनी बूर को देखने लगी. उसकी बूर के ऊपर घने और दोनों तरफ हलके काले घुंगराले बाल थे. उसकी बूर डबल रोटी की तरह फूल गई थी और बूर की दरार से चिपचिपा पानी रिस रहा था. उर्मिला ने अपनी बूर को देखते हुए धीरे से कहा, "लेगी बाबूजी का लंड? बहुत लम्बा और मोटा है, गधे के लंड जैसा. लेगी तो पूरी फ़ैल जाएगी. बोल...फैलवाना है बाबूजी का लंड खा के?". अपने ही मुहँ से ये बात सुन के उर्मिला मुस्कुरा देती है फिर वो बाबूजी के लंगोट को देखते हुए २ उँगलियाँ अपनी बूर में ठूँस देती है. बाबूजी के हर दण्ड पेलने पर उर्मिला अपनी कमर को आगे की और झटका देती है और साथ ही साथ दोनों उंगलियों को बूर की गहराई में पेल देती है. उर्मिला बाबूजी के दंड पेलने के साथ ताल में ताल मिलाते हुए अपनी कमर को झटके दे रही है और उंगलियों को बूर में ठूंस रही है. उर्मिला ने ऐसा ताल मिलाया था की अगर उसे बाबूजी के निचे ज़मीन पर लेटा दिया जाए तो बाबूजी के हर दंड पर उसकी कमर उठे और उनका लंड जड़ तक उर्मिला की बूर में घुस जाये.


बाबूजी के १०-१५ दंड पलते ही उर्मिला की उंगलियों ने राजधानी की रफ़्तार पकड़ ली. वो इतनी मदहोश हो चुकी थी की उससे पता ही नहीं चला की कब वो ज़मीन पर दोनों टाँगे खोले लेट गई और उसी अवस्था में अपनी बूर में दोनों उँगलियाँ पेले जा रही है. "ओह बाबूजी...!! एक दो दंड मुझ पर भी पेल दीजिये ना...!! आहsss..!!". उर्मिला अपने होश खो कर बडबडाने लगी थी. कुछ ही पल में उसका बदन अकड़ने लगा और कमर अपने आप ही झटके खाने लगी. एक बार उसके मुहँ से "ओह बाबूजी... आहssssss" निकला और उसकी बूर गाढ़ा सफ़ेद पानी फेकने लगी. पानी इतनी जोर से निकला की कुछ छींटे सामने वाली दिवार पर भी पड़ गए. कुछ ही पल में उर्मिला को होश आया और उसने ज़मीन पर पड़े हुए ही बाबूजी को देखा तो वो अब भी दंड पेल रहे थे. उर्मिला झट से उठी और अपनी साड़ी से बूर और फिर दिवार को साफ़ किया. साड़ी को ठीक करते हुए वो तेज़ कदमो से सीढीयों से निचे उतरने लगी.



उधर सोनू अंगडाई लेता हुआ अपने कमरे से जैसे ही बाहर निकला उसकी नज़र अपनी दीदी पायल पर पड़ी. पायल गले में तोवेल लिए हुए बाथरूम की तरफ जा रही थी. पायल ने टाइट पजामा पहना हुआ था जो पीछे से उसकी चौड़ी चूतडों पर अच्छी तरह से कसा हुआ था. पायल की बलखाती हुई चाल से उसके चुतड किसी घड़ी के पेंडुलम की तरह दायें - बाएँ हो रहे थे. सोनू ने एक नज़र रसोई में डाली तो मम्मी खाना बनाने में वैस्थ थी. सोनू ने अपनी गन्दी नज़र फिर से एक बार पायल दीदी के चूतड़ों पे गड़ा दी और एक हाथ चड्डी में दाल के अपने लंड को मसलने लगा. तभी पायल के हाथ से उसकी ब्रा छुट के निचे गिर गई और वो उसे उठाने के लिए झुकी. पायल के झुकते ही उसकी चौड़ी चुतड पजामे में उभर के दिखने लगी. ये नज़ारा सोनू के लंड की नसों में खून भरने के लये काफी था. अपनी बहन की उभरी हुई चुतड देख उसके लंड ने विराट रूप ले लिया और एक एक नस उभर के दिखने लगी. सोनू ने बिना वक़्त गवाएँ दोनों हाथो को आगे कर के इस अंदाज़ में रखा जैसे पायल दीदी की कमर पकड़ रखी हो. फिर अपनी कमर को पीछे ले जा कर जोर से झटका दे कर ऐसे आगे लाया मानो पायल के चूतड़ों के बीच के छोटे से छेद में अपना विशाल लंड एक ही बार में पूरा ठूँस दिया हो. फिर वैसे ही अपनी कमर को आगे किये सोनू १-२ कदम आगे की ओर गया जैसे वो पायल की गांड के छेद में अपना लंड जड़ तक घुसा देना चाहता हो. तब तक पायल अपनी ब्रा उठा चुकी थी और बाथरूम में घुसने लगी. सोनू झट से अपने कमरे में घुस गया.


कमरे का दरवाज़ा बंद कर सोनू ने बिस्तर पर छलांग लगा दी और तकिये के निचे से एक कहानी की किताब निकाल के पन्ने पलटने लगा. एक पन्ने पर आते हे उसकी नज़रे टिक गई. एक हाथ किताब को संभाले हुए था और दूसरा हाथ चड्डी उतारने लगा था. चड्डी घुटनों से उतरते ही सोनू के हाथ ने लंड को अपनी हिरासत में ले लिया और लंड को अपने अंजाम तक पहुँचाने में लग गया. उसकी आँखे उस पन्ने में लिखे हर शब्द को ध्यान से पढ़ रही थी और हाथ लंड पे तेज़ रफ़्तार में चल रहा था. कुछ ही पलो में सोनू की कमर अपने आप ही बिस्तर से ऊपर उठने लगी और उसके शरीर ने किसी कमान (bow) का रूप ले लिया. सोनू का शरीर ऐसी अवस्था में था की अगर उसकी कमर बिस्तर से उठने के पहले किसी लड़की को उसके लंड पे बिठा दिया जाता तो सोनू का लंड ना केवल उस लड़की की बूर में जड़ तक घुस जाता बल्कि वो लड़की भी २ फीट हवा में उठ जाती. सोनू तेज़ी से अपना हाथ लंड पे चलाये जा रहा था. अचानक उसका बदन अकड़ने लगा और उसके मुहँ से कुछ शब्द फूट पड़े, "आह..!! पायल दीदी...!!". उसके लंड से सफ़ेद गाढ़े पानी के फ़ौवारे छुटने लगे. हर एक फ़ौवारे पर सोनू की कमर झटके खाती और उसके मुहँ से "आह.. पायल दीदी" निकल जाता. ७-८ फ़ौवारे और हर फ़ौवारे पर पायल का नाम लेने के बाद सोनू बिस्तर पर जंग में हारे हुए सिपाही की तरह निढ़ाल हो कर लेट गया. उसकी आँखे कब लग गई पता ही नहीं चला.


इस घटना से पहले एक और घटना हो चुकी थी जिसका अंदाज़ा सोनू को नहीं था. जब सोनू पायल दीदी की चुतड को देख के वो सारी हरकतें कर रहा था तब उर्मिला सीढीयों के पास खड़ी हो के वो सब देख रही थी. लेकिन वहां से उर्मिला सिर्फ सोनू को देख पा रही थीं, पायल को नहीं. सोनू के जाने के बाद उर्मिला वहां आई और बाथरूम के पास वाली खिड़की से बहार देखने लगी. उसे लगा की सोनू खिड़की से बाहर किसी लड़की को देख के वो सब कर रहा था. लेकिन खिड़की से बाहर कोई भी नहीं था. उर्मिला का माथा ठनका. वो रसोई में उमा देवी के पास आती है.


उर्मिला : मम्मी जी...बाथरूम के साथ वाली खिड़की पर अभी कोई था क्या ?


उमा : पगली ... कौन आएगा ? गेट तो बंद है और ना ही मैंने गेट खुलने की आवाज़ सुनी थी. पर तू ये क्यूँ पूछ रही है ?


उर्मिला : कुछ नहीं मम्मी जी.. बस ऐसे ही... मुझे लगा की शायद कोई आया हो. लगता है मेरा वहम था... अच्छा मम्मी जी पायल कहाँ है ?


उमा : पायल नहाने गई है. बस अभी अभी गई है तो थोडा वक़्त लगेगा उसे निकलने में. क्यूँ तुझे कोई काम था क्या पायल से ?


उर्मिला : अरे नहीं मम्मी जी. बस वो कुछ कपडे लेने थे बाथरूम से... कोई बात नहीं. मैं उसके निकलने के बाद ले लुंगी.


उर्मिला वहां से सीधा अपने कमरे में आती है. बिस्तर पर लेटते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. "तो मेरा नन्हा देवर अपनी ही दीदी के पीछे लगा हुआ हैं. "दीदी तेरा देवर दीवाना तो सुना था पर यहाँ तो देवर अपनी ही दीदी का दीवाना है". पायल के चहरे पर फिर से मुस्कान आ जाती है. "जो हरकत सोनू कर रहा था जरुर पायल की पीठ उसकी तरफ होगी. ऐसा उसके सामने थोड़ी ना करेगा. वो जरुर पायल की चुतड देख रहा होगा, और क्यूँ ना देखे. पायल की चुतड है ही ऐसी की किसी का भी लंड खड़ा कर दे. भाई-बहन का मिलन तो अब करवाना ही पड़ेगा. पायल और सोनू को बिस्तर पर एक साथ नंगा सोचते ही बदन में आग लग गई. सच में देखूंगी तो ना जाने क्या होगा ?". उर्मिला पायल और सोनू के बारें में सोचते हुए मुस्कुराये जा रही थी. उसका दिमाग वो सारे उपाए खोजने में लग गया जिस से सोनू और पायल के भाई बहन वाले पवित्र रिश्ते को लंड और बूर के गंदे रिश्ते में बदल दिया जाए.




नाश्ते की मेज़ पर सोनू और पायल आमने सामने बैठे हैं. सोनू अपने स्कूल ड्रेस में है और पायल ने एक नीले रंग की टॉप और लम्बी स्कर्ट, जो उसके घुटनों से थोड़ी निचे तक है, पहन रखी हैं. पायल नाश्ता करने में व्यस्थ है. लेकिन सोनू की नज़र रोज की तरह अपनी पायल दीदी पे गड़ी हुई है. नाश्ता करते हुए सोनू बार बार कनखियों से पायल की टॉप में उठी हुई गोल गोल चूचियां देख रहा है. पायल नाश्ता करते हुए अपने फ़ोन में देख रही है और वो कभी अपनी लटो को ऊँगली से कान के पीछे कर रही है तो कभी बालों को झटक के कंधो के पीछे. उसकी हर अदा पे सोनू कभी मुहँ के अन्दर ही अपनी जीभ दाँतों से दबा देता है तो कभी अपनी जांघो को आपस में चिपका के लंड को दबा देता है. पायल मुहँ बंद करके खाना चबा रही है और उसके गुलाबी रसीले ओंठ सोनू का बुरा हाल कर रहे हैं. पायल के रसीले ओंठ देख कर सोनू मेज़ के निचे अपनी कमर उठा के २-३ झटके भी दे चूका था.


रसोई में खड़ी उर्मिला दोनों को गौर से देख रही थी, ख़ास कर सोनू को. सोनू की हर हरकत का वो पूरा मज़ा ले रही थी. कुछ देर बाद उर्मिला रसोई से आवाज़ लगाती है.


उर्मिला : और कुछ लोगे तुम दोनों ?


पायल : भाभी मेरे लिए आधा पराठा ला दीजिये प्लीज..!


उर्मिला : अभी लायी.. (उर्मिला आधा पराठा ले कर पायल के पास जाती है) ये लीजिये पायल जी, आपका आधा पराठा...


पायल: थैंक्यू भाभी.. यू आर दी बेस्ट...


उर्मिला : सोनू.. तू क्या लेगा ? (ये कहते हुए उर्मिला अपना एक हाथ पायल के कंधे पर रख देती है)


सोनू : (नज़रे पायल की टॉप में उभरी हुई चुचियों पर है. उर्मिला की आवाज़ सुन के वो हडबडा जाता है) अ..अ... कुछ नहीं भाभी... और कुछ नहीं... मेरा हो गया बस...


उर्मिला : (उर्मिला सोनू को देखते हुए मुस्कुरा देती है और पायल के पीछे खड़ी हो के दोनों हाथों को उसके कन्धों पे रख देती है) अभी तो शरुवात हुई है देवरजी .... ऐसे ही छोटे मोटे खाने से पेट भर जायेगा तो जब असल में खाने का वक़्त आएगा तो क्या करोगे ? (सोनू से कहते हुए उर्मिला अपने हाथों से पायल के कन्धों को हलके से दबा देती है. उर्मिला के शब्दों के इस जाल को ना सोनू समझ पाता है और ना ही पायल)


सोनू : नहीं भाभी... सच में पेट भर गया मेरा. और नहीं खा पाउँगा...


उर्मिला : (अपनी आँखे गोल घुमाके ऊपर देखती है और लम्बी सांस छोड़ती है. "चूतिया है साला.... जहाँ दिमाग लगाना है वहां नहीं लगाएगा", उर्मिला मन में सोचती है. फिर वो पायल की नीली टॉप को देखते हुए कहती है) अरे वाह पायल ...!! ये टॉप तो तुझ पे जच रही है. कब ली ?


पायल : २ दिन पहले ही ली है भाभी. सॉरी मैं आपको दिखाना भूल गई...


उर्मिला : कोई बात नहीं पायल. जरा देखू तो कैसी टॉप है तेरी. (उर्मिला पायल के बगल में खड़ी हो जाती है और एक हाथ से उसकी नाभि के उपरी हिस्से की टॉप को पकड़ के कहती है) अरे वाह...!! ये तो बहुत अच्छी है पायल. और ये क्या लिखा है तेरी टॉप पे ?... (टॉप पर गुदी हुई प्रिंटिंग देखने के बहाने उर्मिला टॉप को धीरे से निचे की ओर खींचती है जिस से पायल की बड़ी बड़ी चुचियों पर पहले से ही कसी हुई टॉप और भी ज्यादा कस जाती है. पायल की बड़ी बड़ी चुचियों के अनारदाने टॉप के ऊपर उभर के दिखने लगते है)..."घर की लाड़ली"... एक दम सही लिखा है तेरी टॉप पर पायल. मेरी प्यारी ननद घर की लाड़ली ही तो है....(उर्मिला प्यार से पायल के गाल खींचते हुए कहती है)


पायल : (प्यार से ) थैंक्यू भाभी...!!


सामने बैठे सोनू को ना भाभी की बात सुनाई दे रही थी और ना ही पायल की. उसकी आँखे तो पायल की टॉप में उभरे उन दो अनारदानों पर टिकी हुई थी. उसकी आँखे बड़ी हो गई थी और मुहँ खुला का खुला. हाथ में पराठे का वो टुकड़ा उसके मुहँ में जाते जाते रुक गया था. उर्मिला तिरछी नज़रों से सोनू को देख रही थी. तभी उर्मिला के गंदे दिमाग में एक ख़याल आया.


उर्मिला : फिटिंग तो अच्छी है पायल और टॉप के गले का शेप भी अच्छा है. बस इस टॉप को ना तू थोड़ा सा आगे कर के पहना कर. पीछे खींच कर पहनेगी तो उतनी फिट नहीं आएगी. रुक मैं ठीक कर देती हूँ (उर्मिला टॉप को पीछे से थोड़ा ऊपर की और खींचती है और फिर आगे से थोडा निचे. टॉप का गला पहले से ही हल्का सा गहरा था जो अब टॉप के निचे होने से और गहरा हो गया था. अब पायल की बड़ी बड़ी चुचियों के बीच की गहराई दिखने लगी थी) हाँ... परफेक्ट ..!! अब एक दम सही है ...


पायल : भाभी मानना पड़ेगा. आपकी ड्रेसिंग सेंस सच में बहुत अच्छी है.


उर्मिला : जानती हूँ पायल रानी ... तेरे भैयाँ क्या ऐसे ही मेरे दीवाने है ? (उर्मिला की बात सुन के पायल की हंसी छूठ जाती है. उर्मिला चुपके से सोनू को देखती है तो उसकी नज़रे पायल की टॉप के गहरे गले से दिख रही चुचियों के बीच की गली पर टिकी है. उर्मिला झट से पायल के पीछे जाती है और उसके कन्धों से थोड़ा निचे, बाँहों की ओर, दोनों तरफ हाथ रख देती है. इस बार उर्मिला अपने हाथों को हल्का सा घुमाव देते हुए आगे की ओर दबाती है जिस से टॉप का गला आगे से ढीला हो कर और भी ज्यादा गहरा हो जाता है साथ ही साथ दबाव से पायल की बड़ी बड़ी चूचियां आपस में चिपक जाती है. अब पायल की टॉप के गहरे गले से चुचियों की हलकी सी गोलाई और बीच में एक लम्बी सी गली साफ़ साफ़ दिखाई पड़ने लगती है. उर्मिला अब सोनू से कहती है) क्यों देवर जी ? जरा देख कर बताइए... कैसी लग रही है मेरी प्यारी ननद रानी ?


सोनू अपनी नज़र पहले पायल के चेहरे पर डालता है. पायल फ़ोन में कुछ देख रही है. फिर उसकी नज़र उर्मिला भाभी पर पड़ती है. भाभी के चेहरे पे कुटिल मुस्कान है. भाभी सोनू को देखते हुए एक बार अपनी आँखे छोटी करती है और हल्का सा आगे झुक के सोनू की आँखों में देखती है. उर्मिला के दोनों हाथ एक बार फिर घुमाव के साथ पायल की बाहों को दबातें है और उसकी नज़रे जो सोनू की आँखों में देख रही थी वो अब पायल की टॉप के गहरे गले की और इशारा कर रही है. भाभी की इस हरकत से सोनू डर जाता है. लेकिन था तो वो अव्वल दर्जे का कमीना. उसका कमीनापन उसके डर पे भारी पड़ता है और नज़रे धीरे धीरे पायल की टॉप से दिख रही चुचियों की गहराई पर पड़ती है. वो नज़ारा देख के सोनू की जीभ अपने आप की ओठों पर घूम जाती है. बहन की चुचियों के बीच की उस गहराई को सोनू पहली बार इतने करीब से देख रहा था. पैंट में उसका लंड अंगड़ाईयाँ लेने लगा था. तभी उर्मिला की आवाज़ उसके कानों में पड़ती है.


उर्मिला : कहाँ खो गए देवरजी? बताया नहीं, कैसी लग रही है मेरी प्यारी ननद?


सोनू : (झेंपते हुए) वो..वो.. अच्छी लग रही है भाभी....


उर्मिला : और ये गहराई कैसी लगी?


सोनू : (भाभी का सवाल सुन के उसके होश उड़ जाते है) क...को.. कौनसी गहराई भाभी...??


उर्मिला : अरे बाबा... इस नीले टॉप के रंग के गहराई की बात कर रही हूँ. बहुत गहरा है ना ? (उर्मिला सोनू को देख के झट से आँख मार देती है)


सोनू : (सोनू समझ जाता है की भाभी क्या पूछ रही है. भाभी के आँख मारने से सोनू का डर थोडा कम हो गया है) हाँ भाभी.... बहुत गहरा है.


तभी पायल अपनी प्लेट ले कर खड़ी होती है और रसोई की और चल देती है. पायल के जाते हे उर्मिला धीमी आवाज़ में सोनू से बात करने लगती है.


उर्मिला : तो सोनू जी... बोलिए, मज़ा आया ?


सोनू : किस बात में भाभी ?


उर्मिला : देख सोनू... ज्यादा बन मत. सुबह से देख रही हूँ तुझे. पायल की चुचियों को ऐसे घुर रहा है जैसे अभी उसकी टॉप फाड़ के दोनों चूचियां दबोच लेगा.


सोनू : ये आप क्या बोल रहे हो भाभी ? वो मेरी दीदी है. मैं तो ऐसा सोच भी नहीं सकता.


उर्मिला : अच्छा ? सोच भी नहीं सकता ? तो सुबह जो पायल की चुतड को देख के अपनी कमर को झटके दे रहा था वो क्या था ? अपनी दीदी के लिए प्यार ?


उर्मिला की ये बात सुन के सोनू के होश उड़ जाते हैं. उसका बदन सफ़ेद पड़ जाता है जैसे काटो तो खून नहीं. लड़खड़ाती आवाज़ में सोनू उर्मिला से कहता है.


सोनू : भा..भा.. भाभी प्लीज.... मुझे माफ़ कर दीजिये. अब मैं ऐसा कभी नहीं करूँगा... आप पापा से कुछ मत कहियेगा प्लीज भाभी....


सोनू की हालत देख के उर्मिला को हंसी आ जाती है.


उर्मिला : (हँसते हुए) तू एकदम पागल है सोनू. अगर मुझे पापा जी को बताना होता तो मैं सुबह हे बता देती. और मैं क्या तुझे पायल का वो नज़ारा देखने में हेल्प करती ?


सोनू : तो क्या भाभी आप मुझसे गुस्सा नहीं है?


उर्मिला : (सोनू के बालों में हाथ फेरते हुए) नहीं रे पागल.. मैं बिलकुल भी गुस्सा नहीं हूँ. सच कहूँ तो मुझे अच्छा लगा की तू पायल के साथ ये सब कर रहा है.


उर्मिला की बात सुन के सोनू का सर घूम जाता है. वो समझ नहीं पा रहा था की भाभी को अच्छा क्यूँ लग रहा है.


सोनू : लेकिन भाभी... आपको ये सब अच्छा क्यूँ लग रहा है ?


उर्मिला : वो इसलिए मेरे छोटे देवरजी क्यूंकि तू ये सब कर के एक तरह से पायल की मदद कर रहा है. एक सच्चे भाई होने का फ़र्ज़ निभा रहा है.


सोनू : मैं कुछ समझा नहीं भाभी.


उर्मिला : अभी तेरे स्कूल का समय हो रहा है. तू स्कूल जा. शाम को जब घर आएगा तो मैं तुझे सब समझा दूंगी. हाँ एक और बात. तू पायल या किसी और से इस बारें में बात मत करना. ये भाभी और देवर के बीच की बात हैं (उर्मिला आँख मारते हुए कहती है)


भाभी का इशारा सोनू समझ जाता है. वो भाभी को अपने उस दोस्त की तरह देखता है जिस से वो अपने दिल की हर एक बात बता सके. चाहे वो बात पायल दीदी की हे क्यूँ ना हो.


सोनू : (मुस्कुरा के खुश होते हुए) थैंक्यू भाभी... आप बहुत अच्छी हो. मैं शाम को आऊंगा तो हम ढेर सारी बातें करेंगे.


उर्मिला : हाँ बाबा... करेंगे . लेकिन तू प्रॉमिस कर की तू मुझसे कुछ नहीं छुपायेगा, कुछ भी नहीं...


सोनू : हाँ भाभी ... प्रॉमिस... गॉड प्रॉमिस...


तभी पायल वहां आ जाती है.


पायल : और कितना पकाएगा सोनू भाभी को ? (फिर भाभी की ओर देख कर) भाभी आप भी इस गधे की बातों में आ जाती है. पता नहीं क्या क्या बकवास कर के सबको पकाता रहता है. गधा है ये गधा...


उर्मिला : अरे नहीं पायल ऐसा मत बोल मेरे देवर को. हाँ पर तेरी एक बात से मैं पूरी तरह से सहमत हूँ. (उर्मिला सोनू को देखते हुए आँखों से उसकी पैंट की तरफ इशारा करते हुए कहती है) गधा तो ये है. और जब तू सामने आती है तो ये और भी बड़ा वाला गधा बन जाता है (ये कहते हुए उर्मिला सोनू को देख के आँख मार देती है. भाभी की बात पर कमीने सोनू को भी शर्म आ जाती है )


पायल : हाँ भाभी सही कहा आपने. और आप मिस्टर गधे .... चलिए नहीं तो स्कूल में लेट हो जाओगे....


सोनू सर झुका के बस्ता टाँगे पायल के पीछे पीछे चल देता है. जाते हुए वो एक बार मुड़ के भाभी को देखता है. उर्मिला के चेहरे पर अब भी वही मुस्कान है. वो सोनू को देख कर नजरो से पायल की हिलती हुई चुतड को देखने कहती है. सोनू पायल की मटकती हुई चूतड़ों को एक बार गौर से देखता है फिर भाभी की तरफ देखने लगता है. उर्मिला अपना एक हाथ उठा के अपनी तर्जनी (index finger) और अंगूठे को मिला कर गोला बना के पायल की चुतड 'एक दम मस्त' ? होने का इशारा करती है. भाभी के इस इशारे से सोनू एक बार फिर शर्मा जाता है और पायल के चुतड को निहारता हुआ उसके पीछे पीछे बाहर चला जाता है. अपना काम बनता देख उर्मिला बहुत खुश है और वो गाना गुनगुनाते हुए अपने कमरें में चली जाती हैं.




शाम के ५ बज रहे है. उमा देवी रसोई में चाय बना रही है. तभी उसे गेट खुलने की आवाज़ आती है. २ मिनट के बाद सोनू घर में दाखिल होता है. अपना बस्ता सोफे पर फेक के वो सीधा रसोई में घुसता है.


सोनू : मम्मी... कल से हमारी स्कूल १ हफ्ते के लिए बंद रहेगी. अभी से बता दे रहा हूँ की मेरे पीछे आप लोग पढ़ाई करने के लिए नहीं पड़ोगे.


उमा : (सोनू की तरफ घूम के आश्चर्य से उसका चेहरा देखते हुए) १ हफ्ते के लिए स्कूल बंद रहेगी ? झूठ मत बोल सोनू. कहीं ये तेरा स्कूल न जाने का कोई नया बहाना तो नहीं है ?


सोनू : मम्मी आप भी ना हमेशा ही मेरी किसी भी बात का विश्वास नहीं करती. कोई सरकारी परीक्षा होने वाली है. हमारे स्कूल में आज ही नोटिस आया था. किसी वजह से इमरजेंसी में हमारे स्कूल को एग्जामिनेशन सेण्टर बना दिया गया है. १ हफ्ते परीक्षा चलेगी तो हमारा स्कूल भी बंद रहेगा.


उमा : लल्ला... मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है. लेकिन तेरे जो दोस्त है वो मुझे पसंद नहीं. इसलिए कभी कभी लगता है की तू उनके बहकावे में आ कर झूठ तो नहीं बोल रहा है.


सोनू : (मुहँ बना के) मेरे दोस्त सब अच्छे है मम्मी. आप ही गलत सोचती हो उनके बारें में.


उमा : अच्छा बाबा... सब अच्छे है, मैं ही बुरी हूँ...अब ठीक? चल अब जल्दी से हाथ मुहँ धो ले. मैं तेरे लिए खाना निकालती हूँ.


सोनू धीमे क़दमों से उर्मिला भाभी को ढूंडता हुआ बढ़ जाता है. तभी उमा को फिर से गेट खुलने की आवाज़ आती है और २ मिनट के बाद पायल घर के अन्दर आती है. वो अपना बैग टेबल पे रखती है और रसोई में आती है.


पायल : मम्मी... कल से... (पायल की बात बीच में ही काटते हुए उमा कहती है)


उमा : .... तू १ हफ्ते कॉलेज नहीं जाएगी.... यही ना?


पायल : (चेहरे पर आश्चर्य के भाव लाते हुए) ...हाँ मम्मी...लेकिन आपको कैसे पता?


उमा : अभी सोनू भी येही बता के गया है. बोल रहा था कोई सरकारी परीक्षा है तो वो कुछ सेण्टर वेंटर पड़ा है...


पायल : उसके स्कूल को भी एग्जामिनेशन सेण्टर बना दिया? (पायल अपने सर पे हाथ रख देती है) मैं सोच रही थी की १ हफ्ते घर में अराम से रहूंगी, अब ये सोनू का बच्चा दिन भर मेरा सर खायेगा. इस से अच्छा तो मेरा कॉलेज ही बंद ना होता.


उमा : चुप कर पायल..!! तुम दोनों एक साथ घर में दिन भर रहोगे ये सोच के मेरा दिमाग ख़राब हो रहा है. कम से कम दिन में ४-५ घंटे की शांति तो रहती थी. अब तो वो भी नसीब नहीं होगी.


उमा की बात सुन के पायल मम्मी को पीछे से जीभ दिखा के अपने रूम की तरफ चली जाती है. वहां सोनू उर्मिला भाभी को ढूंडता हुआ उनके कमरे तक पहुँच जाता है. अन्दर उर्मिला तकिये में कवर चढ़ा रही है.


सोनू : भाभी...मैं स्कूल से आ गया.


उर्मिला समझ जाती है की सोनू स्कूल से आने के बाद उसके साथ बैठ के बातें करने वाला था. लेकिन वो सोनू को थोड़ा परेशान करने के लिए कहती है.


उर्मिला : तो इसमें नया क्या है सोनू? वो तो तू रोज ही आता है (उर्मिला सोनू की तरफ बिना देखे अपना काम करते हुए कहती है)


सोनू : ह..हाँ भाभी रोज तो आता हूँ ... लेकिन वो... वो आज सुबह हमारी बात हुई थी ना? वो..वो आप बोल रही थीं की तू जब स्कूल से आएगा तो हम बातें करेंगे?


उर्मिला : (सर ऊपर उठा के याद करने का नाटक करती है) मैंने कहा था? मुझे तो याद नहीं?


उर्मिला की बात सुन के सोनू मायूस हो जाता है और घूम के जाने लगता है. तभी उसके कान में उर्मिला की आवाज़ पड़ती है.


उर्मिला : ओ मेरे प्यारे देवरजी...!! सब याद है मुझे.... अब जल्दी से हाथ मुहँ धो के खाना खा लो. १० मिनट में मैं छत पर कपड़े डालने जा रही हूँ. जल्दी से आ जाना. पायल का पिछवाड़ा देखने में वक़्त गवां दिया तो फिर मुझसे बात नहीं कर पाओगे....


सोनू : (ख़ुशी से भाभी को देख के कहता है) थैंक्यू भाभी. मैं १० मिनट में पक्का छत पे आ जाऊंगा (और भाग के कमरे से निकल जाता है)


उर्मिला सोनू का उतावलापन देखती है. "पायल के पीछे बावला हो गया है. उसे देख के हमेशा इसका लंड खड़ा ही रहता है. लगता है जल्द ही कुछ कर के पायल को इसके खड़े लंड पे बिठाना ही पड़ेगा". और उर्मिला बिस्तर ठीक करने लगती है.


घड़ी में ५:२५ का समय हो रहा है. उर्मिला कपड़ो से भरी बाल्टी ले कर छत पे आती है और एक एक कपड़े निकाल के बारी बारी से रस्सी पर फैलाने लगती है. २ मिनट के बाद सोनू भी छत पर आता है. उर्मिला उसे देख लेती है.


उर्मिला : आ गया मेरा लाड़ला देवर...


सोनू : हाँ भाभी.. जैसे ही मैंने आपको ऊपर जाते देखा, फटाफट खाना खत्म किया और दौड़ता हुआ आपके पीछे ऊपर आ गया.


उर्मिला : और तेरी पायल दीदी क्या कर रही है? देखा की नहीं?


सोनू : हाँ भाभी. देख कर आ रहा हूँ. वो अपने कमरे में सो रही है.


उर्मिला : (उर्मिला मुस्कुराते हुए कहती है) अपनी चुतड उठा के सो रही होगी... हैं ना?


भाभी की बात सुन के सोनू मुस्कुराते हुए नज़रे झुका के निचे देखने लगता है.


उर्मिला : तू अगर यहाँ शर्माने के लिए आया है तो आराम से बैठ के जी भर के शर्मा ले. मैं निचे जा कर रसोई में अपना काम कर लेती हूँ.


सोनू : नहीं नहीं भाभी....(सोनू उर्मिला को देखते हुए) हाँ.... दीदी अपनी चुतड उठा के सो रही है.


उर्मिला : (हँसते हुए) वो ऐसे ही अपनी चुतड उठा के सोती है (फिर सोनू की तरफ देखते हुए) ना जाने किस के लिए?, और उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चूचियां टॉप फाड़ के बाहर आने के लिए उतावली होगी ना?


सोनू वैसे तो था बड़ा कमीना लेकिन उसने कभी भी घर वालो के सामने ये बात जाहिर नहीं होने दी थी. पहली बार वो किसी परिवार के सदस्य के सामने इस तरह से बातें कर रहा था. और वो सदस्य और कोई नहीं उसकी अपनी प्यारी उर्मिला भाभी थी. उर्मिला भाभी के मुहँ से ऐसी बातें सुन कर सोनू और भी ज्यादा उत्तेजित होने लगा था.


सोनू : (सोनू दांतों तले एक बार अपनी जीभ दबा देता है) हाँ भाभी... मैंने गौर से देखा था. दीदी की टॉप उनकी चुचियों से पूरी चिपकी हुई थीं. दीदी की साँसों के साथ उनकी बड़ी बड़ी चूचियां ऊपर निचे हो रही थीं. मेरा तो बुरा हाल हो गया था भाभी.


उर्मिला : तो अपनी दीदी पर छलांग लगा देता. सोते वक़्त वो ब्रा नहीं पहनती. उसकी टॉप निचे से उठा के देख लेता की दीदी की गोल मटोल चूचियां नंगी कैसी दिखती है. किसने रोका था तुझे?


सोनू : दिल तो मेरा भी किया था भाभी की दीदी की टॉप उठा के उनकी चुचियों को हाथों में भर के मसल दूँ. लेकिन दीदी पूरे घर में हल्ला मचा देगी और पापा मुझे जुते मार के घर से निकाल देंगे. बस येही सोच कर मैं रुक गया.


सोनू की बात सुन के उर्मिला को हंसी आ जाती है. वो हँसते हुए कहती है.


उर्मिला : हाहाहा...ये बात तो तुमने सही कही सोनू. पर जरा सोच... ऐसा कुछ हो जाए की तू पायल की टॉप उठा के उसकी नंगी चूचियां देखे और वो फिर भी किसी से कुछ ना कहे तो?


सोनू : (भाभी की बात सुन के सोनू उच्चल के खड़ा हो जाता है. खुले मुहँ से उर्मिला को कुछ पल के लिए वैसे ही देखता रहता है, फिर कहता है) सच भाभी...!! ऐसा भी हो सकता है क्या?


उर्मिला : (इतराते हुए) तेरी भाभी चाहे तो कुछ भी हो सकता है देवरजी...


सोनू : (भाभी की बात सुन के सोनू अपने घुटनों पे आ जाता है और उर्मिला के सामने हाथ जोड़ के गिडगिडाने लगता है) भाभी ...मेरी प्यारी भाभी ....प्लीज...प्लीज...मेरे लिए पायल दीदी को मना दो ना...मैं आपका गुलाम बन जाऊंगा भाभी... आप जो बोलोगे वो मैं करूँगा...बस पायल दीदी से मेरी सेटिंग करा दीजिये प्लीज भाभी....!!


सोनू का ये रूप देख के पायल को मजा भी आता है और आशचर्य भी होता है, "कोई अपनी सगी बहन के लिए इतना पागल भी हो सकता है?", वो मन में सोचती है. फिर हँसते हुए कहती है.


उर्मिला : अरे अरे अरे...!! ये क्या सोनू ? मैं क्या कोई साहूकार हूँ? तुमने कोई क़र्ज़ लिया है मुझसे जो इस तरह से गिदगिड़ा रहा है ? (फिर प्यार से उसके बालों में हाथ फेरते हुए) पागल...तू मेरा प्यारा छोटा देवर है. तेरी ख्वाइश का ख़याल मैं नहीं रखूंगी तो और कौन रखेगा?


सोनू : (भाभी की बात सुन के सोनू का दिल जोर से धड़कने लगता है और चेहरे पे बड़ी से मुस्कान छा जाती है) सच भाभी..?? आप मेरे लिए पायल दीदी को सेट कर दोगी ना?


उर्मिला : कर तो मैं दूँ सोनू , लेकिन एक दिक्कत है... (कह के उर्मिला रुक जाती है)


सोनू : (चेहरे की हँसी गायब हो जाती है) दिक्कत ? कैसी दिक्कत भाभी ?


उर्मिला : देख सोनू... तू जैसे मेरा देवर है, पायल भी मेरी ननद है. दोनों से मैं एक जैसा प्यार करती हूँ. मैं सिर्फ इस बात के भरोसे तेरी और पायल की सेटिंग नहीं करा सकती की वो तझे अच्छी लगती है. तुम दोनों सगे भाई बहन हो, कोई स्कूल या कॉलेज के बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड नहीं. भाई बहन के ऐसे गंदे रिश्ते में सिर्फ प्यार से काम नहीं चलता. प्यार के साथ कुछ और चीज़े भी होना जरुरी है.


सोनू : भाभी ... मैं दीदी से सिर्फ प्यार ही नहीं करता. दीदी के लिए मैं पागल भी हूँ, हद से ज्यादा पागल भाभी. दीवाना हूँ मैं पायल दीदी का (सोनू अपनी बातों से उर्मिला को यकीन दिलाने की कोशिश करता है)


उर्मिला : तेरा प्यार और दीवानापन तो मैं देख चुकी हूँ सोनू, और इस पर मुझे कोई शक नहीं है. टेंशन तो मुझे तेरे पागलपन की है. प्यार और दीवानगी में तू पायल के साथ चुदाई तो कर लेगा लेकिन बिना पागलपन के ये भाई बहन का रिश्ता अधुरा है. जब तक भाई और बहन के बीच पागलपन और हवास ना हो, उनके मिलन का कोई मतलब नहीं है.


पायल इस खेल की पुरानी खिलाड़ी थीं. उसने अपनी बातों के जाल में अच्छे अच्छों को फसाया था तो ये १८ साल का सोनू किस खेत की मुली था. उर्मिला की बातें सुन के सोनू और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाता है क्यूंकि वो जानता है की पायल के लिए उसके दिल में प्यार से कहीं ज्यादा हवस और पागलपन है. वो जानता है की उर्मिला भाभी जो ढूंड रही है वो सोनू के अन्दर पायल के लिए कूट कूट के भरी है - हवस और पागलपन. लेकिन सोनू ये नहीं जानता था की उर्मिला का खेल क्या था. उर्मिला ने बड़ी चालाकी से सोनू को अपनी उस हवस और पागलपन को उसके सामने ज़ाहिर करने पर मजबूर कर दिया था जिसकी झलक वो आज सुबह सीढ़ियों के पास खड़ी हो कर देख चुकी थीं.


सोनू : (अब और भी ज्यादा उत्तेजित हो चूका था) भाभी मेरा यकीन मानिये. पायल दीदी के लिए मेरे अन्दर हवस और पागलपन के अलावा कुछ नहीं है. पायल दीदी को देखता हूँ तो हवस से मेरा लंड खड़ा हो जाता है. जी करता है की दीदी को वहीँ ज़मीन पर पटक के अपना पूरा लंड उनकी बूर में ठूँस दूँ.


उर्मिला : (ये सुन कर उर्मिला खुश हो जाती है. वो जो चाह रही थी सोनू वही कर रहा है. पायल अब आग में घी डालने का काम करती है) अच्छा ? ऐसे ही अपना लंड पायल की बूर में ठूँस देगा? पायल ने टॉप और पजामा पहना हो तो?


सोनू : (पायल को याद करके उसकी आँखे हवस से लाल हो गई है. वो बेशर्मी से उर्मिला के सामने ही पैंट के ऊपर से अपना लंड दबाते हुए कहता है) तो मैं दीदी की टॉप फाड़ दूंगा भाभी. उसका पजामा खींच के उतार दूंगा और फिर अपना मोटा लंड दीदी की बूर में पूरा ठूँस दूंगा.


उर्मिला : हु...पूरा ठूँस दूंगा..!! तेरा है ही कितना बड़ा जो पायल की बूर में ठूँस देगा. पायल जैसी जवान और गदरायी लड़कियों की बूर मोटे तगड़े लंड के लिए होती है, तेरे जैसे छोटे बच्चों के भींडी जैसी नुन्नी के लिए नहीं.


उर्मिला की इस बात ने सीधा सोनू के अपने लंड के बड़े होने के अहंकार पर वार किया था. इस से भी ज्यादा सोनू को इस बात से ठेस पहुंची थी की भाभी उसके लंड को पायल की बूर के काबिल नहीं समझ रही थी.


सोनू : मेरी नुन्नी नहीं, मोटा लंड है भाभी. और इतना मोटा और लम्बा है की दीदी की बूर में डालूं तो बच्चेदानी तक पहुँच जाए.


सोनू ने अपनी बात सिद्ध करने के लिए अपनी शॉर्ट्स को एक झटके से निचे कर दिया. उसका ९ इंच लम्बा और २.५ इंच मोटा लंड किसी स्प्रिंग की भाँती उच्चल के उर्मिला को सलामी देना लगा. लंड के उच्चलने से उसके चिपचिपे पानी की कुछ बूंदे उर्मिला के चेहरे और ब्लाउज पर उड़ जाती है.


सोनू : देखा भाभी...!! अब बोलिए, क्या ये नुन्नी है ? पायल इसे अराम से ले लेगी या मुझे दबा के ठूंसना होगा ?


सोनू के विकराल लंड को उर्मिला आँखे फाड़ फाड़ के देख रही थी. वैसे रौनक का लंड भी कुछ कम नहीं था लेकिन सोनू के पूरे लंड पर फूल कर उभरी हुई नसें उसके लंड को बेहद मजा देना वाला बना रही थीं. सोनू का लंड देख के कुछ पल के लिए उर्मिला की बोलती बंद हो गई. फिर उसने छत के चारों तरफ अपनी नज़रे दौड़ाई और देखा की कोई पड़ोसी तो आसपास नहीं है. किसी के ना होने की बात पक्की कर के उर्मिला सोनू की तरफ देखा और बड़े प्यार से कहा.


उर्मिला : सचमुच सोनू... तेरा तो पूरा का पूरा मरदाना लंड है. इसे जब तू पायल की कसी हुई बूर में डालेगा तो वो कसमसा जाएगी.


फिर उर्मिला दौड़ कर छत के दरवाज़े के पास जाती है और एक नज़र सीढ़ियों पर डाल कर दरवाज़े की कुण्डी बाहर से लगा देती है. वो सोनू के पास आती है और उसका हाथ पकड़ के छत के कोने में रखी पानी की टंकी के पीछे ले जाती है.




पानी की टंकी छत के एक कोने में स्थीत है. टंकी के पीछे एक त्रिकोण आकार का छत का खाली हिस्सा है जिसके दोनों तरफ छत की ऊँची दीवार और तीसरी तरफ पानी की टंकी है. उर्मिला सोनू का हाथ पकड़ के वहां ले आती है और निचे बैठ जाती है. सोनू का हाथ पकडे हुए उर्मिला कहती है.


उर्मिला : आ सोनू. मेरे सामने बैठ.


सोनू उर्मिला के सामने बैठ जाता है. उसका मोटा लंड अब भी शॉर्ट्स के बाहर ही है. उर्मिला सोनू के सामने पहले तो पेशाब करने वाली पोजीशन में बैठती है और अपनी साड़ी निचे से उठा के कमर तक चढ़ा लेती है. फिर वो ज़मीन पर बैठ जाती है और पीछे हो कर अपना सर दोनों तरफ की दीवारों के बीच टिका देती है. उर्मिला धीरे धीरे अपने पैरों खोलती है और उसकी बूर सोनू के सामने खुल के आ जाती है. उर्मिला की बूर के ऊपर घने और दोनों तरफ हलके काले घुंगराले बाल है. बूर के ओंठ आपस में चिपके हुए है जिनके बीच से चिपचिपा पानी रिस रहा है. उर्मिला प्यार से सोनू की तरफ देखती है और कहती है.


उर्मिला : अपनी भाभी का खज़ाना कैसा लगा देवर जी ?


सोनू भले ही कितना भी बड़ा कमीना हो लेकिन उसने कभी भी उर्मिला को उस नज़र से नहीं देखा था. जब उर्मिला शादी कर के नयी नयी इस घर में आई थी तब से उसने सोनू को बहुत प्यार दिया था. पापा की मार से बचाने से ले कर दोस्तों के साथ फिल्म देखने के पैसो तक भाभी ने हमेशा से ही उसका साथ दिया था. उसके दिल में उर्मिला भाभी के लिए माँ बाप से ज्यादा सम्मान था. वो भाभी को कभी इस हाल में भी देखेगा उसने कभी नहीं सोचा था. सोनू एक बार उर्मिला भाभी की बूर पर नज़र डालता है और फिर पीछे हट जाता है.


सोनू : नहीं भाभी. ये मुझसे नहीं होगा. आप मुझे बहुत प्यारी है. देखिये ना ...(अपने छोटे होते हुए लंड की तरफ इशारा करते हुए)... अब तो इसने भी मना कर दिया है.


उर्मिला सोनू की तरफ बड़े ही आश्चर्यता से देखती है. उसे यकीन ही नहीं होता है की जो लड़का अपनी बहन के पीछे लंड खड़ा किये घूमता है वो अपनी भाभी की खुली बूर से दूर भाग रहा है. तभी उर्मिला के विचार में आये उस 'बहन' शब्द ने सारा मामला सुलझा दिया. उर्मिला ने अँधेरे में एक तीर चला दिया.


उर्मिला : (अपने हाथ की दो उँगलियों से बूर के ओठों को थोड़ा खोलते हुए) देख सोनू... ध्यान से देख. ये बूर तेरी भाभी की थोड़ी ना है. ये तो तेरी पायल दीदी की बूर है.


उर्मिला की बात सुन के सोनू गौर से उसकी बूर को देखने लगता है. उसकी नज़रे उर्मिला की बूर की फांक में धँस जाती है. सोनू को अपनी बूर को इस तरह से घूरता देख उर्मिला का हौसला बढ़ जाता है.


उर्म्मिला : (अपनी कमर को थोड़ा उठा के अपनी बूर को सोनू के और करीब ले जाती है) अपनी पायल दीदी की बूर को देख सोनू. कैसे तुझे बुला रही है. तुझे याद करके देख कैसे पानी छोड़ रही है. (फिर उर्मिला झट से अपने हाथ पीछे पीठ पर ले जा कर ब्राका हुक को खोल देती है. फिर वो ब्लाउज के आगे के हुक्स फटाफट खोल के ब्रा उतर देती है. दोनों हाथों से ब्लाउज को आगे से जैसे ही उर्म्मिला खोलती है, उसकी ३६ डी की बड़ी बड़ी चूचियां उच्चल के बाहर आ जाती है. अपनी एक चूची को पंजे से दबोच के दबाते हुए उर्म्मिला कहती है) ए सोनू...!! देख तेरी पायल दीदी अपनी खुली बूर और नंगी चुचियों के साथ तुझे बुला रही है. आ... अपनी पायल दीदी की प्यास बुझा दे मेरे रजा भैया...!!


उर्मिला भाभी के मुहँ से 'भैया' शब्द सुनते ही सोनू के सामने पायल की तस्वीर आ जाती है. वो उर्मिला भाभी को देखता है तो उसे पायल दीदी नज़र आने लगती है. सोनू का छोटा होता लंड एक झटके के साथ फिर से खड़ा हो जाता है. सोनू के मुहँ और लंड दोनों से लार टपकने लगती है. वो उर्मिला भाभी पर छलांग लगा देता है.


सोनू : (उर्मिला पर चढ़ के उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को पागलों की तरह चूमने लगता है. कभी चुचियों के ऊपर, कभी निचे, कभी दायें तो कभी बाएं. कभी वो दोनों निप्पलों को बारी बारी जोर जोर से चूसता है तो कभी दाँतों से काट लेता है. वो बार बार पायल का ही नाम ले रहा है) आह...!! मेरी पायल दीदी, मेरी प्यारी पायल दीदी, कितना तड़पाती हो अपने छोटे भाई को....आह ssssss .... दीदी....!!


सोनू की इस हरकत से उर्मिला पागल सी हो जाती है. २२ दिनों के बाद आज किसी मर्द ने उसे इस तरह से छेड़ा था. वो पायल का नाम ले कर सोनू को और जोश दिलाती है.


उर्मिला : सोनू तेरे सामने तेरी पायल दीदी नंगी है. उसके नंगे बदन से खेल सोनू. तेरा जो दिल करे तू आज वो कर ले अपनी पायल दीदी के साथ.


सोनू पुरे जोश में उर्मिला के बदन को चूमने और चाटने लगता है. चुचियों को जी भर के चूसने के बाद वो उर्मिला के पेट को चूमने लगता है. उसकी गहरी नाभि में जीभ घुसा के अच्छे से चूमता और चाटता है. फिर सोनू की नज़र उर्मिला की फूली हुई बूर पर आ के ठहर जाती है. वो कुछ क्षण वैसे हे बूर को प्यासी नज़रों से देखता है फिर अपना सर उर्मिला की दोनों खुली जांघो के बीच धंसा देता है.


सोनू : उफ्फ्फ्फ़......पायल दीदी...!! (सोनू की जीभ मुहँ से औकात से भी ज्यादा बाहर निकल के सीधा उर्मिला की बूर की फांको के बीच घुस जाती है. बूर के अन्दर जीभ घुसा के सोनू उसे गोल गोल घुमाने लगता है)


उर्मिला ने कॉलेज में खूब मजे किये थे लेकिन ऐसा मज़ा आज उसे पहली बार मिल रहा था. इस नए मज़े का पहला स्वाद चखते हे पायल के होश उड़ जाते है. उसकी आँखे बंद हो जाती है और हाथ अपने आप सोनू का सर पकड़ के जांघो के बीच और ज्यादा धंसा देते है.


उर्मिला : आह....!!!!!! सोनू ssssss...!!! आज पायल दीदी की बूर चूस चूस के लाल कर देगा क्या?


सोनू : हाँ दीदी... आज मुझे इसका जी भर के रस पी लेने दो...


करीब ५ मिनट तक सोनू से बूर चुसवाने के बाद उर्मिला अपनी आँखे खोलती है. वो देखती है की उसकी बूर चूसते हुए सोनू अपने मोटे लंड पर हाथ चला रहा है. उर्मिला समझ जाती है की अभी इसे रोका नहीं गया तो वो अपना पानी गिरा देगा और उसकी बूर प्यासी ही रह जाएगी.


उर्मिला : सोनू...!! ओ मेरे प्यारे भैया...!! अपनी पायल दीदी की बूर में अपना मोटा लंड नहीं ठूँसोगे? (उर्मिला अपनी कमर उठा के सोनू की आँखों के सामने बूर दिखाते हुए कहती है)


उर्मिला की बूर में सोनू को पायल की बूर नज़र आ रही है. वो अपना मोटा लंड खड़ा किये फिर एक बार उर्मिला पर छलांग लगा देता है. सोनू का लंड एक बार बूर की दीवार से टकराता है और चिकनाई से फिसलता हुआ सीधा बूर के अन्दर धंस जाता है. धक्का इतनी जोर का था की उर्मिला की चुतड ज़मीन पर 'धम्म' की आवाज़ के साथ गिर जाती है और सोनू का लंड उसकी बूर में जड़ तक घुस जाता है. उर्मिला तो मानो जन्नत की सैर करने लगती है. सोनू की कमर को अपनी दोनों टांगो से जकड़ के और बाहों को उसके गले में डाले उर्मिला सोनू को चूमने लगती है.


उर्मिला : मेरा सबसे प्यारा भैया...!! अपनी पायल दीदी का दुलारा...!! अपनी कमर को पायल दीदी की जांघो के बीच उठा उठा के पटक सोनू...!!


सोनू : (पूरे जोश में अपनी कमर को उठा उठा के उर्मिला की जांघो के बीच पटके जा रहा है. टंकी के पीछे का वो छोटा सा त्रिकोनी हिस्सा 'ठप्प' 'ठप्प' की तेज़ आवाज़ से गूंजने लगता है) मज़ा आ रहा है दीदी? अपने छोटे भाई का मोटा लंड बूर में ले कर मज़ा आ रहा है?


उर्मिला : हाँ सोनू...!! बहुत मज़ा आ रहा है. और जोर से चोद अपनी बहन को.


सोनू पागलों की तरह उर्मिला को पायल समझ के चोदे जा रहा था. और आखिरकार वो पल आया जब सोनू का पूरा बदन अकड़ने लगा. उसके कमर की रफ़्तार तेज़ हो गई. चेहरे के भाव को उर्मिला ने पढ़ लिया था. उर्मिला के पैरों ने सोनू की कमर पे अपना शिकंजा और कस दिया, बाहों ने उसकी पीठ को सीने पर दबा लिया.


सोनू 'ओह पायल दीदी', 'ओह पायल दीदी' करने लगा और उसकी कमर उर्मिला की जांघो के बीच पूरी तरह से धंस के झटके खाने लगी. उसका लंड उर्मिला की बूर की गहराई में वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ने लगा. उर्मिला ने भी अपनी बूर के ओठों को लंड पर कस के वीर्य की एक एक बूँद अपनी बूर में झडवा ली. अपने लंड को पूरी तरह से उर्मिला की बूर में खाली करने के बाद सोनू उर्मिला के ऊपर ही लेट गया. कुछ देर तक दोनों एक दुसरे को बाहों में लिए वैसे ही ज़मीन पर पड़े रहे.


सोनू ने अपनी आँखे खोली तो उर्मिला भाभी का मुस्कुराता हुआ चेहरा उसके सामने था. वो अपनी आँखों में शर्म लिए उर्मिला के शरीर से उठता है. उठते ही उसका लंड उर्मिला की बूर से फिसलता हुआ 'फ़क्क' की आवाज़ के साथ निकल जाता है. उर्मिला की बूर से सफ़ेद गाढ़े पानी की धार बहती हुई उसकी चूतड़ों की दरार में घुसने लगती है. सोनू के लंड पर से भाभी और उसके वीर्य का मिश्रण बहता हुआ लार की तरह टपक रहा है. सोनू भाभी को देखता है.


सोनू : भाभी ... आपको बुरा तो नहीं लगा ना?


उर्मिला : (हस्ते हुए) मुझे बुरा क्यूँ लगेगा? चुदाई तो पायल की हुई है ना? अच्छा अब अपने कपड़े ठीक कर और सबसे नज़रे बचा के निचे चले जा. कोई मेरे बारें में पूछे तो बोल देना की भाभी कपड़े सुखाने डाल के अभी आ रही है.


दोनों एक दुसरे को देख के हँस देते है. सोनू अपने कपडे ठीक कर के यहाँ वहां देखता हुआ निकल जाता है. उर्मिला वहीं बैठे हुए अपनी साड़ी ठीक करती है. वो सोनू को जाता हुआ देखती है और मुस्कुरा देती है . "गजब का बेहनचोद पैदा किया है मम्मी जी ने. लड़के अपनी भाभियों की बूर के लिए लार टपकाते उनके पीछे घूमते रहते है और एक ये बेहनचोद है जो भाभी की बूर को भी तब ही चोदता है जब वो उसे बहन की बूर कहती है". उर्मिला हँसते हुए खड़ी होती है और वहां से निकल कर खाली बाल्टी ले कर सीढ़ियों से निचे उतरने लगती है.




अगली सुबह उर्मिला अंगडाई लेते हुए आँखे खोलती है. बहुत दिनों के बाद उसे ऐसी नींद आई थी. ये सब पिछली शाम सोनू के मोटे लंड से चुदने का कमाल था. उर्मिला बिस्तर पर बैठ जाती है और अपनी नाइटी उठा के बूर को देख मुस्कुरा देती है. फिर वो उठ के बाथरूम में चली जाती है.


सुबह के ६:३० बज रहे है. उर्मिला रसोई में बर्तन धो रही है और गैस पर चाय चढ़ी है. तभी उसे पायल की आवाज़ आती है.


पायल : गुड मोर्निंग भाभी....


उर्मिला : (मुड़ के देखती है तो सामने पायल टॉप और पजामा पहने खड़ी है) अरे पायल ? आज सूरज किस दिशा से निकला है? तू आज इतनी सुबह कैसे उठ गई ?


पायल : पता नहीं भाभी ऐसा क्यूँ होता है ? कॉलेज था तो नींद आती थी. अब बंद है तो सुबह सुबह ही नींद खुल गई.


उर्मिला : (हँसते हुए) ऐसा सब के साथ होता है पायल. येही तो स्कूल और कॉलेज के हर स्टूडेंट की कहानी है. (उर्मिला की नज़र पायल की टॉप में कैद उसकी चुचियों पर जाती है. बिना ब्रा के ऐसी लग रही है की अगर किसी ने उसकी टॉप पर ब्लेड रख भी दी तो अभी टॉप फाड़ के बाहर आ जायेंगी. पायल फ्रिज खोल के पानी की बोतल उठाने के लिए झुकती है तो उसकी चुतड उठ के दिखने लगती है. "सोनू सही करता है. ऐसी चौड़ी चुतड के पीछे तो हर कोई लंड पकडे घूमता रहे", पायल मन में सोचती है)


पायल : (एक घूंट पानी पीने के बाद) लाईये भाभी... मैं बर्तन धो दूँ..


उर्मिला : अरे मैं धो लुंगी. तू एक काम कर. वाशिंग मशीन में कुछ कपड़े है. तू उन्हें छत पर ले जार कर डाल दे.


पायल : ओके भाभी... एज़ यू विश...


पायल वाशिंग मशीन से कपड़ों को निकाल के एक बाल्टी में डाल देती है और सीढ़ियों की और बढ़ने लगती है. पिछसे उर्मिला उसे आवाज़ देती है.


उर्मिला : और हाँ पायल... कपड़ों को पहले एक बार अच्छे से निचोड़ लेना....


पायल : हाँ भाभी... (और वो छत पर चली जाती है)


पायल के जाते ही रमेश रसोई में आता है.


रमेश : क्या कर रही हो बहु?


उर्मिला : (बाबूजी को देख कर) अरे बाबूजी आप? (वो आगे बढ़ कर पैर पढ़ने के लिए झुकती है. रमेश एक नज़र उर्मिला की नाईटी के ढील गले से दिख रही उसकी चुचियों के बीच की गली पर मार लेता है. उर्मिला पैर पढ़ के खड़ी हो जाती है) कुछ नहीं बाबूजी. बस बर्तन साफ़ कर रही थी. चाय बन जाएगी तो मैं छत पर ले कर आ जाउंगी.


रमेश : नहीं बहु. आज घुटनों में दर्द सा हो रहा है. आज कसरत नहीं करूँगा. तुम मेरी चाय ड्राइंग रूम में ही ला देना. वैसे बच्चे तो अभी सो ही रहे होंगे?


उर्मिला : सोनू तो सो रहा है बाबूजी लेकिन पायल उठ गई है.


रमेश : (आश्चर्यचकित होता हुआ) पायल उठ गई है? ये कैसे हो गया? अब तो उसका कॉलेज भी बंद है ना?


उर्मिला : (हँसते हुए) हाँ बाबूजी बंद है. मुझसे कह रही थी की जब कॉलेज था तो सुबह नींद आती थी, अब बंद है तो जल्दी खुल गई.


रमेश : (वो भी हसने लगता है) ये आजकल के बच्चे भी ना..! पायल है कहाँ? दिखाई नहीं दे रहीं?


उर्मिला : वो छत पर गई है बाबूजी कपड़े डालने. थोड़ी देर में आ जाएगी.


रमेश : (कुछ पल की ख़ामोशी के बाद) मैं सोच रहा हूँ बहु की कसरत कर ही लूँ. एक दिन ना करूँ तो कल दिक्कत हो जाएगी. तुम एक काम करो. मेरी चाय छत पर ही ला दो. (नज़रे उठा के गैस पर चढ़े बर्तन को देखते हुए) चाय बन गई या अभी वक़्त है?


उर्मिला : थोडा वक़्त लगेगा बाबूजी. आप जाइये, मैं आपकी चाय ले कर आ जाउंगी.


रमेश : हाँ...! तब तक मैं भी छत पर जा कर अपनी तैयारी कर लेता हूँ.


रमेश के जाते ही उर्मिला पीछे घुमती है तो चाय उबल के गिरने को है. वो दौड़ कर गैस बंद करती है. "अभी गिर जाती. लगता है गैस ज्यादा ही खोल दिया था मैंने". फिर उर्मिला चाय को कप में डालती है और सीढ़ियों पर चलते हुए छत पर जाने लगती है. चढ़ते हुए उर्मिला को छत के दरवाज़े के पास बाबूजी दिखाई पड़ते हैं. उनका चेहरा छत की तरफ है. वो सोचने लगती है की बाबूजी यहाँ क्या कर रहे हैं? वो दबे पाँव सीढ़ियों से थोडा और ऊपर जाती है. आगे का नज़ारा देख के उसके पैरो तले ज़मीन खिसक जाती है. छत पर पायल झुक के किसी कपड़े को दोनों हाथों से पकड़ के निचोड़ रही है. बिना ब्रा की टॉप और ढीला गला होने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी चुचियों की गोलाइयों के बीच गहरी घाटी साफ़ दिखाई दे रही है. सामने दरवाज़े के अन्दर की दीवार के पीछे खड़े हो कर बाबूजी पायल की चुचियों के बीच की गहराई में अपनी नज़रे गड़ाये हुए है. उनका एक हाथ धोती के अन्दर है और धोती के आगे का हिस्सा जोर जोर से ऊपर निचे हो रहा है. कुछ पल तो उर्मिला उस नज़ारे को आँखे फाड़ फाड़ के देखती है. फिर उससे होश आता है. "हे भगवान ...!! बाबूजी जी भी ? इस लड़की की जवानी ने तो घर में आग लगा रखी है. सोनू क्या कम था जो अब बाबूजी भी अपना लंड खड़ा किये इसके पीछे लग गए हैं", उर्मिला मन में सोचती है. तभी पायल शर्ट की कॉलर को दोनों हाथो से पकड़ के आपस में रगड़ने लगती है. जोर से रगड़ने से उसके कंधे हिलने लगते है और दोनों चूचियां भी टॉप के ऊपर से हिलने लगती है. ढीले गले से चुचियों की गोलाइयाँ बीच बीच में आपस में टकरा भी रही है. ये देख के बाबूजी का हाथ धोती के अन्दर और तेज़ी से हिलने लगता है. अचानक बाबूजी धोती के अन्दर तेज़ी से हाथ चलाते हुए अपनी कमर आगे की और उठाके दीवार के पीछे आ जाते है. दुसरे हाथ से धोती को आगे से हटाते ही बाबूजी का पहला हाथ लंड पकडे बाहर आता है. उर्मिला बाबूजी का लंड देख के घबरा जाती है. लगभग ११ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा. नसें फुल के उभरी हुई. बाबूजी पीछे झुक के एक नज़र पायल की हिलती हुई चुचियों पर डालते है, उनका हाथ और तेज़ी से चलने लगता है और लंड झटके खाता हुआ गाढ़ा सफ़ेद पानी उगलने लगता है. बाबूजी पीछे झुक के पायल को देखते हुए अपने लंड की चमड़ी जब जब पीछे करते है, उनका लंड झटका खा कर गाढ़ा सफ़ेद पानी फेंक देता है. ऐसे हे बाबूजी ८-१० बार लंड से पानी गिराते है और फिर लंड को धोती में छुपा लेते है. उर्मिला भी दबे पाँव सीढ़ियों से निचे आ जाती है. कुछ देर रुक कर वो सांस लेती है और फिर अपने पैरो को पटकते हुए सीढ़ियों से ऊपर जाने लगती है.


ऊपर बाबूजी अपनी धोती ठीक कर रहे हैं. जैसे ही उन्हें क़दमों की आहट सुनाई देती है वो सतर्क हो जाते है.


उर्मिला : बाबूजी आप यहाँ? अब तक कसरत की तैयारी नहीं की आपने?


रमेश : बस बस बहु..अभी करने ही वाला था. मैंने सोचा की पायल कपड़े डाल रही है. उसका हो जाए फिर मैं अराम से अपनी तैयारी कर लूँगा.


उर्मिला : ओह अच्छा...!! ये लीजिये बाबूजी आपकी चाय...


सामने पायल छत के दरवाज़े पर बाबूजी और उर्मिला को देख लेती है. पायल ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी है. वो नहीं चाहती की बाबूजी के सामने वो इस तरह से बिना ब्रा की टॉप पहने जाए. वो झट से पास ही रस्सी पर टंगी एक ओढ़नी अपने कंधो पर दाल लेती है और खाली बाल्टी ले कर उनके पास आती है.


पायल : गुड मोर्निंग पापा..


रमेश : गुड मोर्निंग बेटा ... (पायल के सर पर हाथ फेरते हुए) आज मेरी बिटिया रानी इनती सुबह कैसे उठ गई?


पायल : बस पापा.. आज जल्दी नींद खुल गई.


रमेश : बहुत अच्छा है बेटी. ऐसे ही रोज जल्दी उठा करो. सेहत के लिए अच्छा होता है. और कॉलेज खुलने तक अपनी भाभी का काम में हाथ भी बटा दिया करना.


पायल : हाँ बाबूजी. अब तो मैं रोज ऐसे हे जल्दी उठ जाया करुँगी और घर का काम कर लिया करुँगी भाभी के साथ.


पायल की बात सुन के उर्मिला मन में सोचती है. "हाँ...ताकि रोज सुबह बाबूजी तेरी चुचियों को हिलते हुए देखें और अपने लंड का पानी निकालें"


पायल : भाभी... आप चल रहे हो निचे?


उर्मिला : हाँ रुक मैं भी चलती हूँ. अच्छा बाबूजी हम चलते है. आप कसरत करिए और हम दोनों घर का काम.


रमेश : (हँसते हुए) ठीक है बहु..


उर्मिला और पायल बातें करते हुए सीढ़ियों से निचे उतरने लगते है. ऊपर से रमेश बारी बारी दोनों की मटकती हुई चूतड़ों को देखते है फिर कसरत करने छत पर चले जाते हैं.


..............................



दोपहर के २:३० बज रहे है. घर के सभी लोग खाना खा कर अपने अपने कमरों में अराम कर रहे है. उर्मिला बिस्तर पर लेटी हुई है. उसके दिमाग में सुबह की घटना बार बार घूम रही थी. "बाबूजी तो सोनू से भी दो कदम आगे निकले. सोनू का लंड भी पायल को देख के खड़ा होता है, लेकिन कम से कम वो ऐसे उसे घूरते हुए तो लंड का पानी तो नहीं निकालता. अपने कमरे में जाता है, दरवाज़ा बंद करता है और फिर अपना काम करता है. बाबूजी तो सरेआम वहीँ खड़े हो के पायल को घूरते हुए लंड हिला रहे थे. बेशरम है बाबूजी. सोनू के भी बाप". अपनी इस बात पर उर्मिला को हंसी आ जाती है. "सच ही तो है. बाबूजी सोनू के बाप ही तो है. दो क्या, वो तो ४ कदम आगे रह सकते है. और ये पायल भी बड़ी किस्मत वाली है. घर के दोनों लंड उसकी बूर के लिए उतावले हो रहे है. उसकी गदराई जवानी देख कर किसी दिन बाप बेटे पगला गए तो दोनों एक साथ अपना लंड पायल की बूर में ठूँस देंगे. फिर उच्चलती रहेगी दोनों बाप बेटे के बीच, कभी हाय पापा तो कभी हाय भैया चिल्लाते हुए". ऐसे ही गंदे ख्यालों के मन में आते ही उर्मिला के चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है. कुछ देर बिस्तर पर पड़े रहने के बाद उर्मिला कड़ी होती है और पायल के रूम की तरफ चल देती है.


वहां अपने रूम में पायल बिस्तर पर लेटी हुई है. कान के अन्दर हेडफोन्स घुसाए वो गाने सुन रही है.


उर्मिला : पायल... अरी ओ पायल रानी..!! सो रही है क्या? (पायल का कोई जवाब ना पा कर उर्मिला उसके पास जाती है और उसके कंधे हो हिलाते हुए कहती है) पायल...!!!


पायल : (हडबडा के आँखे खोलते हुए) अरे भाभी आप? सॉरी... मैं हेडफोन्स लगा के थी तो मुझे पता ही नहीं चला.


उर्मिला : (बिस्तर पर पायल के पास बैठते हुए) कोई बात नहीं. ननद भाभी के बीच नो सॉरी नो थैंक्यू. वैसे तेरा दिल तो लग रहा है ना घर में?


पायल : हाँ भाभी... लग रहा है. और छुट्टियाँ किसे नहीं अच्छी लगती?


उर्मिला : (हँसते हुए) वो बात तो है. लेकिन स्कूल कॉलेज की बात ही कुछ और होती है. आज पहला दिन है इसलिए तू खुश है. २-३ दिन के बाद तुझे बोर होने लगेगा घर में.


पायल : (मुहँ बना के) हाँ भाभी. ये बात तो है. कॉलेज में फ्रेंड्स के साथ कैसे समय बीत जाता है पता ही नहीं चलता.


उर्मिला : हाँ एकदम सही कहा... वैसे पायल, तू इतनी सुन्दर है, दूध जैसी गोरी. तेरी फिगर भी एकदम बॉलीवुड की हीरोइन की तरह है. कॉलेज में तो बहुत से लड़के तेरे पीछे होंगे ना?


भाभी के इस सवाल पर पायल थोडा शर्मा जाती है.


पायल : (थोडा शर्माते हुए) हाँ..!! पीछे तो पड़ते है...लेकिन भाभी मैं किसी को भी भाव नहीं देती... गॉड प्रॉमिस....


उर्मिला : अरे मैं ये सब एक सहेली के नाते पूछ रहीं हूँ. ऐसा नहीं है की मैं ये सब घरवालों को बता दूंगी. और एक राज़ की बात बताऊँ? मैं जब कॉलेज में थी तो मैंने एक साथ ३ लड़कों को फंसा रखा था....


उर्मिला की बात सुन के पायल फ़ोन लॉक कर के बिस्तर पर उठ के बैठ जाती है और बड़ी बड़ी आँखों से भाभी को देखते हुए कहती हैं.


पायल : क्या बोल रहे हो आप भाभी? एक साथ ३ लड़के?


उर्मिला : हाँ और क्या? कोई मेरा फ़ोन रिचार्ज करा देता था, कोई मुझे शौपिंग करा देता था तो कोई रोज मुझे कॉलेज से लेने और छोड़ने आता था.


पायल : (हँसते हुए) भाभी आप भी ना...!! सच में..!! ये सोच के ही मेरा दिल घबरा रहा है.


उर्मिला : क्यूँ ? वो लड़के मुझे गर्लफ्रेंड बना के अपने दोस्तों के सामने इतरा सकते है तो उसका थोडा भुगतान तो करना ही पड़ेगा ना?


पायल : लेकिन भाभी .... फिर तो वो लड़के भी आपके साथ 'वो' सब करते होंगे ना....


उर्मिला : वो सब? जरा खुल के बोलो पायल रानी. ये भाषा मेरी समझ में नहीं आती.


पायल : (मुस्कुराते हुए ) आई मीन भाभी...किस्सिंग, यहाँ वहां हाथ लगाना.....


उर्मिला : हाँss..!! थोडा बहुत तो करने देती थी. लेकिन इस से कभी कुछ ज्यादा नहीं.


पायल (मुस्कुराते हुए) हम्म...! मतलब आपने अपने आप को भैया के लिए बचा के रखा था, हैं ना?


उर्मिला : मैंने ऐसा तो नहीं कहा ....


भाभी का जवाब सुन के पायल के चेहरे का रंग उड़ जाता है.


पायल : मतलब भाभी आपने.... शादी से पहले ही वो सब.....


उर्मिला : शादी से पहले? पगली उस वक़्त तो मैं स्कूल में थीं, १२ वीं कक्षा में.


पायल : (बड़ी बड़ी आँखे कर के) बापरे भाभी..!! स्कूल में ही? वो क्या आपकी क्लास में था?


उर्मिला : अब वो कौन था ये मत पूछ. तू यकीन नहीं करेगी.


पायल : (हाथो से भाभी की जांघो को झिंझोड़ते हुए) भाभी प्लीज... बताइए ना...कौन था वो...प्लीज भाभी....


उर्मिला : रहने दे पायल. मेरी सारी बातें जान लेगी और जब तेरी बारी आएगी तो मुझे कुछ नहीं बताएगी तू.


पायल : सच भाभी...मैं भी आपसे कुछ नहीं छूपाउंगी....गॉड प्रॉमिस...(पायल अपने गले को छु कर कहती है)


उर्मिला : वादा करती है? मुझसे सब शेयर करेगी? कभी कुछ नहीं छुपाएगी?


पायल : हाँ भाभी ... आई प्रॉमिस...


उर्मिला : (दोनों पैरों को उठा के बिस्तर पर रख लेती है और एक गहरी सांस लेकर) वो मेरे सगे चाचा का लड़का था, मेरा चचेरा भाई...


उर्मिला की बात सुन के पायल की आँखे बड़ी बड़ी हो जाती है, मुहँ खुल जाता है और उसका हाथ अपने आप ही मुहँ पर आ जाता है.


पायल : माई गॉड भाभी....आपने अपने भाई के साथ ही......


उर्मिला : तो इसमें क्या है पायल? देख ... जब लड़की की जवानी में आग लगती है ना, तो उसे सिर्फ लंड दिखाई देता है. अब वो लंड किसका है इस बात से उसे कोई फरक नहीं पड़ता. उस लंड से बूर की प्यास बुझनी चाहिए बस.


पायल : (उर्मिला की बात से पायल कुछ हद तक सहमत है) बात तो आपकी ठीक है भाभी. लेकिन.....(पायल कुछ सोच में पड़ जाती है)


उर्मिला : लेकिन? बोल ना? क्या पूछना चाह रही थी तू?


पायल : (थोड़ी हिचकिचाते हुए एक बार उर्मिला की और देखती है फिर नज़रे झुका के ऊँगली से दुसरे हाथ की ऊँगली के नाख़ून को कुरादने लगती है. उर्मिला भी उसे समय देती है. कुछ समय की ख़ामोशी के बाद) भाभी... मैं ये बोल रही थी की आपकी बात से मैं सहमत हूँ की जब लड़की को कुछ कुछ होता है...(उर्मिला एक बार फिर पायल की बात काट देती है)


उर्मिला : ये क्या शाहरुख़ खान और काजोल की फिल्म चल रही है? मैडम .... फिल्म में जो 'कुछ कुछ होता है' वो दिल में होता है, यहाँ जो 'कुछ कुछ होता है' वो बूर में होता है. और मैंने तुझसे कहा ना की मेरी समझ में ये भाषा नहीं आती. खुल के बोल....


पायल : (उर्मिला की बात सुन के पायल को जोरो की हँसी आ जाती है. वो हँसते हुए कहती है) हाहाहाहाहा भाभी...आप भी ना..!! (फिर अपनी हंसी को काबू करते हुए) अच्छा भाभी आई एम सॉरी ... अब मैं उसी भाषा का इस्तेमाल करुँगी जो आपको समझ आती है, अब ठीक है?


उर्मिला : ये हुई ना बात...!! अब बोल, क्या पूछ रही थी तू ?


पायल : भाभी मैं बोल रही थी की आपकी बात से मैं कुछ हद तक सहमत हूँ की जब किसी लड़की को कु...मेरा मतलब है की उसकी बूर में आग लगती है तो उसे सिर्फ लंड ही दीखता है. लेकिन भाभी इसका ये मतलब तो नहीं की वो किसी का भी लंड ले ले... चचेरा भाई भी तो आखिर भाई ही होता है ना?


उर्मिला : पगली तू चचेरे भाई की बात कर रही है ? यहाँ को लड़कियां अपने सगे भाई का लंड भी ले लेती है....


उर्मिला की बात सुन के पायल की आँखे बड़ी हो जाती है, मुहँ खुल जाता है. कुछ ही क्षण में पायल हाथों से अपने कान बंद कर लेती है.


पायल : छीssss भाभी...!!! कुछ भी बोल रही हैं आप.


उर्मिला : अरे सच बोल रही हूँ. भाई तो छोड़, लडकियाँ तो अपने बाप का लंड भी ले लेती है....


ये सुन के पायल फिर से हाथों से अपने कान बंद कर लेती है और आँखे भी.


पायल : छीssssss भाभी...आप कितनी गन्दी हो...


उर्मिला : वाह री मेरी ननद रानी..!! बाहर कोई लड़की अपने बाप भाई से चुदवाये और गन्दी बनू मैं?


पायल : भाभी मेरे कहने का मतलब है की कहीं भी ऐसा कुछ नहीं होता. ये सब आप मुझे परेशान करने के लिए बोल रहीं है...हैं ना?


उर्मिला : हाँ हाँ ... तू मेरी सबसे बड़ी दुश्मन जो है. मैं तुझे वही बता रही हूँ पायल जो सच में घरों में होता है. तुझे परेशान कर के मुझे क्या मिलेगा ?


पायल : लेकिन भाभी मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा की ऐसा भी कुछ होता है.


उर्मिला : और अगर मैंने साबित कर दिया की ऐसा होता ही नहीं बल्कि बहुत ज्यादा भी होता है तो ?


पायल : (भाभी का आत्मविश्वास देख के थोड़ा हिचकिचा जाती है) तो...तो...तो मैं आपकी बात मान लुंगी..


उर्मिला : फिर ठीक है. तू यहीं रुक, मैं ५ मिनट में आती हूँ.


उर्मिला कमरे से बाहर चली जाती है. उसके जाते ही पायल एक हाथ अपने सर पर रखती है और 'धम्म' से बिस्तर पर गिर जाती है. "ओह माई गॉड...!!! भाभी ये सब क्या बोल रही थी?", उसके मन में उथल पुथल होने लगती है. कई सवाल एक साथ उसके मन में उठने लगते हैं. "कोई लड़की अपने ही पापा और भाई के साथ....?? नो नेवर...ऐसा हो ही नहीं सकता...". पायल अपने मन को यकीन दिलाने की कोशिश करती है की ये सब मात्र एक झूठ था. लेकिन उसके अन्दर एक उत्सुकता भी थी जो उसे कहीं ना कहीं उर्मिला की बातों पर यकीन करने के लिए उकसा रहा थी. "अगर भाभी की बात सच हुई तो?....क्या सच में कोई लड़की अपने पापा और भाई का लंड ले सकती है?". ऐसे ही कई सवालों में घिरी पायल बिस्तर पर लेट के उर्मिला का इंतज़ार करने लगती है.


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५ मिनट के बाद उर्मिला पायल के कमरे में आती है. उसके हाथ में एक किताब है. वो आ कर पायल के पास बैठ जाती है.


पायल : ये क्या है भाभी?


उर्मिला : (किताब पायल के हाथ में देते हुए) "मेरी सहेली"... इसके बारें में सुना तो होगा ना तुने?


पायल : (किताब हाथ में लेती है) हाँ भाभी...ये तो बहुत से लडकियाँ और औरतें पढ़ती है. मेरी बहुत सी फ्रेंड्स के घरों में ये किताब है. लेकिन इस किताब का आपकी बात से क्या लेना देना?


उर्मिला : लेना देना नहीं होता तो मैं ले कर ही क्यूँ आती? अच्छा... अब तू ये तो मानती है ना की ये किताब बहुत प्रचलित है और सभी इसे पसंद करते है?


पायल : हाँ....मानती हूँ..


उर्मिला : (मुस्कुराते हुए किताब के पन्नों को पलटने लगती है. एक पन्ने पर आ कर वो रुक जाती है और उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान छा जाती है) जरा पढ़ तो क्या लिखा है? ऊपर से पढ़.


पायल : (पायल पढ़ती है) "आपके सवाल, डॉ. अंजलि गुप्ता के जवाब" (वो उर्मिला की तरफ देखने लगती है)


उर्मिला : ऐसे क्या देख रही है? (उर्मिला उस पन्ने में एक जगह पर ऊँगली रखती है और कहती है) अब ये पढ़. और जरा जोर से पढ़ना.


पायल : (उरिला के दिखाए गए स्थान से पढ़ना शुरू करती है) "मेरा नाम रश्मि है, उम्र २३ साल. मैं कानपुर की रहने वाली हूँ. जब मैं २० साल की थी तब से मेरे शारीरिक संबंध पापा......"


इतना कहते ही पायल रुक जाती है. उसकी आँखे बड़ी और साँसे तेज़ हो जाती है. वो मुड़ के उर्मिला की और बड़ी बड़ी आँखों से देखने लगती है.


उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) क्या हुआ पायल रानी? आगे तो पढ़िये.....


पायल कुछ पल भाभी को वैसे हे देखती रहती है फिर धीरे धीरे अपनी नज़रें फिर से उस पन्ने पर ले जाती है.


पायल : (आगे पढ़ने लगती है) ... "मेरे शारीरिक संबंध पापा के साथ है. मेरी मम्मी एक हॉस्पिटल में नर्स है और वो नाईट शिफ्ट में काम करती है. मम्मी रोज रात ९ बजे हॉस्पिटल चली जाती है. उसके बाद मैं और पापा घर में अकेले ही.....


पायल फिर से रुक जाती है. वो अपने गले के थूक को किसी तरह से गुटकती है और उर्मिला को देखने लगती है. उर्मिला नज़रों के इशारे से उसे आगे पढ़ने कहती है. वो एक बार फिर नज़रे पन्ने में डाले पढ़ने लगती है.


पायल : (आगे पढ़ते हुए) "मैं और पापा घर में अकेले ही रह जाते है. रात भर मैं और पापा दिल खोल के संभोग करते है. कई बार तो संभोग करते हुए सुबह हो जाती है". (पायल एक गहरी सांस ले कर छोड़ती है फिर आगे पढ़ने लगती है). "यूँ तो पहले भी मेरा संबंध कुछ लड़कों के साथ रहा है लेकिन पापा के साथ जो आनंद और संतुष्टी मिलती है वो किसी और के साथ कभी नहीं मिली. अब तो लगता है की मैं पापा के बिना नहीं रह पाऊँगी. मेरा सवाल आपसे ये है की मेरे पापा के साथ इस नए रिश्ते का भविष्य क्या होगा?"


इतना पढ़ कर पायल उर्मिला को बड़ी बड़ी आँखों से देखने लगती है. भाभी ने जो कहा था वो उसे सच होता साफ़ दिख रहा था.


उर्मिला : पढ़ लिया?


पायल : जी...जी भाभी...


उर्मिला : अब जरा निचे डॉ. अंजलि गुप्ता का जवाब भी पढ़ ले. ये दिल्ली की बहुत बड़ी डॉक्टर है. तू भले ही उस लड़की का विश्वास ना करें, लेकिन डॉ अंजलि गुप्ता की बात तो मानेगी ना?


पायल : (झट से पन्ने पर फिर से नज़र डालती है और अंजलि गुप्ता का जवाब पढ़ने लगती है) "प्रिय रश्मि, इस उम्र में एक लड़की का उसके पिता, भाई या घर के अन्य पुरष की ओर आकर्षित होना आम बात है"....


उर्मिला बीच में कह देती है....


उर्मिला : देखा ....?? ये आम बात है. अब आगे पढ़...


पायल एक बार भाभी की ओर देखती है फिर आगे पढ़ने लगती है.


पायल : (आगे पढ़ते हुए) "बहुत सी लड़कियां घर में ही अपने पिता या भाई के साथ शारीरिक संबंध बना के उसका लुफ्त उठाती है और इसमें किसी भी प्रकार की शर्म या हया की कोई बात नहीं है. इसे मनुष्य के शरीर की आवश्यकता समझ कर इसका भरपूर आनंद उठाना चाहिए.


उर्मिला : (बीच में फिर से कह देती है) "इसे मनुष्य के शरीर की आवश्यकता समझ कर इसका भरपूर आनंद उठाना चाहिए...."...अब आगे पढ़...


पायल : (आगे पढ़ते हुए) "जहाँ तक बात इस संबंध के भविष्य की है, तो लड़कियों को ये समझना जरुरी है की कानूनी तौर पर इसका कोई भविष्य नहीं है. अगर आप अपने पिता के साथ शादी कर के घर बसाने का सोच रहीं है तो ये विचार आप त्याग दें. मैं आपको येही सलाह दूंगी की जब तक हो सके इसका आनंद लेती रहें. शादी के बाद भी आपका ये संबंध जारी रह सकता है. अगर आप अपने पिता से संतान चाहती....."


ये पढ़कर पायल रुक जाती है और तेज़ साँसों से भाभी की ओर देखने लगती है. उर्मिला अपनी भौहें ऊपर निचे करती है और इशारे से आगे पढ़ने कहती है.


पायल : (आगे पढ़ते हुए) "पिता से संतान चाहती है तो शादी के बाद ही इस बारें में सोचें. आशा करती हूँ की मेरी सलाह से आपको कोई दिशा जरुर मिली होगी. मेरी ओर से आपको और आपके पिता को ढेर सारी शुभकामनायें. डॉ अंजलि गुप्ता"...


पायल तेज़ साँसों से एक टक किताब में आँखे डाले देखे जा रही है. वो कुछ भी बोल नहीं पा रही, मानो उसकी जबान कट गई हो. उर्मिला मुस्कुराते हुए उसे देख रही है. कमरें में २ मिनट तक ख़ामोशी छाई रहती है. फिर उर्मिला पायल से कहती है.


उर्मिला : कहाँ खो गई मेरी लाड़ली ननद रानी? अब तो तुझे मेरी बात का यकीन हो गया ना?


पायल : (धीरे से नज़रें उठा के भाभी को देखती है) हाँ..हाँ भाभी...हो गया.


उर्मिला : लेकिन मैं तुझसे एक बात पर गुस्सा हूँ...


पायल : (भाभी की जांघो पर हाथ रखते हुए) किस बात पर भाभी ? मेरी कोई बात आपको बुरी लगी क्या?


उर्मिला : हाँ..लगी..तुमने मेरी बात पर विश्वास जो नहीं किया था. मुझे झूठी समझ रही थी ना? मैं क्या तुझसे कभी कोई झूठी बात कहूँगी?


पायल : (भाभी के गले लग जाती है और मानाने लगती है) आई एम रियली सॉरी भाभी...गलती हो गई. प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिये. अब से मैं प्रॉमिस करती हूँ की आप जो भी कहेंगी मैं सच मान लुंगी, कोई सवाल जवाब नहीं करुँगी...मान जाइये ना भाभी...प्लीज..


उर्मिला : (चेहरे पर मुस्कान लाते हुए) अच्छा अच्छा ठीक है. नहीं हूँ मैं अब गुस्सा.


पायल भाभी के गाल पे एक किस कर देती है.


पायल : मेरी अच्छी भाभी...


उर्मिला : अच्छा पायल अब मैं चलती हूँ. थोड़ा अराम कर लूँ.


उर्मिला वो किताब ले कर जाने लगती है. पायल की नज़रे उस किताब पर ही है. उसका दिल कर रहा था की वो "आपके सवाल, डॉ . अंजलि गुप्ता के जवाब" के वो सारे सवाल और जवाब पढ़े लेकिन वो अन्दर ही अन्दर डर रही थी की अगर वो भाभी से किताब मांगती है तो वो क्या सोचेंगी. कुछ क्षण वो सोचती है और अचानक से चिल्ला देती है....


पायल : भाभी....!!!!


उर्मिला : (पायल की आवाज़ सुन के पीछे घुमती है) हाँ पायल. क्या हुआ?


पायल : भाभी वो...वो ..अगर आपको इस किताब का काम ना हो तो यहीं रहने दीजिये. वैसे भी मैं बोर हो रही हूँ.


उर्मिला : (मुस्कुराते हुए पायल के पास आती है) थोड़ी देर पहले तो खुश थी, अब बोर होने लगी? अच्छा चल कोई बात नहीं. (उर्मिला किताब पायल के पास रख देती है) अभी तू पढ़ ले, मुझे जरुरत होगी तो मैं ले जाउंगी...


पायल : जी भाभी... थैंक्यू...


उर्मिला : कोई बात नहीं पायल ... (भाभी मुड़ के कमरे से बाहर चली जाती है)


उर्मिला के जाते ही पायल झट से उठ के दरवाज़े को अन्दर से लॉक करती है और किताब ले कर बिस्तर पर लेट जाती है. उसके हाथ तेज़ी से उस पन्ने को तलाशने लगते है जहाँ डॉ. अंजलि के साथ सवाल जवाब है. कुछ पन्नो को पलटने के बाद उसके हाथ रुक जाते है और नज़रे एक पन्ने पर जम जाती है. पन्ने का शीर्षक था, "आपके सवाल, डॉ . अंजलि गुप्ता के जवाब". पायल की नज़रें धीरे धीरे निचे होने लगती है और एक सवाल पर आ कर रुक जाती है. सवाल फिर से एक लड़की और उसके पिता के संभोग की कहानी बयां कर रहा था. पायल पहले बड़े ध्यान से उस सवाल को पढ़ती है और फिर जवाब को. एक के बाद एक पायल वो सारे सवाल और जवाबो को पढ़ती है जिसमे लड़कियों के पिता या भाई के साथ शारीरिक संबंध थे. कुछ ही मिनटों में उन ४ पन्नो को खत्म करने के बाद पायल किताब अपने सिरहान रखती है और सीधी हो कर बिस्तर पर लेट जाती है. उसकी साँसे तेज़ हैं और नज़रे ऊपर पंखे को देख रहीं है. तेज़ साँसों से पायल की बड़ी बड़ी चूचियां तेज़ी से ऊपर निचे हो रहीं है. उसके मन में जो सवाल पहले आये थे, 'कोई लड़की अपने ही पापा और भाई के साथ....?' , 'क्या सच में कोई लड़की अपने पापा और भाई का लंड ले सकती है', वो अब हवा हो चुके थे. नए सवालों ने उसके मन में जगह बना ली थी.


"जब रश्मि ने पहली बार अपने पापा का लंड बूर में लिया होगा तो उसे कैसा लगा होगा?", "क्या सच में लड़कियों को अपने पापा और भाई का लंड इतना अच्छा लगता है की वो किसी और के लंड के बारें में सोचती भी नहीं?". ऐसे कई नए सवालों के भवंडर में फंसी पायल की कब आँख लग जाती है उससे पता ही नहीं चलता.


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शाम के ४:३० बज रहे हैं. उर्मिला सो कर उठती है. अंगडाई ले कर वो बाथरूम में जाती है और मुहँ धो कर फ्रेश हो जाती है.

"कुछ घंटो पहले मैंने जो तीर चलाया था, देखते है की सही निशाने पर लगा या नहीं". ये सोच कर वो पायल के कमरे की रताफ चल देती है.


उर्मिला : (पायल के कमरे का दरवाज़ा खटखटाते हुए ) पायल...पायल..!! सो रही है क्या?


पायल : (आँखे खोलती है तो दरवाज़े पर कोई है. वो उठ कर दरवाज़ा खोलती है) अरे भाभी आप?


उर्मिला : हाँ... सो कर उठी तो सोचा की कुछ देर तेरे साथ बातें कर लूँ. मैंने तेरी नींद तो ख़राब नहीं कर दी ना?


पायल : अरे नहीं भाभी. मैं भी उठ हे गई थी. अन्दर आईये ना....


दोनों अंदर आ कर बिस्तर पर बैठ जाती है.


उर्मिला : कहाँ तक पढ़ ली किताब?


पायल : मेरा तो हो गया भाभी. आपको चाहिए तो आप ले जा सकती है.


उर्मिला : इतनी जल्दी पूरी किताब पढ़ ली तुने पायल? मैं तो एक हफ्ते से पढ़ रही हूँ लेकिन अब तक पूरी नहीं हुई.


पायल : (थोड़ी हिचकिचाते हुए) वो..वो..भाभी...ऐसे ही जो अच्छा लगा वो ऊपर ऊपर से पढ़ लिया ...पूरी किताब इतनी जल्दी कौन पढ़ सकता है?


उर्मिला : अच्छा चल छोड़ इस बात को. तू ये बता की अब ६ दिन गुजारेगी कैसे? तू तो अभी से ही बोर होने लगी है....


पायल : हाँ भाभी...मैं भी येही सोच रही हूँ. (कुछ देर चुप रहने के बाद). भाभी...आपके पास "मेरी सहेली" के और भी अंक होगें ना?


उर्मिला : (अपनी मुस्कान पर काबू पाते हुए) अरे कहाँ पायल. पिछली बार जब तेरे भईया आये थे तो उनके साथ बाज़ार से ले कर आई थी. उनके जाने के बाद कभी जाना नहीं हुआ. और तू तो जानती है की मैं अकेले उनके बिना कहीं जाती भी नहीं. अब तो वो एक हफ्ते बाद जब आयेंगे तब ही जाना होगा.


पायल : मेरा कॉलेज भी बंद है भाभी, नहीं तो मैं हीले आती.


दोनों कुछ देर वैसे ही खामोश रहते है. फिर उर्मिला कहती है.


उर्मिला : वैसे पायल मेरे पास वक़्त बिताने के लिए एक और किताब भी है.


पायल : (चेहरे पे उत्सुकता आते हुए) कौनसी किताब भाभी?


उर्मिला : है एक किताब. रात में जब भी तेरे भईया की याद आती है तो वो किताब पढ़ लेती हूँ.


पायल : (पायल आँखे बड़ी करते हुए) ऐसा क्या है उस किताब में भाभी?


उर्मिला : (दोनों हाथों से पायल के गाल खींचते हुए) मेरी डार्लिंग ननद जी....उस किताब में वो है जिसे पढ़ के .... वो क्या कहती है तू? हाँ....'कुछ कुछ होता है'.


पायल : (हँसते हुए) समझ गई भाभी...आपके दिल में 'कुछ कुछ होता है'. लगता है बहुत ही रोमांटिक किताब है....


उर्मिला : धत्त पगली...!! जिसकी नयी नयी शादी हुई हो और पति ज्यादातर घर से बाहर ही रहता हो उसके क्या दिल में कुछ कुछ होगा ? (मुस्कुराते हुए) वो किताब पढ़ के 'कुछ कुछ होता है' लेकिन दिल में नहीं, यहाँ ... बिल में...(उर्मिला अपनी ऊँगली से पायल की बूर तरफ इशारा करते हुए कहती है).


पायल : (भाभी का इशारा समझते ही शर्मा जाती है) धत्त भाभी... आप भी ना..!!


उर्मिला : क्या करूँ पायल? अब इसकी प्यास भी तो बुझाना जरुरी है ना? तेरे भैया नहीं तो ये किताब हे सही...


उर्मिला की बात सुन के पायल सर निचे झुका लेती है और धीरे धीरे मुस्कुराते हुए चादर पर ऊँगली घुमाने लगती है. कुछ क्षण की ख़ामोशी के बाद उर्मिला कहती है.


उर्मिला : तुझे वो किताब मैं दे सकती हूँ, लेकिन दूंगी नहीं...


पायल : (झट से भाभी की तरफ देखती है) क्यूँ भाभी?


उर्मिला : कहीं तुने मम्मी जी को बता दिया तो?


पायल छलांग लगा के उर्मिला के सामने आ जाती है...


पायल : नहीं बताउंगी भाभी...किसी को भी नहीं बताउंगी ...गॉड प्रॉमिस...!!


उर्मिला : (चेहरे पे मुस्कान आ जाती है) जानती हूँ मेरे लाडों ...तू किसी से नहीं कहेगी. मैं तो बस यूँ ही मज़ाक कर रही थी. ठीक है, रात में तुझे दे दूंगी वो किताब.


पायल : (झट से कहती है) अभी दीजिये ना भाभी.....


पायल की इस बात पर उर्मिला उसे मुस्कुराते हुए देखने लगती है. पायल समझ जाती है की भाभी ने उसकी उत्सुकता भांप ली है. वो बात को संभालने के लिए कहती है.


पायल : भाभी मेरा मतलब था ...की..वो.. मेरे पास अभी कुछ करने को नहीं हैं ना, तो मैं सोच रही थी की अभी पढ़ लेती हूँ. वैसे भी रात में मुझे कॉलेज का काम करना है.


उर्मिला : हाँ ...तेरी बात भी सही है. चल मेरे साथ. तुझे वो किताब दे दूँ.


दोनों उर्मिला के कमरे में आते हैं. उर्मिला अलमारी खोल के कपड़ों के निचे से एक किताब निकाल के पायल को देती है.


उर्मिला : जल्दी ले इसे और अपनी टॉप में छुपा ले. और याद रहे, किसी को पता ना चले...


पायल : (किताब झट से अपनी टॉप में छुपा लेती है) डोंट वरी भाभी...किसी को पता नहीं चलेगा...अब मैं चलूँ?


उर्मिला : हाँ ठीक है...


पायल किताब को अपनी टॉप में छुपाये दौड़ती हुई कमरे से बाहर जाने लगती है. पीछे से उर्मिला कहती है, "ध्यान से पायल". पायल दौड़ते हुए जवाब देती है, "जी भाभी" और कमरे से निकल जाती है. उसके जाने के बाद उर्मिला के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान छा जाती है. "पायल रानी...जब तू ये किताब पढ़ेगी तो तेरी बूर में वो आग लगेगी जो सिर्फ कोई लंड ही बुझा सकेगा और घर में अभी दो ही लंड है. एक सोनू का और एक बाबूजी का. मैं भी देखती हूँ की तेरी बूर में पहले किसका लंड जाता है, सोनू या बाबूजी का". उर्मिला मुस्कुराते हुए रसोई की ओर चल देती है.


वहां पायल अपने कमरे में घुसते ही दरवाज़ा बंद करती है और लॉक करके सीधा बिस्तर पर छलांग लगा देती है. अपनी टॉप के अन्दर से किताब निकाल कर वो बड़े ध्यान से देखती है. कवर पर एक अधनंगी लड़की की तस्वीर है. ऊपर बड़े बड़े अक्षरों में "मचलती जवानी" लिखा हुआ है और निचे लेखक का नाम है - "मस्तराम".



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