घरेलू चुते और मोटे लंडPart-5

 घरेलू चुते और मोटे लंडPart-5


छेदी उर्मिला की कमर पकडे पीछे से धक्के पर धक्के लगाये जा रहा था. पास खड़ा तगड़ा आदमी अब ब्लाउज के ऊपर से उर्मिला के दूध दबाने शुरू कर दिए थे. दूसरा तगड़ा आदमी सामने से उर्मिला के बदन से चिपक चूका था. उर्मिला आँखे बंद किया मजे लिए जा रही थी. रमेश ये सब देख कर पूरे जोश में आ चूका था. उसने साथ बैठी पायल का हाथ पकड़ा और अपनी धोती में घुसा लिया. धोती में रमेश का लंड फुदक रहा था. पायल ने पापा के लंड को अपने हाथ में जकड लिया और चमड़ी ऊपर निचे करने लगी. रमेश उर्मिला को आँखे फाड़-फाड़ के देख रहा था. तभी छेदी ने पीछे से अपनी कमर उर्मिला की चुतड पर जोर से दे मारी और एक हाथ से उसका दूध भी दबा दिया. ये देख कर पायल के हाथ में रमेश का लंड उच्छल पड़ा. पायल तेज़ धडकनों के साथ पापा के लंड को किसी तरह से संभाल रही थी. वो अब समझ चुकी थी की पापा का लंड पूरी तरह से बेकाबू हो चूका है.


रमेश अब अपने आप को और नहीं रोक सकता था. वो एकदम से चिल्ला पड़ा. "बस रोको भाई....!!!". पायल पापा का मुहँ देखने लगी. बस अभी भी अगले स्टॉप से बहुत दूर थी और फिलहाल किसी घने जंगल से गुजर रही थी. रात के ९:१५ बज रहे थे और पापा का इस तरह से बस को रुकवाना उसके समझ से बाहर था. ड्राईवर रमेश की आवाज़ सुन कर बस रोक देता है. छेदी और दोनों तगड़े आदमी भी चुप-चाप खड़े हो जाते है. रमेश अपनी सीट से उठ कर बस के सामने वाले दरवाज़े की और धक्का-मुक्की करते हुए जाने लगता है. उसके पीछे पायल और उर्मिला भी चल पड़ते है. बस के दरवाज़े के पास पहुँचते ही ड्राईवर कहता है.


ड्राईवर : अरे बाउजी...यहाँ कहाँ उतरोगे? ये तो जंगल है. बस स्टॉप तो अभी ५ की.मी आगे है.


रमेश : अरे नहीं भाई. हमारी गाड़ी आ रही है. इसलिए यहाँ उतर रहे है.


रमेश, पायल और उर्मिला के साथ निचे उतर जाते है. बस भी उन्हें छोड़ कर धीरे-धीरे आगे निकल जाती है. वो तीनो सड़क के किनारे खड़े हो जाते है. सड़क के दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ है और पीछे ऊँची-ऊँची झाड़ियाँ. उर्मिला और पायल थोड़ा डरते हुए आसपास देखते है. अँधेरा, सड़क पर एक भी बत्ती नहीं और एकदम सुनसान जगह. पायल पापा से धीरे से पूछती है.


पायल : पापा...हम यहाँ क्यूँ उतर गए?


उर्मिला : हाँ बाबूजी...यहाँ से हम आगे कैसे जायेंगे? हमारी गाड़ी तो अभी बनी भी नहीं होगी.


रमेश दोनों को घूर के देखते है. उनकी साँसे तेज़ है. वो पायल और उर्मिला से कहते हैं.


रमेश : जानता हूँ बेटा. यहाँ से हमे आगे जाने के लिए शायद ही कुछ मिले , लेकिन मैं भी क्या करता. बस में जो तुम लोगों के साथ हो रहा था वो मैं और नहीं देख सकता था.


उर्मिला : आपकी बात मैं समझती हूँ बाबूजी. और इसमें आपका कोई दोष नहीं है. आज मेरे और पायल के साथ जो कुछ भी हुआ वो तो उन बदमाशों की वजह से हुआ.


पायल : हाँ पापा...इसमें आपकी की कोई गलती नहीं है.


रमेश एक बार दोनों को बारी-बारी से ऊपर से निचे तक देखते है. फिर वो उर्मिला से पूछते है.


रमेश : बहु...सच-सच बताना...उन लोगों ने तुम्हारे साथ क्या क्या किया?


उर्मिला समझ जाती है की बाबूजी को ये सब सुनकर जोश आ जाता है. वो भी भोलेपन के साथ कहती है.


उर्मिला : बाबूजी...वो सब मेरे बदन के साथ खेल रहे थे...


रमेश : (उत्तेजित जोते हुए) कैसे खेल रहे थे बहु? जरा खुल के बताओ ना...


उर्मिला : बाबूजी...जो आदमी मेरे पीछे खड़ा था वो तो मेरे पिछवाड़े में अपना लंड घुसाने के चक्कर में था. वो तो अच्छा हुआ की मैंने साड़ी पहन रखी थी. सामने वाले दो आदमी मेरे दूध से खेल रहे थे.


रमेश : (तेज़ सांसों से) वो दोनों तुम्हारे दूध भी दबा रहे थे क्या बहु?


उर्मिला : हाँ बाबूजी...दोनों ने मिलकर मेरे दूध को खूब दबाया. एक आदमी तो पीछे से मेरी ब्रा के हुक तक खोलने की कोशिश कर रहा था....


रमेश : उफ़ बहु....कितनी कमीने थे वो तीनो....


फिर रमेश पायल की तरफ घूम जाते है और पूछते है.


रमेश : पायल बेटी. तुम्हारे साथ वो दो बदमाशो ने क्या किया?


पायल पापा को पहले ही मजा लेते देख चुकी थी. वो भी समझ जाती है की पापा जान बुझ कर उसके मुहँ से वो सब सुनकर अपना लंड खड़ा करना चाहते है. वो कहने लगती है.


पायल : बहुत बुरा किया पापा. पहले तो पीछे से स्कर्ट के ऊपर से मेरी चूतड़ों पर खूब लंड रगडा. फिर मेरी टॉप में हाथ दाल कर मेरे दूध दबाने लगा.


रमेश : उफ़ पायल बिटिया...!! बहुत जोरो से दबा रहा था क्या?


पायल : हाँ पापा...पूरा दबोच ले रहा था. और तो और वो मेरे निप्पल भी अपनी उँगलियों के बीच रख कर मसल रहा था.


इतना सुनते ही रमेश अपने होश खो बैठते है. वो पायल का कन्धा पकडे उसे दूसरी तरफ घुमा देते है और उसकी उभरी हुई चूतड़ों पर अपनी कमर पूरी पीछे ले जा कर जोरदार ४-५ ठाप मार देते है. हर एक ठाप इतनी जोरदार थी की पायल हर ठाप पर झटके खा कर पूरी हिल जा रही थी. अगर रमेश ने पायल के कन्धों को न पकड़ रखा होता तो पायल झटका खा कर दूर जा गिरती.


पायल : आह...आह..पापा...!!


ये देख कर उर्मिला भी डर जाती है. वो झट से यहाँ-वहाँ देखने लगती है. वो तीनो सड़क के किनारे खड़े है और उर्मिला को डर था की उस सुनसान जगह पर किसीने बाबूजी को पायल के साथ ऐसा करते देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी. वो बाबूजी से कहती है.


उर्मिला : बाबूजी...ऐसा मत करिए...कोई देख लेगा...


उर्मिला की बात सुनकर रमेश भी होश में आ जाते है. वो पायल के कंधे से अपने हाथ हटा लेते है. सर का पसीना पोचते हुए वो कहते है.


रमेश : मांफ करना बहु.....माफ़ करना पायल बेटी. मैं जोश में अपने होश खो बैठा था.


ये सुन कर पायल पापा के पास आती है.


पायल : हम दोनों आपकी हालत समझ सकते है पापा. हम दोनों की भी हालत आप ही की तरह है, लेकिन इस सड़क पर तो कुछ नहीं कर सकते है ना पापा...


पायल की बात सुनकर रमेश सड़क के निचे देखते है. बड़े-बड़े पेड़ों के पीछे घनी झाड़ियाँ है. वो कुछ क्षण के लिए कुछ सोचते है और फिर कहते है.


रमेश : जितना मैं जानता हूँ, इस जंगल में जानवर के नाम पर बस कुछ जंगली सूअर ही है. वो भी ज्यादातर खेतों के आसपास होते है. इन बड़े पेड़ों के पीछे घनी झाड़ियाँ ही है.


उर्मिला : (आँखे फाड़-फाड़ के) आप कहना क्या चाह रहे है बाबूजी?


रमेश : अब मुझसे नहीं रहा जा रहा है बहु...धोती में मेरे लंड ने परेशान कर रखा है. ये देखो...


रमेश अपनी धोती हटा के ११ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा लंड दिखा देते है. उर्मिला और पायल भी लंड देख कर मस्त हो जाते है. रमेश अपनी धोती निचे कर आगे कहते है.


रमेश : एक बार चल के तो देखते है बहु की झाड़ियों के पीछे क्या है. हमारा काम बन भी सकता है या नहीं...


उस जंगल में कोई रुकना भी पसंद ना करें और ये तीनो अपनी-अपनी हवस के मारे वहां अपने ही जुगाड़ में लगे थे. उर्मिला और पायल एक दुसरे को देखते है और एक साथ बाबूजी से कहते है...


उर्मिला - ठीक है बाबूजी...


पायल : हाँ ठीक है पापा...


रमेश पायल का हाथ पकड़ लेते है और उर्मिला के साथ यहाँ-वहाँ देखते हुए धीरे-धीरे सड़क से उतरने लगते है. उर्मिला सड़क के दोनों ओर ध्यान रखे हुए है की कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है. बाबूजी भी आसपास ध्यान से देख रहे है की कोई है तो नहीं. इसी तरह छुपते-छुपाते तीनो धीरे-धीरे पेड़ के पीछे की झाड़ियों के बीच से होते हुए दूसरी तरफ निकल जाते है. झाड़ियों के उस पार निकलते ही बड़े-बड़े पेड़ हैं जो आपस में कुछ दुरी पर लगे हुए है. पेड़ों से कुछ ही आगे एक बड़ा सा मैदान है जिसके आगे फिर से घना जंगल. रमेश मुड़ के सड़क को देखने की कोशिश करते है तो बीच में घनी झाड़ियाँ है और उसके आगे पेड़. सड़क दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है. सामने देखते है तो वो बड़ा सा मैदान और फिर जंगल. रमेश समझ जाते है की यहाँ पर किसी की नज़र नहीं जा पायेगी. वो पायल को ऊपर से निचे घूरते हुए देखने लगते है. पायल भी तेज़ साँसों से पापा को देखने लगती है.


रमेश पायल का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लेते है. पायल किसी कटी पतंग की तरह लहराती हुई पापा की छाती से चिपक जाती है. रमेश पायल के गुलाबी ओंठों को चूसने लगते है. एक हाथ उसकी टॉप में घुसा कर उसके एक दूध को पकड़ कर जोर-जोर से दबाने लगते है. पायल कसमसाती हुई अपनी जीभ बाहर निकाल देती है तो पापा भी अपनी जीभ निकाल कर पायल की जीभ पर घुमाने लगते है. बाप-बेटी की जीभ आपस में एक दुसरे से ऐसे लिपट रही है मानो दो प्यार करने वाले कई सालों के बाद मिले हो. कुछ देर ऐसे हे एक दुसरे की जीभ चाटते और ओंठ चूसते पापा और पायल अपने मुहँ को अलग करते है. दोनों के ओंठ एक दुसरे की लार से भरे हुए है. उर्मिला दोनों को देखती है तो धीरे से कहती है.


उर्मिला : बाबूजी...आप लोग निचे बैठ जाइये...


उर्मिला की बात सुन कर रमेश पायल को बाहों में लिए निचे बैठ जाते है. पापा पायल की टॉप को निचे से दोनों हाथों से पकड़ते है तो पायल अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा देती है. पापा धीरे-धीरे टॉप को ऊपर उठा कर पायल के बदन से अलग कर देते है. पायल के दोनों दूध के आजाद होते ही पापा दोनों को अपने हाथों से पकड़ कर आपस में दबा देते है और फिर अपने मुहँ में एक निप्पल भर लेते है. धीरे-धीरे निप्पल को चूसते हुए पापा पायल के दोनों दूधों को दबाने लगते है. पायल मस्ती में आंख्ने बंद किये अपने दोनों हाथों को उठा के अपने बालों को पीछे करने लगती है. पायल का आधा नंगा शरीर पापा के अन्दर जोश पैदा कर रहा था. रमेश उर्मिला की तरफ देख कर कहते है.


रमेश : बहु...जरा पायल की स्कर्ट और पैन्टी उतार देना.


उर्मिला झट से निचे बैठ जाती है और पायल की स्कर्ट खींच कर उतार देती है. और फिर धीरे-धीरे उसकी पैन्टी भी. इस काम में पायल भी अपनी चुतड ऊपर उठा कर उर्मिला की मदद करती है. अब पायल पापा के सामने पूरी नंगी बैठी थी. पापा पायल की जवानी को एक बार अच्छे से देखते है फिर उसे अपने हाथों का सहारा देते हुए ज़मीन पर लेटा देते है. पायल के लेटते ही रमेश उसके पास बैठ जाते है और निचे झुक कर उसके एक दूध का निप्पल अपने मुहँ में भर लेते है. चूसते हुए रमेश पायल का निप्पल मुहँ में पकडे हुए जब अपना सर ऊपर उठाते हैं तो पायल का दूध भी ऊपर उठता चला जाता है. पापा पायल के दूध को मुहँ में भर कर ऐसे खींच रहे थे की दूध के साथ पायल को भी अपना सीना ऊपर उठा देना पड़ रहा था. जब वो दूध को अपने मुहँ में भर कर पूरा ऊपर खींच कर छोड़ते तो पायल का दूध उसके सीने पर टकराकर किसी स्प्रिंग की भाँती उच्चलने लगता. वैसे ही रमेश पायल के दुसरे दूध के निप्पल को भी मुहँ में पकड़ के ऊपर उठा के छोड़ते है तो वो भी पायल के सीने से टकरा कर स्प्रिंग की तरह उच्छलने लगता है. बारी-बारी दोनों दूध के निप्पल से खेल कर रमेश पायल से कहते है.


रमेश : पायल बेटी. गाड़ी में तेरे पीछे वाले छेद की गंध ली थी. मैं तो मदहोश हो गया था. अपने पापा को फिर से सूंघने देगी अपने पिछवाड़े की गंध.


रमेश की बात सुन कर पायल को हैरानी होती है. वो पापा से कहती है.


पायल : पापा सच में आपको मेरे पिछवाड़े के छेद की गंध इतनी पसंद आई?


रमेश : हाँ बेटी...सच. मेरा तो गाड़ी में ही दिल कर रहा था की तेरे पिछवाड़े में अपना मुहँ घुसा कर एक बार अच्छे से सूंघ लूँ.


पायल : उफ़ पापा...!!


रमेश ज़मीन पर सीधे लेट जाते है और पायल से कहते है.


रमेश : आजा बेटी...पापा के मुहँ पर अपनी चुतड खोल के बैठ जा.


पायल खड़ी होती है और जैसे ही रमेश के मुहँ का पास जाने को होती है, उर्मिला उसका हाथ पकड़ लेती है. वो पायल को घुमा कर पीठ रमेश के सर की तरफ कर देती है. पायल भी समझ जाती है की उसे क्या करना है. वो मुस्कुराते हुए पापा के सर की तरफ अपनी पीठ कर के अपने दोनों पैरों को उनके सर के इर्द-गिर्द रख देती है और अपनी चूतड़ों को हांथों से खोले और घुटनों को मोड़े धीरे-धीरे रमेश के मुहँ पर बैठने लगती है. निचे रमेश अपनी जीभ निकाले पायल की खुली चूतड़ों के लिए तैयार है. पायल दोनों हाथों से चूतड़ों को खोले रमेश के मुहँ पर बैठ जाती है. रमेश की जीभ सीधे पायल की गांड के छेद पर लग जाती है. अपनी जीभ को छेद पर घुमाते हुए रमेश धीरे-धीरे पायल की गांड की गंध भी सूंघ रहा है. उस पर मदहोशी छाने लगती है. पायल जब रमेश को पूरा मजा लेते हुए देखती है तो वो भी आगे झुक कर अपने दूध पापा के पेट पर रख देती है और उनके लंड को मुहँ में भर लेती है. पायल के आगे झुकने से उसकी चुतड और भी ज्यादा खुल जाती है और थोड़ी ऊपर उठ जाती है. अब रमेश की आँखों के सामने पायल की गांड का छेद अच्छे से दिख रहा है. रमेश अपनी नाक छेद पर लगा कर जोर से साँस लेता है तो छेद की गंद से वो पागल सा हो जाता है. अपनी कमर को झटके देते हुए वो पायल के मुहँ की चुदाई करने लगता है. बीच-बीच में रमेश पायल की बूर में जीभ डाल कर घुमा देता है तो पायल भी रमेश के लंड को मुहँ में भरे हुए कस कर चूस लेती है. जब पायल मस्ती में अपनी चुतड उठा देती तो रमेश अपने मुह में पायल की बूर भर लेता. रमेश का खुला हुआ मुहँ पायल की बूर को चारों तरफ से घेर लेता और जब वो बूर को चूसते तो बूर के ओंठ रमेश के मुहँ में चले जाते. अपनी बेटी की बूर को चूसने में आज रमेश को बड़ा मजा आ रहा था. बूर से चिप-चिपा पानी निकल कर रमेश में मुहँ में लगातार जा रहा था जिसे वो चूसते हुए निगल रहे थे.


उर्मिला भी पास ही बैठ कर बाप-बेटी की क्रीडा देख रही थी और अपनी बूर में दो उंगलियाँ अन्दर-बाहर कर रही थी. तभी उसकी नज़र सामने खाली मैदान पर जाती है. वो देखती है की २-३ मर्द हाथों में लोटा लिए चले आ रहे है. उसकी जान सुख जाती है. वो झट से बाबूजी और पायल के पास हो जाती है और धीरे से कहती है.


उर्मिला : बाबूजी...वो देखिये..कुछ लोग लोटा लिए चले आ रहे है. चलिए भागिए जल्दी से...


रमेश और पायल हडबडा कर उस ओर देखते है. वो लोग बातें करते हुए मैदान की तरफ आ रहे है. पायल झट से पापा का लंड छोड़ कर खड़ी हो जाती है और अपने कपड़े उठा लेती है. रमेश भी झट से खड़े हो कर अपनी धोती संभालने लगते है. रमेश, उर्मिला और पायल धीरे-धीरे बिना आवाज़ किये झाड़ियों के बीच घुस जाते है. सामने उर्मिला है, बीच में पायल जो नंगी है और हाथ में कपडे लिए और उसके पीछे रमेश. ऐसे नाज़ुक समय में भी रमेश का लंड पायल की नंगी चुतड देख कर खड़ा का खड़ा ही था. धीरे-धीरे चलते हुए तीनो झाड़ियों से निकल कर बड़े-बड़े पेड़ों के बीच आ जाते है. सामने कुछ दुरी पर थोड़ी उंचाई पर सड़क है. पेड़ों के बीच खड़े हो कर पायल जैसे ही अपने कपडे पहनने जाती है, रमेश उसे रोक लेते है.


रमेश : बस २ मिनट रुक जाओ पायल बेटी. (फिर उर्मिला को देखते हुए) बहु...अपनी साडी उठा कर मेरे पास आ जाओ. मुझे बस ५ मिनट लगेंगे. घर पहुँचने का इंतज़ार अब मैं नहीं कर पाउँगा.


उर्मिला भी बाबूजी की बात समझ कर उनके पास आने लगती है. उर्मिला को अपनी बात मान कर पास आते देख रमेश झट से पायल के पीछे बैठ कर उसकी चुतड को हाथों से खोल देता है और अपना मुहँ घुसा कर सूंघने और चाटने लगता है. पायल भी आगे झुक कर पापा को अपनी चुतड सुंघने और चाटने में मदद करती है. तब तक उर्मिला अपनी साड़ी उठाये रमेश के पास आ जाती है. रमेश उर्मिला को देखता है तो झट से खड़े हो कर अपने लंड को एक बार मसलता है और उर्मिला की कमर को दोनों हाथो से पकड़ कर उसे उठाता है. उर्मिला भी उच्छल कर अपनी टाँगे बाबूजी की कमर में लपेट लेती है. रमेश एक हाथ से अपने लंड को उर्मिला की बूर के मुहँ पर रखते है तो उर्मिला बाबूजी की कमर पर अपने पैरों की पकड़ को ढीला करती है. जैसे ही पकड़ ढीली होती है, उर्मिला फिसल कर बाबूजी के लंड पर बैठ जाती है. रमेश का लंड उर्मिला की बूर में घुसता चला जाता है. कुछ हे क्षण में रमेश का लंड उर्मिला की बूर में जड़ तक धंस जाता है. रमेश अपने मजबूर हाथों से उर्मिला की दोनों चूतड़ों को निचे से पकड़ लेते है और उर्मिला उनके लंड पर उच्छालना शुरू कर देती है. रमेश का लंड तेज़ी से उर्मिला की बूर के अन्दर-बाहर होने लगता है. उर्मिला बाबूजी के गले में बाहें डाले उनके लंड पर उच्छल रही है. रमेश भी अपनी कमर को झटके देते हुए पूरा लंड उर्मिला की बूर में पेल रहे है.


पास खड़ी पायल ने तब तक कपडे पहन लिए थे. वो एक बार सड़क पर नज़र डालती है और दूर से किसी गाड़ी की रौशनी दिखाई पड़ती है. वो झट से पलट कर कहती है.


पायल : पापा जल्दी करिए, कोई गाड़ी आ रही है.


पायल की बात सुन कर रमेश अपनी गति बढ़ा देते है. लंड को उर्मिला की बूर में १५-२० बार लगातार पेलने के बाद उनके लंड का पानी बूर में छुटने लगता है. उर्मिला को सीने में दबाये रमेश अपना सारा पानी उर्मिला की बूर में गिरा देते है. पूरा पानी निकलते ही लंड फिसल कर उर्मिला की बूर से निकल जाता है. रमेश उर्मिला को निचे उतार देते है. दोनों के चेहरे पर थकावट साफ़ दिखाई पड़ रही है. रमेश किसी तरह अपनी धोती ठीक करते है और उर्मिला पसीना-पसीना हो कर बिखरे बालों के साथ रुमाल से अपनी बूर पोंछने लगती है. रमेश और उर्मिला की नज़रे मिलती है तो दोनों मुस्कुराते देते है. तीनो चलते हुए सड़क पर आ जाते है. वो गाड़ी पास आती है तो पता चलता है की वो एक ऑटोरिक्शा है. रमेश सड़क पर आ कर उसे रोकते है. औटोवाला ऑटो रोक देता है.


रमेश : कहाँ जा रहे हो भाई?


औटोवाला : (तीनो को आश्चर्य से देखते हुए) मैं तो शहर जा रहा हूँ साब पर आप लोग इस जंगल में क्या कर रहे है.


रमेश : (घबराते हुए) वो...वो..हम...


उर्मिला : (झट से बीच में बोलते हुए) वो क्या है ना भाईसाहब...हमारी गाड़ी ख़राब हो गई थी तो हम लोग बस में आ रहे थे. अब बस में इतनी भीड़ थी की हमारी साँसे फूलनी लगी और हम यहीं पास में उतर गये. सोचा की कुछ मिल जायेगा घर जाने के लिए. अब आधे घंटे से कुछ मिला ही नहीं. वो तो आप इश्वर के रूप में आ गए वर्ना पता नही हमारा क्या होता.


उर्मिला की बात सुनकर औटोवाला खुश हो जाता है.


औटोवाला : अरे आप भी क्या बात कर रही हैं मेमसाब...आईये, बैठिये. मैं आपको घर छोड़ देता हूँ.


तीनो ऑटो में बैठ जाते है. रमेश बीच में बैठे है और दोनों तरफ उर्मिला और पायल. रमेश को उर्मिला पर गर्व महसूस हो रहा था. जितना खूबसूरत शरीर उतना ही उम्दा दिमाग. जितनी रसीली बूर उतना ही तेज़ दिमाग. वो अपना एक हाथ प्यार से उर्मिला की जांघ पर रख देते है. उर्मिला बाबूजी को देख कर मुस्कुरा देती है. पायल भी पापा का हाथ पकडे अपना सर उनके कंधे पर रख देती है. तीनो ऑटोरिक्शा में बैठे घर की तरफ चल देते है.



सोनू सोफे पर लेटे हुए अपने फ़ोन में नज़रे गड़ाये हुए है. सामने उमा चिंतित अवस्था में टहले जा रही है. रात के १०:३० हो चुके हैं और रमेश, पायल और उर्मिला का कोई अता-पता नहीं था. बार-बार घड़ी पर नज़र डालते हुए उमा दरवाज़े से बाहर गेट पर भी नज़र रखे हुए थी.


उमा : लल्ला...एक बार फिर से फ़ोन लगा कर देख.


सोनू : १० बार लगा चूका हूँ मम्मी...सबका फ़ोन नेटवर्क से बाहर बता रहा था. पता नहीं कहाँ हैं सब.


उमा : वो लोग जरुर जंगल के पास से गुज़र रहे होंगे. वहां तो बिलकुल भी नेटवर्क नहीं होता है. लल्ला...एक बार फिर से लगा के तो देख. हो सकता है उनकी गाड़ी अब जंगल से पार आ गई हो?


सोनू : ठीक है मम्मी.....


सोनू उर्मिला भाभी को फ़ोन लगता है और रिंग जाने लगती है.


सोनू : (उत्साह में) लग गया मम्मी.....हेलो...!!


उर्मिला : (दुसरे छोर से) हाँ हेलो...!!


सोनू : भाभी कहाँ हो आप लोग? कब से आप सब का फ़ोन लगा रहा हूँ, लग ही नहीं रहा था.


उर्मिला : अरे सोनू...हमारी गाड़ी खराब हो गई है. बड़ी मुश्किल से ऑटोरिक्शा मिला है. रास्ते में ही है.


सोनू : क्या? गाड़ी ख़राब हो गई? कब ? कैसे?


उर्मिला : बाप रे...!! एक साथ इतने सवाल? आ कर अराम से सब बताउंगी. मम्मी जी को बोल दे की चिंता न करें. हम लोग ४०-४५ मिनट में पहुँच जायेंगे. ठीक है?


सोनू : ठीक है भाभी...आप लोग जल्दी आईये....रखता हूँ...


सोनू के फ़ोन रखते ही उमा बोल पड़ती है.


उमा : क्या बोल रहा था तू? गाड़ी खराब हो गई? कैसे हो गई? कहाँ है वो सब?


सोनू : अरे मम्मी... भाभी ने कहा है की चिंता मत करिए सब ठीक है. गाड़ी ख़राब हो गई थी तो वो सब ऑटोरिक्शा में आ रहे है. घर आकर सब पता चल जायेगा. सब ठीक है. चिंता की कोई बात नहीं है.


उमा : (आँखें बंद कर सीने पर हाथ रखते हुए) हे भगवान...!! तेरा लाख-लाख शुकर है. मैं तो डर ही गई थी.


सोनू : आप तो ऐसे ही डर रही थी मम्मी.


सोनू फिर से सोफे पर लेटे हुए अपने फ़ोन में लग जाता है. उर्मिला जो अब तक डरी हुई थी, सब के ठीक होने की खबर से बहुत खुश है. कहते है की जब इंसान खुश होता है तो वो उसे अपने पसंद का काम करने में बड़ा मजा आता है. उमा की ज़िन्दगी में वैसे तो बहुत ही कम ऐसे काम थे जो उसे करने में मजा आता था. लेकिन कुछ दिनों से उसे एक काम में मजा आने लगा था. अभी वो खुश थी और ख़ुशी में अपने बेटे सोनू को निहार रही थी. उमा के बदन में अजीब से सिरहन हो रही थी. वो कुछ देर वैसे ही सोनू को देखती है फिर अपनी कमर पर हाथ रखते हुए कहती है.


उमा : हाय राम...!!


सोनू : (उमा की तरफ देखते हुए) क्या हुआ मम्मी?


उमा : कुछ नहीं रे... वही दिन वाला कमर का दर्द. कमबख्त जा ही नहीं रहा है. तेरी मालिश से थोड़ा अराम भी मिला था और नींद भी अच्छी आ गई थी.


सोनू : (कुछ सोच कर) मम्मी आप कहो तो मैं फिर से मालिश कर दूँ आपके कमर की?


सोनू की बात सुन कर उमा के चेहरे पर हलकी सी मुस्कान आ जाती है. फिर अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए वो जवाब देती है.


उमा : अब क्या मालिश करवाऊ तुझसे. कुछ ही देर में तो सब आ ही जायेंगे. रहने दे...


सोनू : मम्मी उन्हें तो अभी आने में और ४०-४५ मिनट लगेंगे....


सोनू की बात सुन कर उमा के दिल में ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है. लेकिन वो आस्वस्थ हो जाना चाहती है की सोनू जो कह रहा है वो सही है. वो सोनू से पूछती है.


उमा : ४०-४५ मिनट ? ये किसने कह दिया तुझे?


सोनू : भाभी कह रही थी मम्मी की उन्हें ४०-४५ मिनट और लगेंगे. तब तक तो मैं आपकी मालिश कर ही दूंगा ना?


उमा के चेहरे पर अब मुस्कान आ जाती है. वो ख़ुशी के साथ सोनू को देखती है. धीरे से अपने कमरे की तरफ मुड़ कर जाते हुए सोनू से कहती है.


उमा : ठीक है लल्ला..कर दे मेरी मालिश. मैं कमरे में जा रही हूँ, तू रसोई से सरसों का तेल एक कटोरी में ले कर आ जा.


उमा के कमरे में जाते ही सोनू उच्छल के सोफे से निचे उतरता है और रसोई में जा कर सरसों का तेल एक छोटी सी कटोरी में डाल लेता है. कटोरी हाथ में लिए वो मम्मी के कमरे के दरवाज़े पर जाता है तो उमा बिस्तर पर उल्टा लेटी हुई है. बदन पर पेटीकोट और ब्लाउज है. उमा की बड़ी और चौड़ी चुतड उठी हुई दिख रही है. सोनू कुछ क्षण वैसे ही अपनी मम्मी की चुतड को निहारता है फिर धीरे से अन्दर चला जाता है.


सोनू : मम्मी मैं तेल ले कर आ गया.


उमा : हुम्म...!! कटोरी मेरे सिरहाने के पास टेबल पर रख दे और बिस्तर पर आ जा.


सोनू कटोरी मम्मी के सिरहाने के पास रखे टेबल पर रख देता है और बिस्तर पर चढ़ कर मम्मी के पास बैठ जाता है. अपनी ३ उँगलियाँ तेल में डुबो कर वो मम्मी की कमर पर रख देता है और धीरे से तेल लगाने लगता है.


सोनू : कैसा लग रहा है मम्मी?


उमा : उम्म..!! अच्छा लग रहा है बेटा. पर ध्यान से तेल लगाना. मेरे पेटीकोट में तेल मत लगा देना नहीं तो मैं धोते-धोते परेशान हो जाउंगी.


सोनू : पर मम्मी आपकी पेटीकोट में तेल तो लग ही जायेगा. आपने इतनी ऊपर जो पहन रखी है.


उमा : अच्छा..?? हुम्म..!! तो एक काम कर लल्ला. मेरी पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर और पेटीकोट थोड़ी निचे कर दे.


ये कह कर उमा थोड़ी से एक तरफ घूम जाती है. उसके पेट के एक तरफ पेटीकोट का नाड़ा दिखने लगता है. सोनू झट से उमा के पेटीकोट के नाड़े को खोलने लगता है. जल्दबाजी में नाड़े में गाँठ पड़ जाती है.


सोनू : ओह मम्मी....नाड़े में तो गाँठ पड़ गई.


उमा सर निचे कर नाड़े पर पड़ी गाँठ को देखती है और फिर सोनू की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहती है.


उमा : क्या लल्ला..?? अपनी माँ का पेटीकोट भी ठीक से नहीं उतार सकता ? अब गाँठ खोलने में वक़्त ज़ाया मत कर. टेबल पर कैंची रखी है, ला और नाड़ा काट दे.


सोनू झट से उठ कर टेबल पर रखी कैंची उठता है और उमा के पास बैठ कर पेटीकोट का नाड़ा काट देता है. कैंची टेबल पर रख कर वो फिर से मम्मी के पास बैठ जाता है. उमा फिर से पेट के बल लेट जाती है. दूसरी तरफ अपना मुहँ किये हुए वो सोनू से कहती है.


उमा : अब तू देख ले पेटीकोट कितनी निचे करनी है. अपने हिसाब से जितनी निचे करनी है कर ले, बस तेल मत लगने देना.


उमा की बात सुन कर सोनू के चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है. अब तो मम्मी ने भी कह दिया है की पेटीकोट जितनी निचे करनी है कर लो. वो अपने हाथ पेटीकोट के दोनों तरफ रखता है और धीरे-धीरे उसे निचे करने लगता है. सोनू को पेटीकोट निचे करता देख उमा भी अपनी कमर थोड़ी ऊपर कर देती है ताकि सोनू को पेटीकोट निचे करने में कोई तकलीफ न हो. धीरे-धीरे पेटीकोट पहले कमर से निचे आती है, फिर चूतड़ों के ऊपर और फिर चूतड़ों से थोड़ी निचे. सोनू देखता है तो उसे उमा के चूतड़ों की हलकी सी झलक दिख रही है. थोड़ी सी दिख रही चूतड़ों के बीच एक गहरी लकीर पेटीकोट के अन्दर जा रही है. अपनी मम्मी की चूतड़ों के बीच की गहराई की झलक पाते ही सोनू का लंड शॉर्ट्स में उच्छलने लगता है. मम्मी की चूतड़ों को देखते हुए सोनू एक बार जोर से अपना लंड दबा देता है. तभी उमा बोल पड़ती है.


उमा : अब लगा भी दे मम्मी को तेल....


उमा की बात सुन कर सोनू फिर से अपनी ३ उँगलियाँ तेल में डुबोता है और उमा की कमर पर लगाने लगता है. अपने हाथों को धीरे-धीरे उमा की कमर पर फेरता हुआ सोनू बीच-बीच में चूतड़ों की गहराई पर भी फेर देता है. चूतड़ों की गहराई को देख कर सोनू का दिल करता है की एक ऊँगली गहराई में डाल कर पेटीकोट के अन्दर तक घुसा दे, पर उसके अन्दर का डर उसे इस बात की इज़ाज़त नहीं दे रहा था. कुछ देर वैसे ही मालिश करने के बार उसे उमा की आवाज़ सुनाई देती है.


उमा : ठीक से नहीं कर रहा है लल्ला. मेरी कमर के एक तरफ बैठ के करेगा तो ठीक से कैसे कर पायेगा. चल उठ वहां से और मेरी टांगो के बीच आ कर बैठ.


ये कहते ही उमा अपनी टाँगे उल्टा लेटे हुए थोड़ी फैला देती है और पेटीकोट खींच कर जांघो तक चढ़ा लेती है. सोनू झट से उठ कर उमा की टांगो के बीच बैठ जाता है. सामने मम्मी की मोटी-मोटी मांसल जांघे और ऊपर उभरी हुई बड़ी चुतड देख कर सोनू का लंड शॉर्ट्स में झटके मारने लगता है. वो एक बार निचे झुक कर टांगो के बीच देखता है तो पेटीकोट की वजह से अँधेरा सा दिखाई पड़ता है. वो वैसे ही बैठे हुए आगे झुक कर तेल की कटोरी तक पहुँचने की कोशिश करता है पर उसका हाथ वहां तक नहीं पहुँच पाता है. निचे लेटी उमा समझ जाती है की सोनू को क्या दिक्कत हो रही है.


उमा : क्या हुआ लल्ला?


सोनू : मम्मी यहाँ से मेरा हाथ कटोरी तक नहीं पहुँच रहा है. रुकिए ...मैं कटोरी बिस्तर पर ही रख लेता हूँ...


उमा : चुप कर...वहीँ रहने दे कटोरी. बिस्तर पर रखेगा और सारा तेल गिरा देगा. थोडा सामने झुक कर नहीं ले सकता क्या तेल?


सोनू : झुका तो हूँ मम्मी पर फिर भी हाथ नहीं पहुँच रहा है.


उमा : तो और झुक जा न लल्ला...किसने रोका है तुझे?


सोनू : और ज्यादा झुक गया तो मैं आप पर लेट ही जाऊंगा मम्मी....


उमा : तो क्या हुआ? बेटा अपनी माँ पर लेट जायेगा तो कौनसा पहाड़ टूट पड़ेगा? और मैं इतनी भी कमजोर नहीं हूँ की अपने लल्ला का वजन भी ना सह सकूँ. एक काम कर तू घुटनों पर बैठ जा और जब तेल लेना हो तो आगे झुक कर अराम से ले लेना. एक हाथ बिस्तर पर रख के सहारा ले लेना और थोडा सहारा मेरे बदन का, हो गया तेरा काम.


उमा की बात सुन कर सोनू गले में अटका हुआ थूक किसी तरह से गुटकता है.


सोनू : ठी..ठीक है मम्मी....


सोनू उमा के पैरों के बीच घुटनों पर बैठ जाता है. फिर वो आगे झुकने लगता है. अपना एक हाथ बिस्तर पर रख के सहारा लेता है फिर थोडा और आगे झुकता है. सोनू के शॉर्ट्स में लंड का उभार उमा के चूतड़ों के बीच धीरे-धीरे दबने लगता है. उमा अपनी आँखे बंद किये हुए है जैसे इस बात से वो पूरी तरह से अनजान है. सोनू आगे झुक कर ऊँगली तेल में डुबोता है और फिर से घुटनों पर बैठ के उमा की कमर और दिख रही चूतड़ों पर तेल लगाने लगता है. उसके हाथ फिसलते हुए कमर और चूतड़ों पर तेल लागने लगते है. सोनू अपनी ऊँगली को चूतड़ों की दिख रही गहराई के ऊपर रख कर १-२ तेल की बूंदे गिरा देता है जो धीरे-धीरे फिसलते हुए चूतड़ों की गहराई में जाने लगती है. कुछ वक़्त वैसे ही कमर और चूतड़ों की मालिश करने के बाद सोनू फिर एक बार आगे झुकता है. एक हाथ बिस्तर पर रख कर वो अपने शॉर्ट्स में बने उभार को मम्मी के चूतड़ों पर दबा देता है. झुके हुए वो मम्मी के चेहरे को ध्यान से देखता है. उमा की आँखे बंद है और वो सो रही है. सोनू धीरे से अपना सर निचे कर मम्मी के कान के पास ले जाता है और कहता है.


सोनू : मम्मी...!! मम्मी ...!! सो गई क्या?


उमा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर सोनू धीरे से अपनी कमर का दबाव उमा की चूतड़ों पर बढ़ा देता है और फिर से कहता है.


सोनू : मम्मी..!! सो रही हो क्या?


इस बार भी उमा के चेहरे पर कोई भाव दिखाई नहीं पड़ते है. उसकी आँखे बंद है. इस बात से सोनू की हिम्मत और बढ़ जाती है. अब उसक ध्यान तेल की कटोरी पर नहीं बल्कि अपनी माँ की चूतड़ों पर था. वो धीरे से पीछे होता है और फिर से घुटनों पर बैठ जाता है. उसके हाथ धीरे से उमा के पेटीकोट की तरफ बढ़ते है और पेटीकोट को दोनों तरफ से पकड़ लेते है. धीरे-धीरे उमा की चूतड़ों पर से पेटीकोट निचे खिसकने लगती है और एक जगह आ कर रुक जाती है. उमा के उल्टा लेतटे होने से पेटीकोट उसके अगले हिस्से के निचे दबी हुई है. सोनू कोई उपाए सोच ही रहा था की उमा की चुतड अपने आप ही हलकी सी ऊपर उठ जाती है. सोनू को यकीन नहीं हो रहा था जो उसके आँखों के सामने अभी-अभी हुआ था. वो कुछ क्षण वैसे ही अपनी मम्मी की उठी हुई चूतड़ों को देखता है फिर धीरे से पेटीकोट को निचे करता चला जाता है. पेटीकोट निचे होते हुए उमा की जांघो और घुटनों के बीच आ जाती है. अब उमा की उठी हुई चुतड भी धीरे से निचे हो जाती है. सोनू आगे हो कर उमा के चेहरे को गौर से देखता है तो उसकी आँखे अब भी बंद ही है. वो एक बार फिर से कहता है.


सोनू : मम्मी ...!! सो रही हो क्या?


इस बार भी उमा की तरफ से कोई जवाब नहीं आता है. अब सोनू समझ जाता है की उसका रास्ता एक दम साफ़ है. उसका डर तो मानो किसी पिंजरे से आजाद हुई चिड़ियाँ की भाँती उड़न-छु हो जाता है. अपनी माँ की नंगी चूतड़ों को निहारते हुए सोनू अपनी शॉर्ट्स को निचे कर घुटनों तक ले आता है. उसका ९ इंच लम्बा और २.५ इंच मोटा लंड अपनी मम्मी की नंगी चुतड देख कर हुंकार भरता है. आगे झुक कर, बिस्तर पर दोनों हाथो का सहारा लेते हुए सोनू अपने मोटे लंड को मम्मी की तेल से भरी चूतड़ों के बीच धीरे से रखता है. कमर का हल्का सा दबाव पड़ते ही सोनू का लंड फिसल कर उमा की कमर पर चला जाता है. सोनू अपने लंड को एक हाथ से पकड़ कर फिर से उमा की चूतड़ों के बीच रखता है और कमर का हल्का सा दबाव देता है. इस बार लंड चूतड़ों के बीच से फिसलता हुआ उमा की फैली हुई बुर पर रगड़ खाते हुए बिस्तर से जा टकराता है. बूर पर लंड के रगड़ खाने से उमा की बूर में हलकी सी हरकत होती है. ऊपर उमा भी अपने ओठों को दातों तले दबा देती है जिसे सोनू देख लेता है. तेज़ धडकनों के साथ सोनू बिना हिले उमा से कहता है.


सोनू : मम्मी...!! आप उठ गई क्या?


उमा वैसे ही बिना कुछ कहे आँखे बंद किये लेटी हुई है. सोनू की हिम्मत और भी बढ़ जाती है. वो इस बार अपने लंड को एक हाथ से पकड़ कर उमा की चूतड़ों के ठीक बीच में रखता है और धीरे-धीरे चूतड़ों की गहराई में फिसलाने लगता है. लंड फिसलते हुए एक जगह पर आ कर रुक सा जाता है. सोनू को समझने में देर नहीं लगती है की उसका लंड जिस जगह पर रुका है वो कुछ और नहीं बल्कि उसकी माँ की गांड का छेद है. अपना लंड हाथ में पकडे सोनू धीरे से लंड पर दबाव बढाता है तो लंड का मोटा टोपा फिसलता हुआ उमा की गांड के छेद में घुस जाता है. उमा के मुहँ से एक हलकी "इस्स..!!" की आवाज़ आती है जिसे सुन कर सोनू रुक जाता है. वो बड़े ही ध्यान से मम्मी के चेहरे को देखने लगता है. कुछ देर वैसे ही चेहरे को देखते हुए सोनू को निचे कुछ हरकत महसूस होती है. वो निचे देखता है तो मम्मी की चुतड ऊपर उठ रही है और गांड का छेद सोनू के लंड को जकड रहा है. वो आँखे फाडे ये नज़ारा देखने लगता है. उमा की चुतड सोनू के लंड को जकड़े हुए फिर से निचे होती है और दोबारा ऊपर हो कर फिर निचे हो जाती है. ऐसे हे ४-५ बार ऊपर निचे होने के बाद उमा की चुतड निचे जा कर रुक जाती है. सोनू अब अपने आप को रोक नहीं पाता है. उमा पर लेट कर सोनू अपने दोनों हाथों को उमा की बगलों के निचे डालकर ऊपर की तरफ उसके कंधो को जकड लेता है. उसकी कमर ऊपर उठती है और एक जोर की ठाप उमा की चूतड़ों पर दे मारता है. सोनू का लंड उमा की गांड के गहराई में समां जाता है. ठाप इतनी जोर की थी की उमा के मुह से "आह...!!" निकल जाती है. अपनी मम्मी के दर्द की परवाह न करते हुए सोनू अपनी कमर उठा-उठा के उमा की चूतड़ों पर पटकने लगता है. हर ठाप पर उमा के मुहँ से "आह...!!" और सोनू के मुहँ से "ओह मम्मी..!!" निकलने लगता है. सोनू पूरे जोश में उमा की चूतड़ों पर अपने मोटे लंड का प्रहार किये जा रहा था. सारा कमरा उमा की "आह..!!", सोनू की "ओह मम्मी...!!" और "ठप्प-ठप्प" की आवाजों से गूंजने लगा था. सोनू पूरे जोश में था. मम्मी के जिस छेद को वो कई बार छुप कर बाथरूम में देख चूका था, आज उसी छेद में वो अपना लंड ठूँस रहा था. अब उसे मम्मी की आँखे खुलने का भी डर नहीं था. वो इस पल को पूरी तरह से भोग लेना चाहता था.


मम्मी की गांड में लंड पलते हुए सोनू अपने एक हाथ को उमा के कंधे से हटा कर उसकी चुचियों को पकड़ना चाहा. उमा उलटी लेटी हुई थी और उसकी चुचियाँ बिस्तर पर पूरी तरह से दबी हुई थी. सोनू का हाथ वहां पहुंचना मुश्किल था. वो सोच ही रहा था की क्या किया जाए तभी उमा करवट लेती है. उमा के गांड में लंड डाले हुए सोनू एक तरफ बिस्तर पर गिर जाता है. अपने कंधे के बल पर बिस्तर पर लेटे हुए सोनू का लंड उमा की गांड में घुसा हुआ है. उमा भी ठीक उसी तरह से अपने कंधे पर बिस्तर पर लेटी हुई है और उसकी पीठ सोनू की तरफ है. सोनू के हाथ अब भी उमा की बगलों के नीचे ही थे. वो अपने दोनों हाथों से मम्मी के बड़े-बड़े दूधों को दबोच लेता है और मसलने लगता है. निचे कमर के झटके देते हुए सोनू अपना लंड मम्मी की गांड में पेले जा रहा है. सोनू के हाथ तेज़ी से मम्मी के ब्लाउज के सारे हुक खोल देते है. ब्रा के बिना उमा के दोनों दूध सोनू के हाथों में आ जाते है. माँ-बेटे बिस्तर पर कामसूत्र के एक बेहद ही मनमोहक और कामक्रीड़ा का भरपूर आनंद देने वाले आसन (spoon) में थे. सोनू का लंड अपनी गांड में लेते हुए उमा अपना ऊपर वाला पैर उठा के मोड़ लेती है. सोनू भी झट से अपने हाथ से मम्मी के उठे हुए पैर को सहारा देता है. पैर उठने से उमा की चुतड खुल गयी है और सोनू का लंड अच्छी तरह से अन्दर-बाहर होने लगा है. १५-२० ठाप मारने के बाद सोनू अपनी कमर उमा की चूतड़ों में दबा देता तो उसका लंड गांड के छेद में जड़ तक घुस जाता. सोनू पूरे जोश में ठाप पर ठाप मारे जा रहा था. अपनी मम्मी की गांड की चुदाई वो इतनी तेज़ी और जोश में कर रहा था की बिस्तर भी हिलने लगा था. देखने में ऐसा लग रहा था की कमरे में भूकंप आ गया हो.


उमा जो बहुत देर से अपने आप को रोके हुई थी, अब बोल पड़ती है.


उमा : आह...सोनू..!! धीरे मेरे लल्ला...मम्मी की फाड़ देगा क्या?


सोनू : (पूरे जोश में) ओह मम्मी ...!! मत रोकिये आज मुझे.


उमा : आह...!! रोक थोड़े न रही हूँ अपने लल्ला को. आह...!! जी भर के मार ले बेटा अपनी मम्मी की गांड....बस ज़रा प्यार से ले बेटा...


सोनू : ओह मम्मी...मेरी प्यारी मम्मी...कितना तडपाती थी मुझे आप. बाथरूम में आपके नंगे बदन को देख कर कितना तडपा हूँ मम्मी....


उमा : आह...!! जानती हूँ बेटा. तभी तो मैं भी तुझे बाथरूम से पूरा नज़ारा दिखाया करती थी. बोल...कोई कमी छोड़ी थी तेरी मम्मी ने....


उमा की इस बात पर सोनू अपना मोटा लंड मम्मी की गांड की गहराई में जड़ तक पेल देता है.


सोनू : आह्ह्हह्ह.... मम्मी...!! आपने कोई कमी नहीं छोड़ी थी. अपने बदन का हर हिस्सा आपने खोल-खोल कर दिखाया है मम्मी.


उमा : आह...मेरे लल्ले ने भी तो अपनी मम्मी के नंगे बदन को देख कर खूब मुठीआया है. है ना लल्ला..?


सोनू : हाँ मम्मी...आह...!! आपके नंगे बदन को देख खूब लंड मुठियाता था मम्मी.


उमा : अब मैं अपने लल्ला को कभी लंड मुठीयाने जैसा गन्दा काम नहीं करने दूंगी. मेरे लल्ला की मम्मी के पास दो-दो छेद है. जब भी लल्ला का दिल करे, भर दे किसी भी छेद में. बोल लल्ला अब कभी लंड नहीं मुठीआयेगा ना?


सोनू : कभी नहीं मुठीआऊंगा मम्मी...आपकी कसम. जब भी दिल करेगा अपना लंड पकडे आ जाऊंगा आपके पास.


उमा : हाँ मेरे राजा बेटा बेटा. अपना लंड खड़ा किये आ जाना मम्मी के पास. तेरी मम्मी टाँगे खोल के दोनों छेद दिखा देगी. लल्ला को जो छेद पसंद आये, घुसा देना अपना मोटा लंड.


उमा की इस बात पर सोनू पागलों की तरह मम्मी की गांड चोदने लगता है. एक हाथ से उमा का एक पीर उठाये हुए सोनू अपने मोटे लंड को सटा-सट मम्मी की गांड में ठूंसे जा रहा था. तभी सोनू को अपने अन्डकोशों में उबाल सा महसूस होता है.


सोनू : आह्ह्हह्ह...!! मम्मी मैं झड़ने वाला हूँ...


उमा : भर दे लल्ला...अपनी माँ के गांड के छेद को अपने पानी से भर दे.


सोनू दोनों हाथों से उमा के बड़े-बड़े दूधों को दबाये, अपनी कमर की गति बड़ा डेट है. १०-१५ जोरदार ठाप मारते ही सोनू के लंड से पिचकारिया उमा की गांड के छेद में उड़ने लगती है. उमा अपना एक हाथ निचे ले जा कर सोनू के अन्डकोशों को जकड के दबा देती है तो बचा हुआ पानी भी उमा के छेद में गिर जाता है. कुछ देर माँ-बेटा वैसे ही बिस्तर पर पड़े रहते है. सोनू का लंड अब भी मम्मी की गांड के छेद में ही फसा हुआ है. सोनू जैसे हे सीधा होता है, उसका लंड उमा के छेद से 'पॉप' की आवाज़ के साथ बाहर फिसल जाता है. उमा की गांड के छेद से सोनू का सफ़ेद गडा पानी बहने लगता है, जिसे उमा छेद को सिकोड़ के बाद कर लेती है.


सोनू की तरफ घूम के उमा उसके बालों में हाथ फेरते हुए कहती है.


उमा : थक गया न मेरा लल्ला..?


सोनू : हाँ मम्मी...बहुत थक गया हूँ...


उमा : मेरे लल्ला का लंड कितना बड़ा और मोटा हो गया है. मम्मी के छेद को बड़ा कर दिया है मेरे लल्ला के हथयार ने.


सोनू भी मम्मी की तरफ घूम जाता है. एक हाथ मम्मी की जांघो के बीच डाल कर बूर को सहलाते हुए कहता है.


सोनू : मम्मी...अपनी बूर कब दोगी ?


उमा : तेरी ही है लल्ला. जब दिल करे तब ले लेना. पर ध्यान रहे, इस बात का किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए. ये बात मम्मी और लल्ला के बीच ही रहनी चाहिए...


सोनू : समझ गया मम्मी...आप चिंता मत करिए. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.


उमा : (सोनू के माथे पर चुम्मा लेते हुए) हम्म्म..! मेरा राजा बेटा. अच्छा अब जा जल्दी से लंड धो ले. मैं भी सब ठीक करती हूँ. वो लोग आते ही होंगे.


सोनू मम्मी की बात मानते हुए झट से बिस्तर से उतर कर अपना शॉर्ट्स पहनते हुए जाने लगता है. उमा बिस्तर पर लेते हुए अपने ब्लाउज के हुक लगते हुए सोनू को देखती है. अपने दोनों छेदों के लिए बेटे के लंड का इंतज़ाम होते देख उसकी बूर धीरे-धीरे बहने लगती है.


"गजब के इंसान है यें....!! गाड़ी की चाबी भी अनजान आदमी को दे आये और ५००/- रूपए भी. वाह जी वाह..!! कमाल है...!!". सोफे पर बैठी उमा रमेश को आँखे दिखाए बडबडा रही थी. रात के ११:३० हो गए थे और गाड़ी का अब तक कोई अता-पता नहीं था. सभी लोग ड्राइंग रूम में बैठे चिंता में डूबे हुए थे.


रमेश : अरे उमा उस वक़्त मेरे पास और कोई चारा भी तो नहीं था. मैं भला और क्या करता?


उमा : चारा नहीं था...हूँ...!! कुछ और दिमाग नहीं लगा सकते थे?


रमेश : बात को समझो उमा. मैं अकेला होता तो कुछ और कर लेता. पायल और उर्मिला भी साथ थे. अब घर की बहु-बेटी की इज्ज़त का ख्याल भी ना करूँ?


रमेश की इस बात पर पायल और उर्मिला एक दुसरे को देख कर मुस्कुराने लगते है. रमेश की नज़र दोनों पर पड़ती है और वो दोनों भी रमेश को मुस्कुराते हुए देखने लगते है. रमेश एक पल के लिए दोनों को गौर से देखते है तो उम्हे ऐसा लगता है की उर्मिला कह रही है, "घर की बहु की इज्ज़त का कितना ख्याल है वो मैं अच्छे से जानती हूँ बाबूजी". फिर वो पायल को देखते हैं तो उन्हें ऐसा लगता है की वो बोल रही है, "और बेटी की इज्ज़त का तो आपको सबसे ज्यादा ख्याल है पापा". दोनों को मुस्कुराता देख रमेश के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती है. तभी उमा का ख्याल आते ही रमेश गला साफ़ करते हुए उमा की तरफ देखते है. उमा जो कुछ देर पहले गुस्से से लाल हो रही थी, अब शांत बैठ गई थी.


उमा : हम्म..!! बहु-बेटी की इज्ज़त की बात कर के तो आपने मेरा मुहँ ही बंद करा दिया. अब इस पर मैं और क्या कहूँ.


उमिला : सच मम्मी जी...उस वक़्त कुछ समझ ही नहीं आ रहा था की क्या किया जाए. और आस-पास का माहोल भी ठीक नहीं था.


उमा : हाँ बहु... समझ रही हूँ. चलो ठीक है. जैसी ऊपर वाले की मर्ज़ी.


उर्मिला : मम्मी जी , रात बहुत हो गई है. आप लोग जा कर सो जाइये. मैं कुछ देर येही रहूंगी. अगर आज रात कोई नहीं आया तो कल पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा देंगे.


उमा : हाँ बहु...येही ठीक रहेगा. (रमेश की तरफ देख कर) अब चलिए. जो होगा देखा जायेगा.


रमेश और उमा अपने कमरे में चले जाते है. पायल भी उर्मिला को एक किस दे कर अपने कमरे में चली जाती है. उर्मिला वहीँ सोफे पर बैठे हुए टीवी के चैनलों को टटोलने लगती है.


रात के १२ बज रहे है. उर्मिला की आँखों में भी नींद छाने लगी है. वो टीवी बंद कर सोफे से उठती है और अपने कमरे में जाने लगती है, तभी उसे गाड़ी की आवाज़ आती है और एक तेज़ रौशनी घर की खिड़की पर पड़ती है. वो दरवाज़ा खोल कर बाहर निकलती है तो उसे गाड़ी गेट के सामने खड़ी दिखाई पड़ती है. गाड़ी के हेड लाइट जले हुए है और उसकी रौशनी में वो ड्राईवर को देख नहीं पा रही है. वो गेट खोलती है तो ड्राईवर गाड़ी अन्दर ले आता है. गाड़ी कड़ी करके ड्राईवर जैसे ही बाहर निकलता है, उर्मिला की आँखे फटी की फटी रह जाती है. वो ड्राईवर कोई और नहीं बल्कि छेदी था.


छेदी : (देव आनंद के अंदाज़ में चलते हुए) छोटी सी ये दुनिया...अनजाने रास्ते है..तुम कहीं तो मिलोगे...कहीं तो मिलोगे..तो पूछेंगे हाल...!!


उर्मिला : तुम..?? तुम यहाँ क्या कर रहे हो?


छेदी : अजी आपकी गाड़ी छोड़ने आया था...आप कहें तो वापस ले जाऊ?


उर्मिला : बकवास बंद करो और चाबी देकर निकलो यहाँ से.


छेदी : छबी दे कर तो हम निकल ही जायेंगे मैडम जी, पर इतना गुस्सा किस बात का है? वैसे आपके खुबसूरत चेहरे पर गुस्सा बड़ा हसीन लगता है.


उर्मिला : (छेदी की बात पर मुस्कुराते हुए) अच्छा भैया, नहीं करती गुस्सा...दीजिये चाबी.


छेदी : हाय मैडम जी....मार ही डाला आपने भैया कह के...


उर्मिला : भैया नहीं तो क्या सय्याँ कहूँ?


छेदी : हाय मैडम जी... हमने कब कहा की आप हमे सय्याँ कहिये. हम तो चाहते है की आप हमें भैया ही कहिये....


ये कहकर छेदी उर्मिला के बदन को गन्दी नज़रों से ऊपर से निचे देखने लगता है. उर्मिला भी छेदी की बात सुन कर हैरान हो जाती है.


उर्मिला : अजीब बात है. लड़के तो लड़कियों के मुहँ से सय्याँ सुनने के लिए तरस जाते है. लड़की एक बार भी उन्हें भैया कह दे तो उनका दिल टूट जाता है और एक आप हो की भैया सुन कर खुश हो रहे हो.


छेदी : वो ज़माना बीत गया मैडम जी जब लड़के लड़कियों के मुहँ से सय्याँ सुनने के लिए तरस जाया करते थे. अब तो वो खुद ही खूबसूरत लड़कियों को अपनी बहन बना कर उनके मुहँ से भैया सुनना पसंद करते है. खूबसूरत लड़कियां जब टाइट कसे हुए कपडे पहन कर भैया कहती है तो माँ कसम जवानी के मजे आ जाते है.


उर्मिला जानती थी की छेदी जो कह रहा था वो सच था. आजकल लड़के लड़कियों को अपनी बहन बनाना ही पसंद करते है. वो जब कॉलेज में थी तो उसकी सभी सहेलियों ने कॉलेज के २-३ लड़कों को भाई बना रखा था. वो लड़के भी उन्हें अपनी बहन मानते थे. उसकी सहेलियां तो उन्हें रक्षाबंधन के दिन राखी तक बांधती थी. वो तो उसे बाद में पता चला की उसकी सहेलियां जिन लड़कों के साथ 'भैया-भैया' करते हुए दिन भर घुमती थी, रात में उनके मोटे लंड बूर में लिए घंटो चुदती थी.


उर्मिला अपने कॉलेज के दिनों में खो सी गई थी की छेदी की आवाज़ ने उसे होश में ला दिया.


छेदी : कहाँ खो गई मैडम जी?


उर्मिला : अ..वो..कुछ नहीं...लाओ चाबी दो और ये लो तुम्हारे २००/- रूपए.


छेदी : (छबी दे कर २००/- रूपए लेते हुए) वैसे मैडम जी, आप मुझे भैया ही बुलाया करिए. आपके मुहँ से अच्छा लगता है.


उर्मिला : (घर की तरफ जाते हुए मुस्कुरा देती है) ठीक है...भैया...!!


उर्मिला के मुहँ से 'भैया' सुन कर छेदी के मुहँ से 'हाय' निकल जाता है. जाती हुई उर्मिला का पिछवाड़ा देख कर छेदी एक बार अपने लंड को दबा देता है और गेट बंद कर के चला जाता है. उर्मिला भी हँसते हुए घर में आती है और दरवाज़ा लगा कर अपने कमरे में चली जाती है.


-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

रात के १:३० बज रहे है.

-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------


ऑटोवाले को पैसे दे कर छेदी अपने घर के दरवाज़े पर पहुँचता है और खटखटाता है. २ मिनट के बाद दरवाज़ा खुलता है और सामने एक १८-१९ साल की लड़की खड़ी है. बड़ी-बड़ी चुचियाँ, भरा हुआ बदन, पतली कमर और उठी हुई चौड़ी चुतड. ऊपर बिना बाहं वाला कुर्ता, जिसका गला गहरा है और कुर्ता जाँघों तक आ रहा है. निचे बिना सलवार के उसकी मांसल जांघे दिख रही है. दरवाज़े खोलते ही वो लड़की बोल पड़ती है.


"आ गए आप भैया...!! बड़ी देर कर दी आज आने में?"


छेदी : कुछ नहीं खुशबु...!! कुछ काम निकल आया था.


छेदी अन्दर आता है और दरवाज़ा बंद कर देता है. दो कमरे के मकान में एक बड़ा सा कमरा है जिसमे एक तरफ टीवी और दूसरी तरफ सोफा रखा हुआ है. साथ ही एक छोटा सा कमरा है जिसमे एक बेड रखा हुआ है. बाहर के कमरे के साथ ही एक छोटी की रसोई भी साथ में ही है. खुशबु रसोई की तरफ जाने लगती है. चलते हुए उसकी चौड़ी चुतड हिल रही है और बिना सलवार के उसकी मोटी जांघे कहर धा रही है.


खुशबू छेदी की छोटी बहन थी. दोनों के बाप का देहांत हुए ५ साल हो गए थे. बाप के गुजर जाने के बाद छेदी ने ही घर का सारा भार अपने कन्धों पर ले लिया था. छोटी बहन और माँ का ख़याल वही रख रहा था. काम-काज की वजह से छेदी को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ गई थी लेकिन अपनी छोटी बहन खुशबु की पढ़ाई उसने रुकने नहीं दी. खुसबू अब १८ साल की हो गई थी और १२ वीं कक्षा में थी. वैसे तो वो सरकारी स्कूल में पढ़ती थी लेकिन फिर भी पढ़ने में ठीक-ठाक थी.


रसोई में पहुँच कर वो छेदी से कहती है.


खुशबु : भैया आप हाथ-मुहँ धो लीजिये तब तक मैं आपका खाना गरम कर देती हूँ.


खुशबु गैस पर खाना गरम करने चढ़ा देती है और तभी दो हाथ उसकी बगलों के निचे से होते हुए उसके बड़े-बड़े दूधों को दबोच लेते है.


खुसबू : छोड़िये ना छेदी भैया...ये क्या कर रहे है आप?


छेदी : अपनी प्यारी छोटी बहना को प्यार कर रहा हूँ....


खुशबु : धत्त भैया...!! आपका तो मन ही नहीं भरता. दोपहर में ही तो आपने २ घंटे मेरी चुदाई की थी और अभी फिर से शुरू हो गए. थकते नहीं हो क्या आप?


छेदी खुशबू के दूध मसलते हुए पीछे से चिपका हुआ है और अंडरवियर पहने हुए अपने लंड के उभार को खुशबू की कुर्ती के ऊपर से चूतड़ों के बीच दबाये जा रहा है.


छेदी : पगली..!! बहन की बूर चोदने से कोई भाई थकता है क्या? बहन की बूर के लिए तो भाई का लंड हमेशा ही तैयार रहता है.


खुशबू : आप भी न भैया बड़े गंदे हो. माँ को हमेशा किसी न किसी बहाने से ३-४ दिनों के लिए यहाँ-वहां भेज देते हो और फिर मेरी दिन-रात चुदाई करते हो. परसों ही आपने माँ को काशी भेज दिया और २ दिनों से दिन-रात मेरी बूर पेल रहे हो. २ दिनों से मैं स्कूल भी नहीं गई हूँ.


छेदी पीछे से खुशबू की कुर्ती उठा के अपना अंडरवियर निचे कर लेता है और उसकी नंगी चूतड़ों के बीच अपना मोटा लंड घुसा कर रगड़ने लगता है. लंड से निकलता हुआ पानी खुशबू की चूतड़ों के बीच की गहराई को गीला कर देता है.


छेदी : मेरी बहना है की इतनी गदराई हुई माल. अब ऐसी गदराई जवानी और मोटे-मोटे दूध ले कर घर में घूमेगी तो भैया का लंड तो खड़ा होगा ही ना.


खुशबू : (छेदी की बाहों में मचलते हुए) रहने दीजिये भैया..!! ये भी आपका ही किया धरा है. आपको पता है स्कूल में सबसे मोटे दूध मेरे ही है. सारी लडकियां मुझसे सवाल करती है की खुशबू तेरे दूध छोटी उम्र में ही इतने मोटे कैसे हो गये. एक दो बार तो स्कूल की कुछ मैडम ने भी पूछ लिया की मेरे दूध इतने बड़े कैसे हो गए. बोलिए...मैं सबको क्या जवाब दूँ ?


छेदी खुशबू की कुर्ती में हाथ डाल कर उसके मोटे दूधों का दबा रहा था और लंड को चूतड़ों के बीच रगड़ते हुए कहता है.


छेदी : तो बता दे उन्हें की मेरे भैया ने दबा-दबा कर दूध मोटे कर दिए है.


खुशबू : धत्त भैया...!! आपको तो हमेशा मजाक ही सूझता रहता है.


छेदी : अच्छा खुशबू., अब कमरे में चलते हैं. देख तेरे भैया का लंड तेरी बूर की याद में कैसे आंसूं बहा रहा है.


छेदी अपने लंड को हाथ में थामे खुशबू को दिखता है. लंड के मोटे टोपे से सफ़ेद पानी की २-३ बूंदे टपक कर ज़मीन पर गिर जाती है. खुशबू ये देख कर अपने ओंठ काट लेती है.


खुशबू : आपका लंड तो हर वक़्त मेरी बूर को याद करके पानी छोड़ता रहता है भैया.


छेदी झट से अपनी दो उँगलियाँ खुशबू की बालोंवाली बूर में ठूँस देता है.


छेदी : और मेरी बहना की बूर पानी नहीं छोड़ती है क्या भैया के मोटे लंड की याद में?


छेदी को दो उँगलियाँ बूर में जाते ही खुशबू सिसियाने लगती है. आँखे बंद किये और बूर में दो उँगलियाँ ठूँसवाते हुए वो कहती है.


खुशबू : सीईईईईई...!! भैया...!! बहुत पानी छोड़ती है मेरी बूर आपके मोटे लंड को याद करके. स्कूल में जब भी आपके मोटे लंड की याद आती है तो मैं सबसे आखिर में कोने वाली सीट पर बैठ जाती हूँ और अपने सलवार का नाडा खोल कर बूर में दो उँगलियाँ ठूँस देती हूँ.


खुशबू की बात सुन कर छेदी अपनी दोनों उँगलियों को उसकी बूर में तेज़ी से चलाने लगता है.


छेदी : जानता हूँ खुशबू तभी तो मैं भी तेरी दिन-रात अपने मोटे लंड से चुदाई करता हूँ. चल...अब तेरी बूर चोदने का वक़्त आ गया है.


छेदी की बात सुन कर खुशबू उसके पास आती है और उच्छल कर अपनी बाहें उसके गले में डाल देती है और दोनों टाँगे कमर में लपेट लेती है. छेदी भी अपने दोनों हाथों से खुशबू की भारी चूतड़ों को सहारा देता है. उसका लंड खुशबू की बूर पर रगड़ खाते हुए कमर पर चला जाता है. खुशबू को अपनी बाहों में लिए, सीने से लगाये, छेदी कमरे की तरफ बढ़ने लगता है. कमरे में पहुँच कर छेदी खुशबू को निचे उतार देता है. अपनी कच्ची और बनियान को उतार कर वो अपने लंड को पकडे बिस्तर पर सीधा हो कर लेट जाता है. उसका १० इंच लम्बा और ३ इंच मोटा लंड खुशबू को झूमता हुआ इशारे कर रहा है. अपने भैया के मोटे लंड को देख कर खुशबू की बूर भी पानी छोड़ने लगती है. वो अपने बदन से कुर्ती को खींच कर उतार देती है. कुर्ती के निकलते ही खुशबू के मोटे दूध उच्चल कर बाहर आ जाते है. बहन के मोटे दूध को इस तरह से उच्छलता देख छेदी का लंड भी झटके मारने लगता है.


छेदी : आजा बहना ... और कितना तड़पायेगी अपने भैया को....


खुशबू अपने ओंठ काटते हुए बिस्तर पर चढ़ जाती है और दोनों टाँगे छेदी की कमर के इर्द-गिर्द कर लेती है. छेदी की कमर के दोनों तरफ पैर किये हुए खुशबू खड़ी है. उसकी बालोवाली बूर जिसके ओंठ हलके से फैले हुए हैं, उसपर छेदी की नज़रें गड़ी हुई है. अपने घुटनों को मोड़ कर खुशबू दोनों हाथों को छेदी की छाती पर रख देती है और धीरे-धेरे अपनी भारी चुतड खड़े लंड पर लाने लगती है. खुशबू की बूर के ओंठ छेदी के लंड के मोटे टोपे पर जा चिपकते है. जैसे ही बूर के ओंठ टोपे से छुते है, छेदी का लंड ऊपर की तरफ झटका खाता है. खुशबू छेदी के छाती पर दोनों हाथों को रखे, अपने घुटनों को मोड़े हुए, छेदी के मोटे लंड को बूर में भरने लगती है. उसकी भारी चुतड धीरे-धीरे निचे होती चली जाती है और लंड बूर के अन्दर. कुछ ही क्षण में छेदी का लंड खुशबू की बूर में जड़ तक समां जाता है. भैया के लंड पर बैठ कर खुशबू कहती है.


खुशबू : भैया...मैंने आपसे कितनी बार कहा है की कंडोम लाया करो, पर आप हर बार भूल जाते हो.


खुशबू की चूतड़ों को दोनों हाथो से उठा के अपने मोटे लंड से ३-४ जोरदार ठाप उसकी बूर में मारते हुए छेदी कहता है.


छेदी : बहन की बूर का मजा बिना कंडोम के ही आता है खुशबू.


खुशबू भैया के लंड पर उच्छल-उच्छल के अपनी बूर में लंड लिए जा रही थी. हाँफते हुए खुशबू छेदी से कहती है.


खुशबू : आपकी बात तो ठीक है भैया पर बिना कंडोम के आप मेरी बूर में अपना सारा पानी गिरा देते हो. मेरी सहेली कह रही थी की १८ साल की उम्र में लड़कियां जल्दी माँ बन जाती है. अगर मेरी कोख में आपका बच्चा ठहर गया तो?


छेदी : अब तक तो नहीं हुआ ना ऐसा खुशबू...इतना क्यूँ डर रही है तू?


खुशबू : डर तो लगता है ना भैया. आपको याद है पिछली बार मेरा महिना कितनी देर से शुरू हुआ था. मुझे तो पूरा यकीन हो गया था की आपका बच्चा मेरी कोख में ठहर गया है. वो तो अच्छा हुआ की अगले दिन ही मेरा महिना शुरू हो गया नहीं तो मैं डॉक्टर के पास जाने वाली थी.


छेदी लेटे हुए खुशबू को इशारा करता है तो वो अपनी बूर से लंड निकाल कर खड़ी होती है और घूम जाती है. अपनी पीठ छेदी की तरफ कर के वो दोनों हाथो को छेदी के पैरों पर रख के फिर से लंड पर बैठ जाती है और चुतड उठा-उठा के लंड पर पटकने लगती है. छेदी भी अपनी कमर उठा के उसकी बूर में लंड पलते हुए कहता है.


छेदी : डर तो मैं भी गया था खुशबू...पर सब ठीक ही हुआ ना...


खुशबू छेदी के लंड पर उच्छलते थोडा पीछे होती है तो छेदी उसके कन्धों को पकड़ कर पीछे खींच लेता है. वो अपनी बूर में छेदी का लंड लिए उसकी छाती पर पीठ के बल गिर जाती है. खुशबू के पीठ छेदी के सीने से चिपक जाती है. छेदी बगलों से हाथ डाल कर खुशबू के मोटे दूधों को दबोच कर दबाने लगता है और निचे अपनी कमर उठा-उठा के लंड उसकी बूर में पेलने लगता है. खुशबू कसमसा कर सिसियाने लगती है.


खुशबू : सीईईईईईइ...भैया..!! अब तक नहीं हुआ पर अगर हो गया तो कितनी बदनामी होगी. मेरी सहेली याद है जो हमारे घर आया करती थी?


छेदी : कौन ? वो कोमल ?


खुशबू : आह्ह..!! हाँ भैया...कोमल. उसका टांका अपने पापा से भीड़ा हुआ है. उसकी माँ के गुजर जाने के बाद से ही उसके पापा रोज उसकी बूर चुदाई करते है. अभी २ महीने पहले ही वो अपने पापा के साथ मनाली घूम कर आई थी.


छेदी खुशबू के दोनों मोटे दूधों को अच्छी तरफ से मसलते हुए अपने लंड की ठाप उसकी बूर में मारे जा रहा था. खुशबू की इस बात से उसमे और भी ज्यादा जोश भर जाता है और वो अपनी कमर मिचे कर के एक जोर की ठाप लगाता है तो उसका लंड खुशबू की बूर में जड़ तक घुस जाता है. अपने लंड को खुशबू की बूर में जड़ तक घुसाए हुए छेदी वैसे ही अपनी कमर को उठा कर रखता है.


छेदी : अच्छा...!! तभी तो मैं कहूँ की कोमल के दूध और चुतड इतने मोटे क्यूँ हुए जा रहे है. मनाली में तो उसके पापा खूब बूर पेलाई की होगी उसकी.


खुशबू की बूर में छेदी ने अपना पूरा लंड ठूंसे रहा था. १० इंच का लंड खुशबू के बच्चेदानी तक पहुँच गया था. खुशबू अपने ओठ काटते हुए कहती है.


खुशबू : आह्ह्ह्ह...!! हाँ भैया. वो जब स्कूल आई तो बता रही थी की उसके पापा ने ३ दिनों तक पटक-पटक कर उसकी खूब बूर चुदाई की थी. उसके पापा भी बिना कंडोम के उसकी बूर चोदते हैं लेकिन वो हमेशा कोमल को माला-डी की गोलियां खिला देते है. कोमल तो अपने बस्ते में भी माला-डी की गोलियां रखती है.


छेदी : हाँ खुशबू...इस बात पर तो मेरा कभी ध्यान ही नहीं गया. कल मैं भी तेरे लिए माला-डी की गोलियां ला दूंगा. फिर तेरी बूर चुदाई के बाद उसमे झड़ने में भी डर नहीं लगेगा.


खुशबू : हाँ भैया...!! माला-डी की गोलियां ला दीजिये फिर मैं हमेशा आपके लंड का पानी अपनी बूर में ही झडवाउंगी.


खुशबू की बात सुनकर छेदी झट से घूम जाता है तो खुशबू बिस्तर पर गिर जाती है. बिस्तर पर गिरते ही छेदी उसपर चढ़ जाता है और दोनों हाथों से उसकी जांघे खोले अपने मोटे लंड को बूर में पेल देता है. अपनी कमर को उठा-उठा के खुशबू की जांघो के बीच पटकने लगता है और बूर चोदने लगता है. खुशबू भी आँखे बंद किये अपने भैया के लंड को बूर में पेलवाने लगती है. अब छेदी पूरे जोश में आ चूका था. कमरे में लगा पंखा किसी पेसंजर ट्रेन की तरह धीरे-धीरे चल रहा था और कमरे में गर्मी बढ़ गई थी. भाई-बहन की घमासान चुदाई उस गर्मी को और भी ज्यादा बढ़ा रही थी. छेदी और खुशबू दोनों ही पसीने में नाहा चुके थे. पसीने से लथपथ छेदी अपनी बहन की बूर में तेज़ झटके मारते हुए लंड पेल रहा था. 'ठप्प-ठप्प' की तेज़ आवाज़ से कमरा गूंज रहा था.


छेदी : (तेज़ साँसों के साथ) खुशबू....!! अब मेरे पानी निकलने वाला है. आह्ह...!! अपना खेल शुरू करते है बहना...!!


खुशबू जानती थी की जब वो और भैया झड़ने वाले होते हैं तो क्या करना होता है. छेदी और खुशबू भाई-बहन के इस गंदे रिश्ते का पूरा मजा उठाते थे. जैसे ही छेदी खुशबू की इशारा देता है वो झट से बोल पड़ती है.


खुशबू : आह्ह्ह्ह...भैया...!! मेरे प्यारे भैया...!!


छेदी : (तेज़ आवाज़ में, बूर में तेज़ी से लंड पलते हुए) आह्ह्ह्ह...!! मेरी बहना...!! प्यारी बहना...!!


खुशबू : मजा आ रहा है भैया...!! अपनी छोटी बहन की बूर चुदाई करने में?


छेदी : हाँ बहना..!! बहुत मजा दे रही है तेरी बूर. बोल...तेरा भैया कैसा है?


खुशबू : बहनचोद...!! बहनचोद है मेरा भैया...!! बहुत बड़ा बहनचोद है...!!


अपनी बहन के मुहँ से अपने लिए बहनचोद सुन कर छेदी का लंड पूरा फूल जाता है और बूर में जोर-जोर से अन्दर-बाहर होने लगता है. खुशबू आगे कहती है.


खुशबू : और आपकी छोटी बहन कैसी है भैया?


छेदी खुशबू के मोटे दूध दबोच कर दबाते हुए कहता है.


छेदी : रंडी...!! रंडी है मेरी छोटी बहन..!! अपने भैया की रंडी बहना है..!!


छेदी के मुहँ से अपने लिए रंडी बहना सुनते ही खुशबू की कमर झटके खाने लगती है. अपनी दोनों टाँगे छेदी की कमर में लपेट कर खुशबू जोर-जोर से कमर हिलाने लगती है. छेदी भी अपनी कमर जो जोर-जोर से झटके देते हुए खुशबू की बूर चोदने लगता है. १५-२० झटके देते ही छेदी के लंड से गाढ़ा सफ़ेद पानी खुशबू की बूर की गहराई में गिरने लगता है. खुशबू भी छेदी से लिपटे हुए झड़ने लगती है. दोनों के झड़ने का सिलसिला ३-४ मिनट तक चलता है. पूरी तरह से झड़ने के बाद दोनों निढ़ाल हो कर बिस्तर पर गिर जाते है.


खुशबू की आँखे बंद है और बूर से सफ़ेद गाढ़ा पानी धीरे-धीरे बह रहा है. बूर के ओंठ फ़ैल कर अलग हो गए है. बूर के ओठों के अन्दर की लाली साफ़ बता रही है की खुशबू की बूर की चुदाई कितनी जम के हुई थी. छेदी भी खुशबू के पास ही लेटा हुआ था. धीरे-धीरे सांसे लेते हुए वो अपनी थकान दूर करने की कोशिश कर रहा था. तभी उसके फ़ोन पर कोई मेसेज आता है. वो फ़ोन उठा कर देखता है तो किसी अनजाने नंबर से मेसेज आया था. वो मेसेज खोलता है तो लिखा होता है, "मेरे भैया भी है और सय्याँ भी इसलिए आपसे सिर्फ दोस्ती हो सकती है". मेसेज पढ़ के छेदी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. गाड़ी की चाबी के साथ उसने उर्मिला को अपना नंबर दिया था, ये उसका ही जवाब था. फ़ोन को तकिये के निचे रख कर, चेहरे पर मुस्कराहट लिए छेदी आँखे बंद करता है और नींद की आगोश में चला जाता है.



" पायल रानी चिकन-चाकन, फल-फुल सब खाये,

पापा न मिले तो फिर केले से काम चलाये....!!,

बोलो हई रे .... हई रे .....हई हाsss......!! "


उर्मिला पायल के साथ छत पर अमरुद की टहनी के निचे बैठी उसे होली के गीत गा कर छेड़ रही थी. सुबह के ९ बज रहे थे और गाड़ी वापस आ जाने से घर में शांति थी. बाबूजी किसी काम से बाज़ार चले गए थे और उमा भी टीवी में लगी हुई थी. सोनू अब भी सो रहा था. ऐसे में भाभी और ननद को कुछ वक़्त साथ बिताने का मौका मिल गया था.


उर्मिला ने जो होली का गीत गाया था उसे सुन कर पायल की पैन्टी में चुलबुल मचने लगी थी. उर्मिला अच्छे से जानती थी की पायल को सिर्फ एक चुंटी काटने की जरुरत होती है. उसकी जवानी में ऐसी आग लगी है की बस थोड़ी से हवा दे दो और वो धूं-धूं कर के जलने लगती है. पापा और पायल पर उर्मिला के इस होली के गीत ने हवा का काम करते हुए पायल की जवानी की आग फिर से भड़का दी थी. वो मुस्कुराते हुए नखरे वाले अंदाज़ में कहती है.


पायल : (नखरे से मुस्कुराते हुए) धत्त भाभी...!! आप ऐसे ही हमेश मुझे छेड़ती रहती हो. जब पापा है तो मैं केले से काम क्यूँ चलाऊँगी ?


उर्मिला : तू तो ऐसे कह रही है जैसे रोज पापा का लंड बुर में ले कर सोती है.


पायल : अभी ले कर नहीं सोती तो क्या हुआ? जब मिलेगा तब ले लुंगी लेकिन केले से काम नहीं चलाऊँगी.


उर्मिला : मेरी भोली पायल तो कुछ जानती ही नहीं. अरे...!! केले और मोटे बैगन तो न जाने कितनी लड़कियों और औरतों का सहारा होते है. मैं जब कॉलेज में थी तो हम सब सहेलियां केले और बैगन को 'बी . एस . वाई (B.S.Y)' कहते थे.


पायल : (आश्चर्यचकित होते हुए) बी . एस . वाई ...?? ये क्या होता है भाभी ?


उर्मिला : (हँसते हुए) पगली तुझे 'B.S.Y' नहीं पता? कॉलेज में क्या सिर्फ पढ़ने जाती है? B.S.Y का मतलब होता है 'बूर शंतुष्टि यंत्र'.


उर्मिला की बात सुन कर पायल को हंसी आ जाती है और उसे अपनी भाभी पर गर्व भी महसूस होता है की वो कितनी खुले विचारों वाली है.


पायल : (हँसते हुए) हा हा हा हा भाभी....!! सच में. कॉलेज की लाइफ तो आपने पूरी एन्जॉय की है. फिर तो ये B.S.Y सारे कॉलेज में सबको पता होगा?


उर्मिला : सभी को नहीं. ये हमारे ग्रुप की लड़कियों का कोड था. हम तो खुले आम इस कोड का इस्तेमाल करते थे. हमे पता होता था की किसी न किसी के पास तो केला या बैगन होगा ही. जब भी किसी लड़की की बूर में खुजली होती वो सबके सामने ही पूछ लेती की किसी के पास B.S.Y है क्या ?


पायल : (बड़ी-बड़ी आँखों से ) पर भाभी ये बात कोई समझ नहीं पता था क्या?


उर्मिला : (हँसते हुए) मजे की बात तो ये थी पायल की जो नहीं जानते थे की B.S.Y क्या है उन्हें लगता था की हम लोग एक दुसरे से 'सेनेटरी पैड' मांग रही है और फिर जब हम वाशरूम चली जाती थी तो सबको लगता था की पैड बदलने जा रही है. और असल में वाशरूम में तो हम जम कर केले और बैगन चला कर आती थी.


उर्मिला की बात सुन कर पायल को अपनी कॉलेज की लाइफ बहुत ही नीरस सी लगने लगती है. उसका दिल करता है की काश वो भी भाभी के उस ग्रुप का हिस्सा होती.


पायल : भाभी आपका ग्रुप तो बड़ा मजेदार था.


उर्मिला : मजेदार...? एकदम धमाकेदार ग्रुप था. किसीका मुहँ बोले भाई के साथ चक्कर था तो किसी का अपने सगे भाई के साथ. कोई अपने चाचा-मामा के साथ फंसी थी तो कोई अपने ही पापा से. सब एक से बढ़कर एक कामिनी लडकियाँ थी.


पायल : (बड़ी-बड़ी आँखों से ) बापरे भाभी..!! अपने ही सगे भाई और पापा से भी?


उर्मिला : और नहीं तो क्या? मेरी जो सबसे पक्की सहेली थी, कंचन, उसका चक्कर तो अपने ही पापा के साथ था. कॉलेज के बाद जब हम हॉस्टल आते तो मैडम कमरे में जा कर नंगी हो कर बिस्तर पर टाँगे फैला कर अराम से बैठ जाती और बूर में ऊँगली करते हुए घंटो अपने पापा से फ़ोन पर बात किया करती.


उर्मिला की इस बात पर पायल की बूर में पानी आने लगता है. वो बड़ी-बड़ी आँखे और खुले हुए मुहँ से उर्मिल को देखते हुए कहती है.


पायल : बाप रे भाभी....इतनी गर्मी थी क्या कंचन की बूर में?


उर्मिला : हाँ पायल...बहुत गर्मी थी. अपने पापा से फ़ोन पर बात करते हुए कंचन इतनी गरम हो जाती थी की कई बार मुझे उसकी बूर में मोटा बैगन देना पड़ जाता था. अपने पापा से बात करते हुए जब बूर में मोटा बैगन जाता था तब जा कर कंचन को चैन मिलता था.


पायल : उफ़ भाभी...!!


उर्मिला : क्या हुआ पायल रानी?


पायल झेंप जाती है और बात बदलते हुए कहती है.


पायल : कुछ नहीं भाभी. वैसे आप होली के गीत बहुत अच्छा गाती है भाभी. इस होली में भी आपने कितने अच्छे-अच्छे गीत गाये थे.


उर्मिला : हम्म..!! होली में मेरे गाये गीत याद है और तेरे साथ क्या हुआ था वो भूल गई?


पायल : (मुहँ बनाते हुए) मेरे साथ ? क्या हुआ था मेरे साथ भाभी?


उर्मिला : ओहो ...!! देखो तो इस भोली लड़की के चेहरे को? जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं. तेरे मोटे-मोटे दूध पर जो बड़े-बड़े पंजो के रंग के निशान थे, भूल गई?


उर्मिला की बात सुन कर पायल थोड़ा शर्मा जाती है. फिर मुस्कुराते हुए कहती है.


पायल : होली का दिन था ना भाभी. लगा दिया होगा किसी ने....


उर्मिला : हाँ हाँ .... जैसे तुझे पता ही नहीं था की कौन लगा रहा है. घर के पिछवाड़े बाबूजी को तेरी टॉप में हाथ डाल कर तेरे मोटे दूधों पर रंग मलते मैंने देख लिया था पायल.....


अपनी चोरी पकड़ी जाने पर पायल शर्मा जाती है और मुस्कुराते हुए धीरे से कहती है.


पायल : होली वाले दिन तो पापा भांग के नशे में थे न भाभी.


उर्मिला : बाबूजी नशे में थे पर तू तो होश में थी ना? खड़े-खड़े अपने मोटे दूध मसलवा रही थी. भाग क्यूँ नहीं गई वहाँ से ? बोल ?


उर्मिला की बात सुन कर पायल अपना चेहरा उर्मिला के सीने में छुपा लेती है.


पायल : (चेहरा उर्मिला के सीने में छुपाते हुए) धत्त भाभी...!!


उर्मिला पायल के मोटे दूध को एक हाथ से दबाते हुए कहती है.


उर्मिला : सच बता पायल...मजा आ रहा था ना?


पायल : (धीरे से ) हाँ भाभी....पर उस वक़्त तक मैं पापा के लिए ऐसा-वैसा कुछ भी नहीं सोचती थी.


उर्मिला : जानती हूँ रे. पर अब तो तू तैयार है ना?


पायल : हाँ भाभी...अब तो मैं पूरी तैयार हूँ...


दोनों भाभी-ननद हंसी मजाक में लगे हुए थे. कुछ पुरानी, कुछ नई बातों को याद करते हुए दोनों मजे से अमरुद की टहनी की के नीचे बैठे हुए थे. तभी उन्हें सीढ़ियों पर क़दमों की आहट सुनाई देती है. दोनों का ध्यान छत के दरवाज़े की ओर चला जाता है. कुछ ही क्षण में दरवाज़े पर बाबूजी धोती और कुरते में चलते हुए आते है. बाबूजी को देखते ही पायल और उर्मिला एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा देती है. रमेश भी धीरे-धीरे चलते हुए थोड़ी दूर पर राखी अपनी खाट पर बैठ जाते है.


रमेश : क्या चल रहा है भाभी और ननद के बीच ?


उर्मिला : (हँसते हुए) कुछ नहीं बाबूजी....बस ऐसे ही बैठे हुए होली की बातें याद कर रहे थे.


रमेश : (हँसते हुए) हा हा हा.... हाँ बहु. इस बार होली में बड़ा मजा आया था.


उर्मिला : लेकिन बाबूजी, पायल जितना मजा तो किसी और को आया ही नहीं होगा.

रमेश : (आश्चर्य से ) ऐसा क्यूँ भाई? सभी ने तो मजे से होली खेली थी? फिर पायल को सबसे ज्यादा मजा किस बात का आ गया?


उर्मिला : वो बात ऐसी है ना बाबूजी की होली वाले दिन किसी ने घर के पिछवाड़े पायल की टॉप में हाथ डाल कर उसके मोटे दूध दबोच कर रंग लगा दिया था. पायल बता रही थी की उसे बड़ा मजा आया था.


उर्मिल की बात सुन कर पायल धीरे से भाभी की चुतड में चुंटी काट लेती है. बाबूजी भी उर्मिला की बात सुन कर सकपका जाते है. वो जानते है की उर्मिला जिस की बात कर रही थी वो और कोई नहीं खुद बाबूजी ही थे. हालांकी अब उनके और पायल का रिश्ता एक अलग ही मोड़ ले चूका था पर ये उस वक़्त की बात थी जब दोनों के बीच बाप-बेटी का एक पवित्र रिश्ता हुआ करता था. पायल की तरह रमेश भी उस घटना को दबाने की कोशिश करते है.


रमेश : अरे बहु...अब होली में तो कुछ लोग ऐसी बदमाशियाँ करते ही है. होगा कोई बदमाश....


उर्मिला : (बाबूजी को देखते हुए) बाबूजी मैंने तो उस बदमाश को अच्छे से देखा था. बिलकुल आप ही की तरह दिख रहा था.


उर्मिला की बात पर पायल को हंसी आ जाती है. वो हाथो से अपना मुहँ दबा कर हंसने लगती है. बाबूजी भी समझ जाते है की को पकडे गए है तो वो भी हँस देते है. उर्मिला भी हँसते हुए कहती है.


उर्मिला : अच्छा बाबूजी मैं अब निचे चलती हूँ. आप बाप-बेटी थोड़ी बातें कर लीजिये.


उर्मिला बाबूजी और पायल को देख कर मुस्कुराता देती है और छत के दरवाज़े की ओर जाने लगती है. उर्मिला जाते हुए छत का दरवाज़ा लगा देती है. उसके जाते ही रमेश खाट पर बैठे हुए पायल को देखते है. पायल भी पापा को देखती है तो शर्मा के नज़रे झुका लेती है. रमेश पायल को देखते हुए धोती पर से अपने लंड को मसलने लगते हैं. जब पायल की नज़र पड़ती है तो वो छत की दीवार से लग कर बैठ जाती है और दोनों घुटनों को मोड़ के अपने सीने से लगा लेती है. निचे उसकी स्कर्ट घुटनों के ऊपर चढ़ जाती है और जांघो के बीच उसकी बालोवाली बूर दिखने लगते है. जांघे आपस में चिपकी होने की वजह से पायल की बूर के ओंठ चिपके हुए है. रमेश जब ये नज़ारा देखते है तो उनका लंड फुंकार मारने लगता है. खाट पर बैठे हुए रमेश अपनी धोती को ऊपर से हटाते है तो उनका गंधे जैसा लंड दिखने लगता है. पायल जब पापा के मोटे लंड को देखती है तो वो अपने ओंठो को काटते हुए टाँगे फैला देती है. टांगों के फैलते ही पायल की बूर के ओंठ भी खुल जाते है और अन्दर का गुलाबी हिस्सा साफ़-साफ़ दिखने लगता है. अपनी बेटी की कुवांरी बूर देख कर रमेश का लंड २-३ झटके खाता है और मोटे टोपे से एक बड़ी सी बूँद लार का रूप ले कर ज़मीन पर गिरने लगती है. पायल बड़े गौर से पापा के लंड से गिरती उस लार को देखती है. जैसे ही वो लार ज़मीन से टकराती है, पायल घुटनों पर हाथ रख कर अपनी टाँगे पूरी फैला देती है. घने बालों के बीच पायल की खुली हुई गुलाबी बूर देखते ही रमेश के होश उड़ जाते है. लंड को पकड़ कर रमेश उसकी चमड़ी को पूरी पीछे खींच देते है तो मोटा टोपा पूरा खुल के बाहर निकल आता है. अपने पापा के लंड का मोटा और लाल-लाल टोपा देख कर पायल बैठे हुए अपनी जीभ निकाल कर टोपे को देखते हुए हवा में घुमाने लगती है. रमेश भी अपने लंड को पकड़ कर ऐसे हिलाते है जैसे पायल की जीभ पर रगड़ रहे हों. उर्मिला ने पहले ही पायल के बदन में आग लगा राखी थी. अब पापा के लंड ने तो पायल के बदन में शोले भड़का दिए थे. मस्ती में पायल निचे से अपनी टॉप उठा के पापा को अपने मोटे दूध दिखा देती है. रमेश जब पायल के मोटे दूध देखते है तो वो अपने ओठों को किसी चिड़ियाँ की चोंच की तरह बना कर दूध चूसने का इशारा करते है. ये देख कर पायल सीने को झटके देते हुए उच्छालने लगती है. हर झटके पर पायल के दोनों दूध उच्छल-उच्छल कर उसके सीने से टकराने लगते है.


रमेश से अब रहा नहीं जाता है. वो एक नज़र यहाँ-वहां देखते है और लंड को धोती से ढके खड़े खड़े हो जाते है. पायल को नशीली आँखों से घूरते हुए वो पायल की तरफ बढ़ने लगते है. पायल के सामने खड़े हो कर वो निचे बैठी पायल की आँखों में देखते है. पायल निचे बैठी हुई छत की दीवार से टिकी हुई है. उसके दूध टॉप के निचे से बाहर है और पैर फैले हुए है. पायल भी पापा की आँखों में देखते हुए तेज़ साँसे ले रही है. रमेश जैसे ही आगे बढ़ते है, सामने वाली छत पर उनके पडोसी शर्मा जी आ जाते है. रमेश शर्मा जी को देखते ही घबरा जाते है. हालांकी पायल रमेश के सामने दीवार के निचे बैठी है और शर्माजी सामने वाली छत पर खड़े है पर फिर भी उनके अचानक आ जाने से रमेश हडबडा जाते है. रमेश को देख कर शर्मा जी कहते है.


शर्मा जी : अरे रमेश जी..!! क्या हाल है? आज कल दिखाई नहीं देते? टहलने भी नहीं आते? तबियत तो ठीक है ना?


शर्मा जी की बात सुन कर रमेश दीवार की तरफ थोडा आगे बढ़ जाते है और बात करने लगते है. रमेश के दोनों पैर पायल की कमर के इर्द-गिर्द है और धोती के निचे से उनका मोटा लंड पायल के सर के ठीक ऊपर लटक रहा है.


रमेश : हाँ हाँ शर्मा जी सब ठीक है. बस आजकल मैं छत पर ही टहल लिया करता हूँ. यहाँ धुल-मिटटी भी नहीं होती है और किसी गाड़ी का खतरा भी नहीं होता.


निचे पापा और शर्मा जी की बातों पर जरा भी ध्यान न देते हुए पायल का पूरा ध्यान उसके सर के ऊपर लटक रहे पापा के लंड पर था जिसे वो बड़े ही गौर से देख रही थी.


शर्मा जी : चलिए...ये भी ठीक है. और घर में सब ठीक है?


रमेश : जी शर्मा जी...सब बढ़िया है.


निचे पायल पापा के लंड को देखती है और धीरे से अपनी नाक लंड के टोपे के पास ले जा कर सूंघ लेती है. लंड की तेज़ गंद सूंघते ही पायल को जैसे नशा सा चढ़ जाता है.


शर्मा जी : और पायल बिटिया तो अब कॉलेज जाने लगी है ना?


रमेश : हाँ शर्मा जी. कुछ महीने पहले ही दाखिला लिया था.


शर्मा जी : बड़ी संस्कारी और समझदार बच्ची है पायल रमेश जी. मैं तो कहता हूँ की भगवान ऐसी बेटी हर बाप को दे.


शर्मा जी की बात का जवाब देने के लिए रमेश जैसे ही मुहँ खोलने जाते है, उनका मुहँ खुला का खुला ही रह जाता है. खुले मुहँ से वो नज़रे नीची कर के देखते है तो उनकी टांगो के निचे बैठी पायल अपनी जीभ निकाल कर लंड के टोपे को चाट रही है. अभी-अभी शर्मा जी जिस बेटी की तारीफ़ करते हुए संस्कारी कह रहे थे कर रहे थे वही बेटी संस्कार के पिछवाड़े पर लात मारते हुए अपने सगे बाप के लंड को चाट रही थी. रमेश जब ये देखते है तो उनका दिमाग काम करना बंद कर देता है. लंड के टोपे पर घुमती बेटी की जीभ और सामने उनके पडोसी शर्मा जी. रमेश समझ नहीं पा रहे थे की मजा लें या बात का जवाब दें. तभी उनके कानो में शर्मा जी की आवाज़ सुनाई पड़ती है.


शर्मा जी : अरे कहाँ खो गए रमेश जी ?


शर्मा जी की बात सुनते ही रमेश को होश आता है. वो अपने आप को संभालते हुए कहते है.


रमेश : जी...जी शर्मा जी....पायल बड़ी संस्कारी लड़की है.


शर्मा जी : देखिएगा रमेश जी, एक दिन पायल आपका नाम जरुर रोशन करेगी.


पायल नीचे बैठी अपने पापा के लंड के टोपे को अपने मुहँ में भरे लोलीपोप की तरह चूसते हुए बाप का नाम रोशन कर रही थी. एक हाथ से पापा के लंड को पकड़ के पायल चमड़ी को बार-बार पीछे खींचते हुए टोपे को मुहँ में ठूंसने की कोशिश कर रही थी. छत की दीवार के पीछे खड़े रमेश अपने घुटनों को हल्का सा मोड़ के थोडा निचे हो जाते है तो उनका लंड पायल के मुहँ के सीध में आ जाता है. छत की दीवार रमेश की कमर से थोड़ी ऊपर है इस लिए शर्मा जी को अंदाज़ा भी नहीं था की दीवार की उस तरफ क्या गोरखधंदा हो रहा है. रमेश भी अब जोश में अपनी कमर को धीरे से आगे करते हुए पायल के मुहँ में लंड देने लगते है.


छत पर बाप-बेटी लगे हुए थे और निचे उर्मिला रसोई में अपने काम में लगी हुई थी. उमा को ड्राइंग रूम में ना पाकर वो उनके कमरे के पास पहुँच जाती है. दरवाज़े से अन्दर देखती है तो उमा सर पर हाथ रखे आँखे बंद किये लेती हुई है. उमा को इस तरह से लेता हुआ देख उर्मिला कहती है.


उर्मिला : क्या हुआ मम्मी जी? आपकी तबियत तो ठीक है ना?


उर्मिला की आवाज़ सुन कर उमा आँखे खोलती है.


उमा : कुछ नहीं बहु. कल रात नींद आ गई थी फिर अचानक से नींद खुल गई. रात भर गाड़ी की चिंता में मुझे ठीक से नींद नहीं आई. बस थोडा सा सर दुःख रहा था.


उर्मिला : सॉरी मम्मी जी. मुझे रात में ही आपको बता देना चाहिए थे की गाड़ी आ गई है. मुझे लगा आप सब सो रहे होंगे इसलिए मैंने सोचा की सुबह बता दूंगी.


उमा : कोई बात नहीं बहु. तुमने ठीक ही किया.


उर्मिला : आपका सर दबा दूँ मम्मी जी?


उमा : अरे नहीं बहु. मुझे तो अब नींद ही आ रही है. मैं सो जाउंगी. तू बस लल्ला को चाय दे कर उठा दे. अब उसका स्कूल भी खुलने वाला है तो अब जल्दी उठने की आदत डालनी पड़ेगी उसे.


उर्मिला : जी मम्मी जी. मैं अभी उसे चाय दे कर उठा देती हूँ.


उमा : ठीक है बहु. और जाते हुए दरवाज़ा लगा देना.


उर्मिला कमरे का दरवाज़ा लगा कर रसोई में आती है. एक कप में चाय डाल कर वो धीरे-धीरे सोनू के कमरे की तरफ बढ़ने लगती है.


वहां छत पर रमेश शर्मा जी से बाते करते हुए अपनी कमर आगे पीछे कर रहे थे और पायल के मुहँ में लंड पेल रहे थे. बीच-बीच में पायल पापा का लंड मुहँ से निकाल कर उसे बड़े गौर से देखती. अपनी जीभ से मोटे टोपे को चाट कर वो फिर से लंड मुहँ में भर लेती और रमेश कमर हिला कर उसकी मुहँ चुदाई करने लगते. सामने शर्मा जी इस बात से अनजान अपनी ही बातों में लगे हुए थे.


शर्मा जी : रमेश जी वो कहते है ना की जब बाप का जूता बेटे के पैरों में आ जाए तो वो बड़ा हो जाता है. ठीक वैसे ही जब माँ की जुती बेटी के पैरों में आ जाये तो वो बड़ी हो जाती है.


शर्मा जी की बात सुन कर रमेश का गन्दा दिमाग कुछ और ही सोचने लगता है. रमेश अपने आप से कहते है, "माँ की जुती का तो पता नहीं लेकिन जब बाप का लंड बेटी की बूर में पूरा घुस जाए तो वो जरुर बड़ी हो जाती है". ये सोचते हुए रमेश अपनी कमर को आगे कर पायल के मुहँ पर दबा देते है तो पायल का सर दीवार से सट जाता है और उनका लंड पायल के मुहँ में आधा घुस जाता है. कुछ क्षण वैसे ही आधा लंड पायल के मुहँ में ठूंसे हुए रखने के बाद रमेश अपनी कमर पीछे करते है तो लंड मुहँ से बाहर निकलता है. लंड के बाहर निकलते ही पायल के मुहँ से भी ढेर सारी लार गिरने लगती है. पायल हाथ से पापा के लंड को मसलती है और फिर से मुहँ में ले लेती है. पायल से लंड चुसवाते हुए रमेश शर्मा जी से कहते है.


रमेश : हाँ शर्मा जी . आपने बिलकुल सही कहा. अब मुझे भी लगने लगा है की पायल बेटी बड़ी हो गई है.


ये कह कर रमेश ३-४ बार जोर से कमर हिलाकर पायल का मुहँ चोद देते है.


निचे उर्मिला सोनू के कमरे के अन्दर पहुँच जाती है. सोनू बिस्तर पर अपनी शॉर्ट्स में लंड खड़ा किये सो रहा है. उर्मिला शॉर्ट्स में खड़ा लंड देखती है तो उसकी बूर खुजलाने लगती है. कप को टेबल पर रख वो धीरे से दरवाज़ा बंद कर सोनू के सर के पास आ जाती है. सोनू सीधा लेटे हुए साँसे ले रहा है. सोनू को इस तरह से साँसे लेते देख उर्मिला को मस्ती सूझती है. वो अपनी ब्लाउज के बटन सामने से खोल देती है. बिना ब्रा के उर्मिला के बड़े-बड़े दूध बाहर आ जाते है. वो बिस्तर के पास निचे घुटनों पर बैठ जाती है और अपना एक हाथ उठा के अपनी बालोवाली बगल सोनू की नाक के थोड़ी ऊपर रख देती है. उर्मिला के बगल से निकलती पसीने की वो महक सोनू की नाक तक पहुंचती है तो उसका सर अपने आप ही नींद में ऊपर उठ जाता है और उर्मिला की बगल में उसकी नाक घुस जाती है. ४-५ बार जोर-जोर से साँसे ला कर सोनू उर्मिला की बगल सूंघता है और उसकी आँखे खुल जाती है. उर्मिला को देख कर वो कहता है.


सोनू : भाभी आप?? बाकी सब कहाँ है?


उर्मिला : (अपने दूध सोनू के मुहँ के पास लाते हुए) सब अपने कामो में लगे है. कोई नहीं आएगा. ले जल्दी से चुसना शुरू कर...


उर्मिला की बात सुनकर सोनू उसके दूध को मुहँ में भर कर चूसने लगता है. उर्मिला भी उसके सर के पास बैठ कर अपना दूध दबा-दबा कर उसके मुहँ में देने लगती है. सोनू जब उर्मिला का निप्पल मुहँ में पकड़ कर खींच देता है तो उर्मिला सीसीयाते हुए कहती है.


उर्मिला : सीईईइ...!! धीरे सोनू...दुखता है...


२-३ मिनट तक सोनू से दूध चुसवाने के बाद उर्मिला खड़ी हो जाती है और अपनी साड़ी उठा कर बिस्तर पर चढ़ जाती है. उर्मिला को बिस्तर पर चढ़ता देख सोनू भी अपनी शॉर्ट्स उतार देता है. उसका लंड हवा में लहराता हुआ भाभी की बूर को इशारे करने लगता है. उर्मिला अपनी दोनों टाँगे फैलाए सोनू के लंड पर धीरे-धीरे बैठने लगती है. उसके बूर के ओंठ सोनू के लंड पर फिसलते हुए अपने अन्दर समाने लगते है. कुछ हे क्षण में सोनू का लंड पूरा जड़ तक उर्मिला की बूर में समां जाता है. अपने दोनों हाथों से वो उर्मिला के दोनों दूध को दबाते हुए निचे से लंड की चोट बूर में मारने लगता है. उर्मिला भी मजे से सोनू के लंड पर उच्छलते हुए लंड को बूर में लेने लगती है. बहुत दिनों के बाद सोनू के लंड को उर्मिला की बूर का मजा मिल रहा था. वो पूरे जोश में अपनी कमर उठा-उठा के उसकी बूर चोदने में लग जाता है.


ऊपर छत पर रमेश पायल के मुहँ की चुदाई कर रहे थे. काफी देर से पायल के मुहँ में लंड देने से रमेश का लंड पूरी तरह से तन्ना गया था. अब रमेश से और नहीं रहा जा रहा था. जब पायल ने जोर से रमेश के लंड को चूस लिया तो उनके मुहँ से आवाज़ निकल गई.


रमेश : आह्ह्ह्ह.....!!


शर्मा जी : अरे क्या हुआ रमेश जी?


रमेश : (सँभलते हुए ) अ...वो..कुछ नहीं शर्मा जी. बस घुटनों में थोडा दर्द है.


शर्मा जी : किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह लीजिये रमेश जी. अभी ध्यान नहीं दिया तो आगे दिक्कत हो सकती है.


रमेश को अब लगने लगा था की उनका लंड पानी फेक देगा. वो अपने घुटने को पकड़ने का नाटक करते हुए थोडा निचे झुकते है और पायल के मुहँ में तेज़ी से लंड पेलने लगते है. पायल भी समझ जाती है की पापा झड़ने के करीब है तो वो भी अपने मुहँ में वैक्यूम बना लेती है जिससे रमेश के लंड में एक कसाव सा महसूस होता है और २-३ झटको में ही लंड पायल के मुहँ में पानी फेकने लगता है. रमेश आँखे बंद किये "आह्ह्ह्ह...!! की आवाज़ करते हुए पायल के मुहँ में झड़ने लगते है. पायल भी दोनों हाथों से रमेश की गोटियों को पकड़ के दबा देती है तो उनके लंड का बचा हुआ पानी भी पायल के मुहँ में खाली हो जाता है. सामने खड़े शर्मा जी इस बात से अनजान यही समझ रहे थे की रमेश के घुटनों में दर्द हुआ है.


शर्मा जी : अरे रमेश जी...घुटनों का दर्द बढ़ गया है क्या?


निचे पायल पापा के लंड को मुहँ से निकाल कर टोपे को चाट-चाट कर साफ़ करने लगती है.


रमेश : अह्ह्ह्ह...!! बस शर्मा जी...अब दर्द...आह..!! कम हो रहा है...आह..!!


तभी निचे से मिसेज शर्मा की आवाज़ आती है तो शर्मा जी रमेश से कहते है.


शर्मा जी : अच्छा रमेश जी. अपना ख्याल रखिये. अगर किसी भी मदद की आवश्यकता हो तो मुझे जरूर बताइयेगा.


रमेश : आह..! जरुर शर्मा जी...


शर्मा जी के जाते ही रमेश निचे पायल को देखते है. वो उनका लंड पकडे मुस्कुरा रही है. रमेश भी उसे देख कर मुकुराते हुए कहते है.


रमेश : मेरी पायल बिटिया ने पापा की पिचकारी पूरी खाली कर दी.


पायल : पापा आपकी पिचकारी कितनी भरी हुई थी. पानी से तो मेरा पूरा मुहँ ही भर गया था. पापा आपसे एक बात कहूँ?


रमेश : हाँ मेरी गुडिया रानी...कहो...


पायल रमेश की आँखों में देखती है फिर धीरे से "पापा आई लव यू" बोल कर शरमाते हुए नज़रे झुका लेती है. पायल की इस बात पर रमेश धीरे से उसका चेहरा ऊपर करते है और अपने लंड को धीरे से उसके मुहँ में फिर से डाल देते है. पायल एक बार फिर से पापा के लंड को चूसने लगती है तो रमेश भी धीरे से कहते है.


रमेश : आह...!! पापा लव्ज़ यू टू बेटा.


पापा के लंड को एक बार अच्छे से चूस कर पायल लंड को मुहँ से निकाल देती है तो रमेश अपनी धोती ठीक कर लेते है. पायल भी अपनी टॉप ठीक कर के खड़ी होती है. दोनों एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुराते है और साथ-साथ छत के दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगते है.


पापा के लंड को एक बार अच्छे से चूस कर पायल लंड को मुहँ से निकाल देती है तो रमेश अपनी धोती ठीक कर लेते है. पायल भी अपनी टॉप ठीक कर के खड़ी होती है. दोनों एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुराते है और साथ-साथ छत के दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगते है.


निचे सोनू के लंड पर उर्मिला पागलों की तरह उच्छल रही है. सोनू भी मस्ती में भाभी की बूर का मजा ले रहा था की तभी दोनों की उमा की आवाज़ सुनाई देती है.


उमा : बहु...!!


उर्मिला झट से बिस्तर से निचे कूद पड़ती है और दरवाज़े की और देखते हुए अपने ब्लाउज के हुक लगाने लगती है. सोनू भी झट से चादर ओढ़ के दूसरी तरफ घूम कर सोने का नाटक करने लगता है. ब्लाउज के हुक लगा कर उर्मिला पास के टेबल पर रखी किताबों को ठीक करने लगती है. तभी दरवाज़ा खोल कर उमा अन्दर आती है.


उमा : क्या हुआ बहु? ये अब तक सो रहा है?


उर्मिला : अ..हाँ मम्मी जी...अभी उठ ही रहा है. टेबल पर किताबे यहाँ-वहां पड़ी थी तो मैं ठीक करने लगी.


उमा : ओह अच्छा...! लल्ला ...उठा जा बेटा...और कितना सोयेगा.


सोनू : बस मम्मी ५ मिनट में उठ जाऊंगा.


उमा : अच्छा ठीक है. और मत सों जाना. अच्छा उर्मिला अभी-अभी मास्टर जी का फ़ोन आया था. हमने जो ब्लाउज और चोलियाँ दी थी वो ठीक हो गई है. मेरा सर दुःख रहा है तो मैं नहीं जा पाऊँगी. तुम पायल को ले कर चली जाना.


उर्मिला : जी मम्मी जी....


उमा : ठीक है. चल मेरा थोडा सर ही दबा दे. नींद भी आ जाएगी. मास्टर जी के फ़ोन ने नींद ही तोड़ दी.


उदास मन से उर्मिला उमा के साथ वहां से चली जाती है. सोनू भी चैन की सांस लेता है. आज वो पकडे जाने से बाल-बाल बचा था.



दिन के १०:३० बज रहे है.

--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------


पुराने बाज़ार की एक दूकान के सामने ऑटोरिक्शा आ कर रुकता है. उर्मिला और पायल ऑटोरिक्शा से उतरते हैं. पैसे दे कर उर्मिला पायल के साथ दूकान के अन्दर जाती है. एक छोटी से गली में मास्टर जी की सिलाई की दूकान थी. उमा और घर की सभी लड़कियों के ब्लाउज और चोलियाँ मास्टर जी के यहाँ ही बनती थी. उर्मिला को देख कर मास्टर जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई.


मास्टर जी : अरे उर्मिला बेटी...आओ आओ...


उर्मिला : कैसे हैं आप मास्टर जी...


मास्टर जी : मैं तो ठीक हूँ बेटा...और पायल गुडिया कैसी है?


पायल : मैं भी ठीक हूँ मास्टर जी.


उर्मिला : मास्टर जी वो चोलियाँ और ब्लाउज का काम हो गया?


मास्टर जी : हाँ बेटा हो गया. मैं अभी निकाल देता हूँ.


उर्मिला : मास्टर जी जरा पायल की चोली का भी नाप ले लीजिये. पिछले बार आपने जो चोली सिली थी वो अब इसे टाइट होने लगी है.


मास्टर जी : (हैरानी से) क्या बात कर रही हो बिटिया? वो चोली सिले तो अभी १० दिन भी नहीं हुए और टाइट भी हो गई.


मास्टर जी की बात सुन कर पायल उर्मिला की तरफ देखती है तो दोनों मुस्कुरा देती है.


उर्मिला : जी मास्टर जी... वो चोली अब पायल को टाइट होने लगी है.


उर्मिला की इस बात पर मास्टर जी हैरानी में मोटा चश्मा पहनते हुए पायल के पास आते है.


मास्टर जी : पायल बिटिया, दोंनो हाथों को जरा ऊपर करो.


पायल दोनों हाथों को ऊपर करती है तो मास्टर जी टेप उसके उठे हुए सीने पर लपेट देते है. नाप ले कर वो टेबल पर रखी किताब के पन्नो को पलटने लगते है. एक पन्ने पर आ कर वो रुक जाते है और पायल की चोली का पुराना नाप गौर से देखते है. देखने के बाद वो बड़ी बड़ी आँखों से पायल और उर्मिला को देखने लगते है. मास्टर जी का ऐसा चेहरा देख कर उर्मिला कहती है.


उर्मिला : क्या हुआ मास्टर जी? आप इतनी हैरानी के साथ क्या देख रहे है?


मास्टर जी : कमाल है बिटिया...! पिछले और अभी के नाप में २ इंच का फर्क है. (अब मास्टर जी टॉप पर से पायल की बड़ी-बड़ी चुचियों को देखते हुए कहते है) १० दिनों के अन्दर २ इंच से बढ़ जाना मैं पहली बार देख रहा हूँ.


मास्टर जी की बात पर उर्मिला को हंसी आ जाती है. वो मामले को सँभालते हुए कहती है.


उर्मिला : वो क्या हैं ना मास्टर जी, अभी पायल का कॉलेज बंद है और वो सारा दिन घर में ही रहती है. इसके पापा इसे रोज मोटा केला खिला देते है. अब आप ही बताइए की जो लड़की रोज दिन में ३-४ बार मोटा केला खाएगी उसका वजन तो बढेगा ही ना ?


मास्टर जी : हाँ बिटिया. ये बात तो तुमने १६ आने सच कही है. दिन में ३-४ बार मोटा केला खाने से तो ये होना ही है.


मास्टर जी की बात पर पायल और उर्मिला मुहँ पर हाथ रख के हंसने लगती है. तब तक मास्टर जी कपड़ों को एक थैले में डाल कर देते हुए कहते है.


मास्टर जी : लो बिटिया. तुम्हारे कपडे.


उर्मिला मास्टर जी को पैसे देती है और वहां से पायल के साथ निकल जाती है. दुकान से बाहर आ कर पायल कहती है.


पायल : भाभी आपने तो मास्टर जी को चक्कर में ही डाल दिया.


उर्मिला : मास्टर जी को छोड़, पहले ये बता की तेरे दूध इतनी जल्दी २ इंच कैसे बड़े हो गए? बाबूजी से खूब मालिश करवा रही है ना?


उर्मिला की बात सुन कर पायल शर्मा जाती है. फिर धीरे से कहती है.


पायल : हाँ भाभी...!! पर मैं क्या करूँ. जब भी पापा के पास किसी काम से जाओ वो मेरी टॉप में हाथ डाल कर मेरे दूध दबाने लगते है.


उर्मिला : ओहो...तो बाबूजी तेरे दूध दबाने लगते है. और मेरी पायल रानी भी तो बार-बार जाती होगी ना उनके पास काम के बहाने से, अपने दूध दबवाने... बोल जाती है ना?


उर्मिला की बात पर पायल मुस्कुराते हुए नज़रे झुकाये सर हिलाकर हामी भर देती है.


उर्मला : (हँसते हुए) अच्छा चल..अच्छी बात है. ऐसे ही बाबूजी से मालिश करवाया कर तो अच्छे खासे बड़े हो जायेंगे तेरे.

No comments:

Post a Comment