भाभी के बाद उनकी बेटी की बुर चुदाई भाग -2

कहानी में पढ़ें कि मैंने अपने दोस्त की बीवी को चोदा तो उसकी बेटी को पता चल गया. वो मुझे ब्लैकमेल करने लगी. उसने होटल के कमरे में अपनी सील तुड़वायी? 

नमस्कार दोस्तो, मैं जगराज फिर से आपके सामने हाजिर हूँ.


मैंने अपनी पिछली सेक्स कहानी 

दोस्त की बीवी को ट्रेन में चोदा

आपको सुनाई थी, उसका लिंक दे रहा हूँ.


इस बार लॉकडाउन ख़त्म के बाद मेरे पास बहुत काम होने के कारण मुझे अपनी इस देसी भाभी सेक्स कहानी का दूसरा पार्ट लिखने में जरा देरी हो गई है, इसके लिए मैं आप सबसे माफ़ी चाहता हूँ.


मेरी पिछली सेक्स कहानी को पढ़ने के बाद बहुत सारे लोगों के मेल आए.

उसमें से एक पाठिका ने मुझे ग्रुप सेक्स के लिए आमंत्रित किया लेकिन मैंने उसे प्यार से मना कर दिया.


दिल्ली से और एक पाठिका का मेल आया, उसके बाद हमने एक दूसरे के व्हाट्सैप नंबर ले लिए थे, उसके साथ भी मेरा सेक्स हुआ था.


वो सब आपको बाद में विस्तार से लिख कर बताऊंगा. अभी इस न्यू बुर Xxx कहानी का आनन्द लीजिए.


दोस्तो, मेरी पिछली सेक्स कहानी से ही इस कहानी का सम्बन्ध है. इसलिए प्लीज़ आप पहले पिछली कहानी को अवश्य पढ़ लें.


मेरी सेक्स कहानी में आपने पढ़ा था कि मैं अपने दोस्त की बीवी विभा भाभी को ट्रेन के टॉयलेट में ले गया था और उधर उसको चोद कर जैसे ही बाहर निकला था, तो सामने भाभी की जवान बेटी रश्मि खड़ी थी.


उसे देख कर मेरी आंखें खुली की खुली ही रह गईं.

मैं एक मिनट के लिए तो संज्ञा शून्य हो गया कि अब क्या करूं क्योंकि विभा भाभी अभी भी टॉयलेट में ही थी और रश्मि को इस बात की खबर न लग सके, इसके लिए क्या करूं, मेरा दिमाग काम ही नहीं कर रहा था.


फिर मैंने उसी वक्त निर्णय लिया और कोशिश की कि विभा भाभी को इशारा दे दूँ.


मैंने ऊंची आवाज में रश्मि से कहा- अरे रश्मि बेटा, तुम यहां क्यों खड़ी हो … सामने वाले वाशरूम का यूज कर लो!


मैंने ऊंची आवाज में इसलिए कहा ताकि विभा अपने कपड़े ठीक कर सके और टॉयलेट से बाहर न निकले.


मेरी बात का जवाब देती हुई रश्मि मुझसे बोली- अंकल दूसरा टॉयलेट न जाने कब से एंगेज है. मैं कई मिनट से इधर खड़ी हूँ.


अब मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था.

मैं अपनी सीट की तरफ चल दिया और सोचा अब क्या किया जा सकता है, जो भी होगा, देखा जाएगा.


एक मिनट के बाद विभा और दस मिनट के बाद रश्मि भी अपनी सीट पर आ गई.


मैं सनाका खाए हुए व्यक्ति के जैसे अपनी सीट पर बैठ गया था.

मुझे लग रहा था कि अब पक्का बवाल होगा.

मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.


विभा मुझसे सामान्य बात करने लगी और रश्मि ने भी यूं ही साधारण बात करना शुरू दी.

हम सभी सामान्य बातें करने लगे.


फिर मैंने कहा- अभी सो जाओ, बातों से बाकी सभी को डिस्टर्ब होगा.


इस बात पर रश्मि और विभा अपनी बर्थ पर जा कर सो गईं.

मुझे कुछ देर नींद नहीं आई, बाद में मैं कब सो गया, कुछ पता ही नहीं चला.


सुबह साढ़े सात बजे हम दिल्ली पहुंच गए और वहां से एक होटल की तरफ निकल गए, जो कि हमने पहले से ही बुक किया हुआ था.मैं फ्रेश होकर अपने दोस्त के रूम में आ गया. उधर मौक़ा देख कर मैंने विभा से कल रात के बारे में पूछा.


उसने बताया- हां रश्मि ने मुझे देखा तो था मगर उसने कुछ कहा नहीं था. उसे शक तो हो ही गया है. अब हम दोनों कुछ दिन तक दूरी बनाए रखें और देखते हैं कि क्या होता है.

मैंने भी वही सोचा था.


फिर हम सब तैयार होकर नाश्ता करके तय प्रोग्राम के अनुसार अक्षरधाम मन्दिर देखने के लिए तैयार हो गए.


इस दौरान मैंने कई बार रश्मि की तरफ देखा मगर वो किसी भी तरह का कुछ भी रिएक्ट नहीं कर रही थी.


मन्दिर जाने के लिए हमने दो कारें भाड़े पर मंगाई थीं. कारों में बैठने का सिलसिला कुछ ऐसा हुआ कि मेरे साथ रश्मि बैठ गई. कार में जगह की कमी के चलते हम दोनों एक दूसरे को सट कर बैठे थे.


रास्ते में रश्मि ने हल्की आवाज में मुझसे कहा- अंकल रात को क्या हुआ था?


मैंने अनजान बनते हुए बोला- कब?

रश्मि बोली- अंकल ज्यादा छुपाने की कोशिश मत करो. मैं उस टाइम बीस मिनट तक वाशरूम के बाहर ही खड़ी रही थी.


उसकी बात सुनकर मेरा दिमाग सुन्न हो गया कि अब क्या बोलूं.


दो मिनट के बाद रश्मि ने मेरी जांघ पर हौले से हाथ रख दिया और बोली- कोई बात नहीं अंकल, मैं समझ सकती हूँ कि मेरे डैड को मेरी मॉम के लिए समय नहीं रहता है. जो भी हुआ, वो मेरी मॉम की मर्जी से ही हुआ है, तो आप चिंता मत कीजिए. मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊंगी.


मैंने भी रश्मि के हाथ पर अपना हाथ रख कर हल्की आवाज में उससे ‘थैंक्स …’ कहा.

मुझे लगा कि चलो बात खत्म हुई. पर मुझे कहाँ मालूम था कि बात तो अभी शुरू हुई है.


रश्मि ने कहा- अंकल, लेकिन मुझे भी आपको कुछ देना पड़ेगा.

मैंने बोला- जो भी तू चाहती है, मुझे बता देना … मैं तुझको दिला दूँगा.


रश्मि ने उसी वक्त अपने हाथ को मेरी जांघ पर आगे ले जाकर मेरे लंड पर फिराया और बोली- मुझे ये चाहिए.

उसका हाथ अपने लंड पर पाकर मेरा दिमाग फिर से सुन्न हो गया.


उसी समय रश्मि के डैड ने पीछे मुड़ कर कहा- रश्मि, अंकल से क्या इतनी बातें हो रही हैं, जरा हमें भी तो बताओ.

रश्मि ने तुरंत ही मज़ाक करते हुए कहा- डैड, मैं अंकल से आप ही की कंप्लेंट कर रही हूँ.


इस पर बाप बेटी दोनों हंस पड़े.


विभा तो कल रात के हादसे के बाद मेरी तरफ देख ही नहीं रही थी.


कुछ देर बाद रश्मि ने मेरा हाथ पकड़ कर हल्के से चूम लिया और मेरे कान में फुसफुसाई कि मेरे बगल के नीचे से आप हाथ डाल कर मेरे सीने पर रखिए.


मैंने ना में सर हिला कर उसे मना कर दिया क्योंकि वो मेरे दोस्त की बेटी थी और मेरी बेटी की उम्र की ही थी.


इस पर वो गुस्सा हो गई … और बोली- देख लीजिए … मैं डैड को सब बता दूंगी.

अब मुझे उससे डर लगा.

मैंने कोई न देख ले, इस बात का ध्यान रखते हुए उसके सामने हाथ जोड़ते हुए कहा- तू कुछ और मांग ले.


इन्हीं सब बातों के चलते हमारी मंजिल आ गई और हम सब कार से उतर गए.

मैंने जल्दी से आगे बढ़ कर टिकट ले लिए और सब लोग अन्दर जाने वाली लाइन में खड़े हो गए.

हमें प्रदर्शनी देखते हुए तीस मिनट ही हुए थे कि रश्मि ने अपने डैड से कहा- डैड मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही है. मुझे सर में दर्द हो रहा है. मुझसे ज्यादा टाइम चला नहीं जाएगा.


ये सुनकर मेरे दोस्त ने रश्मि से कुछ बात की मगर वो लगातार अपनी तबियत खराब होने की बात कहती रही.


मेरे दोस्त ने मुझसे कहा- यार, इसका क्या किया जाए. अपना होटल भी काफी दूर है और प्रदर्शनी में पूरा दिन चला जाएगा.

तभी रश्मि बोली- अंकल ने तो मन्दिर पहले भी दो तीन बार देखा है, तो अंकल आप मेरे साथ बाहर चलो. हम कहीं बाहर रुक जाते हैं. बाकी सब देख लें, तब तक हम बाहर इंतज़ार करेंगे.


मेरे दोस्त ने भी बोला- हां यार, ये ठीक रहेगा. इसके साथ तू चला जाएगा, तो मुझे भी कोई टेंशन नहीं रहेगी.

अब मेरे पास कोई और चारा नहीं था.


मैं और रश्मि वापिस लौट गए.


बाहर निकलते ही रश्मि ने कहा- फटाफट नजदीक कहीं किसी होटल में एक कमरा ले लो. मुझे आराम करना है.


मैंने तुरंत कैब पकड़ी और उस कैब वाले से बोला- भाई इधर किसी अच्छे से होटल में ले चल.


उसने पांच मिनट में ही एक लग्जरी होटल में हमें पहुंचा दिया.


मैंने अन्दर जाकर एक कमरा बुक कर लिया.


कमरे में पहुंचते ही रश्मि ने मुझे आंख मारी और बोली- कैसा लगा मेरा आइडिया?


तब मेरी समझ में आया कि रश्मि एक्टिंग कर रही थी वरना मैं तो मान रहा था कि सच में रश्मि की तबियत ख़राब है.


उसने बिस्तर पर लेटते ही कहा- एसी धीमा चल रहा है.

मैंने बोला- ठीक है, मैं रूम चेंज करने को बोलता हूँ.


रश्मि ने कहा- इट्स ओके अंकल … जस्ट चिल … थोड़ी देर में रूम ठंडा हो जाएगा.

मैं चुप हो गया.


अब रश्मि बोली- आओ अंकल बेड पर बैठो, मैं आपकी गोदी में सर रखती हूँ. आप मुझे थोड़ा मसाज दे दो.


मैं उसकी तरफ देखने लगा.


तो वो आंख मारती हुई बोली- मेरे सर में दर्द है … और डैड ने आपको मेरा ख्याल रखने को बोला है ना!


मैं चुपचाप बेड पर बैठ गया, रश्मि मेरी गोदी में सर रख कर लेट गई.

मैंने हल्के हाथों से उसके सर को मसाज देना शुरू कर दिया.




इतने में रश्मि ने अपना टॉप अपने चूचों तक उठा दिया और बोली- गर्मी है, तो अंकल आप भी अपनी टी-शर्ट उतार दो.

मैंने मना किया कि मुझे गर्मी नहीं लग रही है.


उसने मुझे हड़काते हुए कहा- अंकल आप उतारते हो या मैं रात वाली बात डैड को बताऊं!


मैंने मजबूरन अपनी टी-शर्ट उतार दी.

अभी तक मेरे मन में रश्मि के लिए कोई गलत ख्यालात नहीं थे.

मैं रश्मि के सर को मसाज दे रहा था और रश्मि अपने हाथों को मेरे सीने पर प्यार से फिरा रही थी.


उसके हाथों की हरकत मेरे सीने के निप्पलों को कड़क कर रही थी और अब धीरे धीरे मेरे लंड में तनाव आने लगा था.


रश्मि ने धीरे से अपना सर ऊंचा करके अपना टॉप निकाल दिया.मेरे सामने रश्मि के तीस इंच साइज के चुचे ब्रा में कैद थे.


सीन देख कर मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था और रश्मि के सर के नीचे से दबाव बना रहा था.


रश्मि ने बोला- अंकल, ये नीचे से क्या चुभ रहा है?

मैंने कुछ नहीं बोला.


रश्मि ने झटके से अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया, उसकी इस हरकत से मैं हक्का-बक्का रह गया.


उसने उठ कर मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख दिया.

मैंने भी सोचा कि भाड़ में जाए सब … मुझे एक न्यू बुर चोदने को मिल रही है.

तो मैंने भी किस करने में उसको पूरा सहयोग दिया.


कुछ ही पल बाद मैंने अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.

उसने अपने कंधों से सरकाते हुए ब्रा को निकाल फैंका.


हम दोनों ऐसे चिपक गए जैसे एक दूसरे में समा जाना चाहते हों.


मैंने उसके एक चूचे को दबाना शुरू किया तो उसकी मादक आहें निकलना शुरू हो गईं.

उसने मेरे कान में कहा- मेरे निप्पल चूसो न!


मैंने अपना सर नीचा करके उसकी एक चूची के निप्पल को मुँह में ले लिया और चूसना शुरू कर दिया.


वो मदहोशी से आहें भरने लगी और अपने हाथ से मुझे अपना चूचा दबाती हुई दूध पिलाने लगी.

मैंने बारी बारी से उसके दोनों संतरों का रस चूसा.


फिर उसने मेरी जींस की चैन खोल कर उसको उतारने की कोशिश की.


मैंने अपनी गांड को हल्के से उठाया और जींस निकालने में उसकी मदद की. उसने चड्डी समेत मेरी जींस को उतार दिया.

मैंने भी उसकी लेगिंग्स को उतार दिया


अब वो मेरे सामने सिर्फ निक्कर पहने थी, बाक़ी पूरी नंगी थी.


मैंने उसकी चड्डी में अपनी उंगलियां फंसा दीं और चड्डी नीचे की ओर खींच दी.


मेरे सामने उसकी एकदम क्लीन शेव्ड चिकनी चूत चिपचिप कर रही थी.

मैंने देर ना करते हुए अपने होंठों को उसकी चूत पर रख दिया.

वो जोर से आहें भरने लगी और मेरे सर को अपनी बुर पर दबाने लगी.


करीबन दस मिनट तक मैंने उसकी Xxx बुर को चाटा.

वो मस्त हो गई थी.

फिर मैंने अपना खड़ा लंड उसके मुँह के सामने कर दिया.


वो लंड चूसने से मना करने लगी- छी: अंकल … मुझे ये सब गन्दा लगता है.

मैंने उसे समझाया और बोला- मेरे चूसने से जैसा तुझे मज़ा आया, ऐसा मुझे भी चाहिए. अगर तू लंड चूसेगी … तो ही मैं तुझे चोदूंगा.


अब उसने मेरा लंड हाथ में लिया और सुपारे पर हल्का किस किया.

मैंने उसके बालों को पीछे से जोर से खींचा तो उसके मुँह से आआह्ह की आवाज आई और मुँह खुल गया.


मैं यही चाहता था.

उसी पल मैंने फटाक से अपना साढ़े छह इंच का कड़क लंड उसके मुँह में घुसेड़ दिया.


थोड़ी देर तक वो गों गों की आवाज करती रही लेकिन एक मिनट के बाद वो मज़े से लंड चूसने लगी.


थोड़ी देर लंड चुसाई के बाद मैंने उससे कहा- चल अब तेरी चूत का उदघाटन करता हूँ.

वो बोली- जरा प्यार से चोदना अंकल. मैं पहली बार लंड ले रही हूँ और वो भी इतना मोटा.


मैंने लंड हिलाते हुए उसे बताया- रश्मि तू चिंता मत कर … मुझे सीलपैक चूत चोदने का काफी एक्सपीरियंस है. मैं तुझे भी बड़े प्यार से चोदूंगा.


वो डरती हुई सीधी लेट गई.

मैंने उसकी टांगों को चौड़ा किया और उसकी चूत के दाने पर लंड को रगड़ना शुरू कर दिया.


थोड़ी ही देर में वो गर्मा गई और उसका डर निकल गया.

वो चुदासी आवाज में बोली- अब अन्दर डाल दो अंकल प्लीज … सताओ मत.


मैंने चूत के छेद पर अपना सुपारा सैट करके हल्का सा जोर लगाया.

सुपारे ने चूत की फांकों को चीरा और अन्दर फंस गया.

वो दर्द से कराहने लगी.


मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को रख कर एक जोर का धक्का दे दिया तो मेरा आधा लंड उसकी सील पैक चूत में घुस गया.


वो छटपटाने लगी और उसकी आंखों में आंसू आ गए.

मैं वहीं पर रुका रहा और उसके निप्पल को अपने होंठ से दबा कर सक करने लगा.


मैंने उससे कहा- दो चार धक्कों तक दर्द होगा … उसके बाद में तुम्हें बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा.

उसने भी आंखें खोलीं और दांत पीसती हुई बोली- अब जो होगा सो देखा जाएगा … आप मुझे चोद दो अंकल.


मैंने अपना लंड कुछ बाहर को निकाला और धीरे धीरे चार पांच धक्के लगाए बाद में एक धक्का जोर से मारा तो मेरा पूरा लंड उसकी छोटी सी चूत में अन्दर तक घुसता चला गया.


वो दर्द के मारे बेहोश सी हो गई, मैं भी रुका रहा.

उसके नार्मल होने तक मैंने इन्तजार किया.

जैसे ही वो सामान्य हुई तो मैंने हल्के धक्के देना शुरू कर दिए.


कुछ देर की पीड़ा के बाद वो भी धीरे धीरे अपनी गांड उठाकर मज़े से चुदाई का मजा लेने लगी.


अब मैंने अपना रफ़्तार बढ़ा दी और रश्मि की धक्कमपेल चुदाई करने लगा.

वो भी ‘आह्ह … ओह्ह्ह …’ करके अपनी तरफ से धक्का लगाने लगी.


पांच मिनट की चुदाई के बाद वो अपनी लाइफ में पहली बार किसी लंड से चुद कर झड़ गई.

उसकी चूत मेरे लंड को अन्दर से पकड़ने और छोड़ने लगी. चूत का रस छूट गया था तो चिकनाई भी मजा देने लगी थी.


अब मुझे रश्मि की चूत चोदने में बहुत मज़ा आ रहा था. वो झड़ गई थी लेकिन मेरा अभी बाकी था.


दो मिनट तक यूं ही चोदने के बाद वो फिर से चार्ज हो गई.


मैंने उससे घोड़ी बनने को कहा.

वो तुरंत पलट कर घोड़ी बन गई.


मैं उसकी चूत में पीछे से लंड पेलने लगा.


लगभग दस मिनट के बाद जब मेरा लंड छूटने वाला था, तब मैंने अपना तगड़ा लंड उसकी चूत में से निकाला और उसके बाल पकड़ कर उसका चेहरा लंड के सामने कर लिया.

अपने हाथ से अपने लौड़े को मुठियाते हुए मैंने उसके चेहरे पर वीर्य की पिचकारियां मारना शुरू कर दीं.


वो मस्ती से अपने चेहरे से वीर्य को मलने लगी कुछ अपनी चूचियों पर मल लिया.

अब वो हंस रही थी, कह रही थी कि उसकी बुर अब चूत में बदल गई थी.


इस मस्त चुदाई से हम दोनों एसी रूम में भी पसीने से तर हो गए थे.


मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया, वो मुझसे चिपकी रही और मैं उसकी चूचियां सहला कर उसे मज़ा देता रहा.


फिर हम दोनों नंगे ही बाथरूम में जाकर एक साथ नहाये और उधर भी मैं उसे एक बार चोद कर बाहर आ गया.


मैंने उससे पूछा- रश्मि, तूने मुझे ही क्यों चुना था?

वो हंस कर बोली- आप मेरे लिए सेफ टार्गेट थे और आगे भी मुझे मजा देते रहेंगे.मैं समझ गया था कि ये मेरे लंड की पक्की जुगाड़ बन गई है.


फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और होटल से चैकआउट करके वापिस बाकी लोगों के साथ जुड़ गए.


उसके बाद तो मुझे जब भी मौका मिलता, मैं उसे चोद देता था.

अलग अलग स्टाइल में हमने काफी चुदाई की.


दोस्तो, अब रश्मि का मन है कि मैं उसको उसकी मॉम विभा भाभी के साथ एक ही बिस्तर पर चोदूं.

मगर विभा इसके लिए अभी तैयार नहीं हो रही है.


जैसे ही मां बेटी एक साथ मुझसे चुदने के लिए राजी होंगी, मैं उन दोनों की चुदाई की कहानी आपके सामने पेश करूंगा.


इसके अलावा मैंने अभी तक अलग अलग उम्र की कई लड़कियों और भाभियों के साथ सेक्स किया है.

उन सब देसी सेक्स कहानी को क्रमबद्ध तरीक से एक एक करके लिखूंगा.


इसके अलावा इस सेक्स कहानी को लिखते समय मैंने एक दिल्ली वाली पाठिका से भी नेट पर बात की है तथा उसके साथ वीडियो सेक्स भी किया है.

वो सब कैसे हुआ, उसे मैं अगली सेक्स कहानी में पेश करूंगा.


इस न्यू बुर Xxx कहानी पर आपके मेल और कमेंट्स की प्रतीक्षा में.

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