रास्ते में मिली लड़की के साथ चुदाई का मजा- 2

 हॉर्नी Xxx भाभी की चुदाई का मजा मुझे उसकी मदद करने के बदले मिला. मैंने उसकी कार ठीक की, वो मुझे घर ले गयी. वहां हम दोनों दोस्त बन गये.


हैलो फ्रेंड्स, मैं आरव आपको एक ऐसी महिला के साथ सेक्स करने की दास्तान सुना रहा था, जो मुझे हाइवे पर मिली थी और अपनी कार खराब होने से परेशान थी.

कहानी के पहले भाग

रास्ते में मिली लड़की की मदद की

में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं दीप्ति के साथ किस करके उसे गर्म कर चुका था. हम दोनों के कपड़े उतर कर वासना की आग को भड़काने लगे थे.

रास्ते में मिली लड़की के साथ चुदाई का मजा

अब आगे हॉर्नी Xxx भाभी की चुदाई:


मेरी कामुक नजरें दीप्ति के कातिलाना मम्मों पर ठहर चुकी थीं.


मैंने दीप्ति को घुमा दिया और पीछे से दीप्ति की गर्दन को चूमने लगा.

फिर दीप्ति की ब्रा की पट्टी के हुक को खोल दिया और दीप्ति की मदद से उसकी स्टाइलिश ब्रा निकाल कर अलग कर दी.


पीछे से ही मैंने दीप्ति को अपनी बांहों में लेकर अपने दोनों हाथ उसके मम्मों पर रख दिए और धीमे धीमे से सहलाने लगा.

इससे दीप्ति मदहोश होने लगी.


दीप्ति के रसभरे मम्मों को छूते ही मैंने अपना आधा होश खो दिया था.

मेरा तना हुआ लंड दीप्ति की मदमस्त गांड को टच करने लगा था.


दीप्ति के मम्मों को सहलाते हुए मेरी उत्तेजना बहुत ज्यादा बढ़ गई थी.

उसकी भी ऐसी हालत हो गई थी, तो वो मेरी ओर घूम गई.


दीप्ति- मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है.

मैं- मुझसे भी.


तभी दीप्ति ने आगे बढ़ कर अपनी अलमारी को खोला और उसमें से कंडोम का एक पैकेट निकाल कर मुझे दे दिया.


दीप्ति- सेफ्टी जरूरी है.

मैं- हां.


मैंने उसी समय दीप्ति को किस करते हुए उसको बेड पर पटक दिया और दीप्ति के सामने अपनी पैंट निकाल दी.

पैंट हटने के बाद निक्कर में मेरा तना हुआ लंड से तंबू बना साफ दिख रहा था.

दीप्ति मेरे लंड को घूर रही थी.


जिस तरह से दीप्ति मेरे लंड को देख रही थी, शायद पहली बार वो इतने बड़े लंड को देख रही थी.

मेरे ख्याल से मानव का लंड मेरे लंड से छोटा रहा होगा जो दीप्ति की नजर साफ बता रही थी.


मैं खुश होकर बेड पर आ गया और दीप्ति को बेड पर लेटाकर उसे किस करने लगा, उसकी गर्दन को चूमने लगा, उसके रस भरे मम्मों को मसलने लगा.मैंने उसके बदन को खूब चूमा और उसके शॉर्ट्स को खींच कर अलग कर दिया.


दीप्ति की पैंटी गीली थी यानि मेरी तरह वो भी बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी.


मैं अब ज्यादा देर नहीं कर सकता था तो मैंने खड़े होकर अपनी निक्कर भी निकाल दी.

मेरा खड़ा लंड आजाद हो गया और हवा में फुंफकारते हुए लंड को दीप्ति देखती रह गई.


दीप्ति- ओह माय गॉड, ये तो उम्मीद से ज्यादा बड़ा है.

मैं स्माइल करके बोला- झेल लोगी?

दीप्ति हंस कर बोली- अब कोई रास्ता भी तो नहीं है.


तीन महीने बाद चुदाई का मौका मिल रहा था, वो भी दीप्ति जैसी मादक हसीना के साथ सेक्स करने का मौका मिला था तो मैं आज कोई कमी नहीं रहने देना चाहता था.

आज तो दीप्ति की चूत की शामत आने वाली थी.


मैंने दीप्ति की पैंटी भी निकाल दी.

मेरे सामने दीप्ति की मदमस्त फूली हुई चूत एकदम साफ और चिकनी गुलाबी चूत थी. मैंने महसूस किया कि दीप्ति की चूत इतनी ज्यादा खुली नहीं थी यानि उन दोनों के बीच सेक्स कम होता था.


मैंने लंड पर कंडोम लगाया और दीप्ति के पैर फैलाकर उसके ऊपर आकर अपनी पोजिशन ले ली.

लंड जरा सा चूत को टच करते ही दीप्ति सिहर उठी … वो बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी.


दीप्ति मुझे सेक्सी नजरों से देख रही थी.

वो अभी अपने पति मानव की परवाह किए बिना मेरे साथ आज की इस रात को एंजॉय करना चाहती थी.


मैंने अपने लंड को सही तरह से चूत पर सैट कर दिया और धीरे से जोर लगाकर धक्का लगाया.

मेरा थोड़ा सा लंड चूत में घुस गया और दीप्ति की आवाज निकल गई ‘आह मर गई … धीरे.’


उसकी इस आवाज से मेरा जोश बढ़ गया और मैंने धक्का लगाना शुरू कर दिया.


दीप्ति- उह आह ओह उहह उहह आहह अह …


उसकी कामुक आवाजें सुनकर मैं और ज्यादा उत्तेजित हो गया और पूरा लंड बाहर खींच कर मैंने अचानक से जोर का धक्का लगा दिया.

मेरा आधा लंड चूत को फाड़ते हुए अन्दर घुस गया.


दीप्ति की तेज चीख निकल गई और उसने चादर को अपनी दोनों हाथ की मुट्ठियों से पकड़ लिया.


इधर मुझसे खुद को रोक पाना मुश्किल हो गया था तो मैंने दीप्ति के दर्द को अनदेखा करके उसकी चूत की चुदाई करना शुरू कर दी.


मानव का लंड साधारण था, तो दीप्ति को मुझे झेलने दर्द हो रहा था.


दीप्ति- आह ओह अहह धीरे करो … तुम बहुत तेज चोद रहे हो.


उसकी कामुक आवाजें मुझे और ज्यादा उत्तेजित बना रही थीं और मेरा जोश भी बढ़ रहा था.इसलिए मैं दीप्ति के दर्द को अनसुना करके उसकी चूत में लंड पेले जा रहा था.

दीप्ति छटपटा रही थी.


इस समय चुदाई से पूरा कमरा संगीतमय हो गया था.


दीप्ति की कामुक मीठी आवाजें गूंज रही थीं.

उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था जिस वजह से चुदाई की फच फच फच की आवाज भी गूंजने लगी थी.


ये मिलीजुली आवाजें कमरे के माहौल को और भी ज्यादा गर्म बना रही थीं.


कुछ ही देर में जोरदार चुदाई से दीप्ति की तरह मेरी सांसें भी तेज हो गई थीं.तीन महीने बाद सेक्स का मौका मिला था तो मैं पूरे जोश में दीप्ति को रगड़ रगड़ कर चोद रहा था और वो मोटे लंड से हो रहे दर्द को बर्दाश्त करती हुई मुझे झेल रही थी.


दीप्ति को अनुमान हो गया था कि जब तक मेरा पानी नहीं निकलेगा, तब तक मैं रुकने वाला नहीं हूँ.


इस समय दीप्ति के चेहरे के हावभाव एकदम बदल चुके थे. उसका चेहरा हल्का सा लाल पड़ गया था.


मैं अपनी एक्स गर्लफ्रेंड को आधे घंटे तक चोदता था लेकिन आज इतना ज्यादा उत्तेजित था कि लगने लगा था कि मैं जल्दी ही जड़ जाऊंगा.


दस मिनट तक बिना रुके मैं पूरे जोश में दीप्ति की चुदाई करता रहा और तेज आह कराह के साथ झड़ गया.


मैं झड़ कर ऐसे ही उसके ऊपर लेट गया.

मेरा पानी निकलने से दीप्ति को भी थोड़ा आराम मिल गया था.


कुछ देर बाद मैं दीप्ति के ऊपर से हट गया और कंडोम को डस्टबिन में फेंककर दीप्ति के पास लेट गया.


दीप्ति की सांसें अब भी तेज तेज चल रही थीं.

वो चूत में हो रही जलन से छटपटा रही थी और आह आह कर रही थी.


अब दीप्ति को देखकर मुझे अहसास हो रहा था कि मैं किसी और की बीवी को अपनी गर्लफ्रेंड समझकर ठुकाई कर रहा था.

दीप्ति मेरी ओर देखने लगी, लेकिन वो कुछ नहीं बोल रही थी.


वो नाराज तो नहीं दिख रही थी क्योंकि वो अपनी मर्जी से मेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार थी.

बस थोड़ा सा दर्द हो रहा था.


अभी मैंने दीप्ति की चूत की ऐसी की तैसी कर दी थी. उसकी चूत का मुँह इतना फ़ैल गया था कि इस वक्त यदि उसके पति का लंड उसकी चूत में घुसता तो शायद उसे पता भी ना चलता.


मैंने दीप्ति के गाल पर किस किया और उसे सहलाने लगा.

वो कुछ पल बाद थोड़ा सामने हो गई और टिश्यू पेपर से अपनी चूत को साफ करने लगी.

उसने मुझे भी लंड साफ करने के लिए टिश्यू पेपर पकड़ा दिया.


मैं- कैसा लग रहा है?

दीप्ति- एक अजीब-सा सुकून और दर्द दोनों है.


मैं- सॉरी, मैं ज्यादा ही तेज हो गया था.

दीप्ति- मुझे पहले से तुम्हें देखकर अनुमान हो गया था.


मैं- ऐसी बात है!

दीप्ति- हां मगर मैंने सोचा भी नहीं था कि किसी अंजान मर्द से सेक्स करूंगी.


मैं- आज आपकी कार खराब हुई और मुझे किस्मत में आपका साथ मिल गया.

दीप्ति- तुम्हारे साथ मैंने कैसे जिस्मानी संबध बना लिया, पता ही नहीं चला.


मैं- आज की रात मेरे लिए यादगार रहेगी.

दीप्ति- अब हमें डिनर करके सो जाना चाहिए.

मैं- हम्म.


हम दोनों ने डिनर किया और कमरे में आकर दीप्ति ने लाईट डिम कर दी और हम दोनों सो गए.मैं भी थक चुका था तो एक मीठे से सुकून के साथ सो गया.


आज दीप्ति को पेलने में बहुत मजा आया था.

मुझे उसकी कसी हुई चूत चोदने में ऐसा लगा था मानो आज मेरी सुहागरात थी.


दीप्ति को दर्द जरूर हुआ था लेकिन उसके चेहरे पर भी सुकून था.

वो भी आज खुश थी.

हालांकि उसके हावभाव नजर नहीं आ रहे थे.


करीब रात के तीन बजे के आसपास मेरी नींद अचानक से खुल गई.

कमरे में हल्की सी लाईट जल रही थी तो दीप्ति के सेक्सी फिगर को देखकर मेरा मन डोलने लगा.


दीप्ति मेरी तरह एकदम नग्न अवस्था में सो रही थी जिससे मेरा मूड फिर से बनने लगा.


वह दीप्ति गहरी नींद में सो रही थी मैंने अपना एक हाथ उसके कातिलाना मम्मों पर रख दिया और उसके मम्मों को सहलाने लगा.


मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था.


मम्मों को सहलाने की वजह से दीप्ति भी जाग गई थी.

वो मेरी तरफ देखने लगी कि मैं उसके मम्मों से खेल रहा हूं. वो मेरा हाथ हटाकर मेरी ओर देखने लगी.


दीप्ति- क्या कर रहे हो?

मैं- तुम्हें इस अवस्था में देखकर मेरा फिर से मूड बन गया है.


दीप्ति- इस समय रात के तीन बज रहे हैं … सो जाओ.

मैं- अब नींद आना मुश्किल है, जब तक प्यास ना बुझ जाए.


दीप्ति मेरा कहने का मतलब अच्छी तरह समझ गई थी कि मैं उसकी फिर से लेना चाहता हूं.


दीप्ति- यार मुझे बहुत नींद आ रही है.

मैं- प्लीज!


मैं दीप्ति को राजी करने के लिए उसके होंठों को चूमने लगा और साथ में उसके मम्मों को सहलाता रहा.


दीप्ति- ठीक है, बस इस बार धीमे धीमे करना.

मैं- ठीक है.


दीप्ति- अन्दर अलमारी में प्रोटेक्शन होगा, उसे निकाल लो.

मैंने खड़े होकर अल्मारी खोली और दीप्ति के कहने पर कंडोम ले लिया.

उधर अल्मारी में अब तीन कंडोम बचे थे.


मैंने हल्की सी स्माइल करके लंड पर कंडोम लगाया और वापस बेड पर आ गया.

इस समय दीप्ति रोमांस के मूड में नहीं थी तो बिना देर किए मैं उसके पैर फैलाकर उसके ऊपर चढ़ गया.


दीप्ति मेरी ओर देखने लगी.

मैं चूत पर लंड सैट करके रेडी हो गया और उसकी ओर देखकर धीमे से धक्का लगा दिया.


रात में हुई चुदाई से उसकी चूत खुली थी तो मेरा लंड चूत में आसानी से जरा सा घुस गया.

उसकी कराह निकली- उन्ह.


मैं धीमे धीमे से दीप्ति की चोदने लगा.

दीप्ति भी मदहोश होकर चुदने लगी.जैसे एक औरत मूड ना होने के बावजूद भी अपने पति के लिए चुदने को तैयार हो जाती है, वैसे दीप्ति को नींद आने के बावजूद वो मेरे लिए तैयार हो गई थी.


मैं हल्की रफ्तार से दीप्ति की चोद रहा था और वो कराहती हुई मुझे झेल रही थी.


मानव अभी दूसरे शहर में आराम से सो रहा होगा और इधर में उसकी बीवी की चूत का बाजा बजा रहा था.


दीप्ति- उह उह आह ओह …


दो मिनट तक तो मैं धीमे से चुदाई करता रहा.

लेकिन फिर मेरा जोश बढ़ने लगा और साथ में दीप्ति की कामुक आवाजें भी बढ़ने लगीं.


दीप्ति- उह ओह आह ओह धीरे करो, तुम फिर से तेज हो रहे हो.


मैंने अपनी स्पीड कम कर दी और धीमे धीमे से दीप्ति की चूत को चोदने लगा.


मैं अपनी एक्स-गर्लफ्रेंड को भी पूरे जोश में रगड़ रगड़ कर चोदता था क्योंकि सेक्स के टाइम मेरा जोश दोगुना हो जाता है.


दो मिनट तक मैं यूं ही धीमे धीमे से चुदाई करता रहा लेकिन मुझसे रहा नहीं गया और मैंने फिर से स्पीड बढ़ा दी.

अब मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा और दीप्ति को न चाहते हुए झेलना पड़ रहा था.

उसकी मीठी आवाजें भी बढ़ने लगी थीं.


उसे अंदाजा हो गया था कि चुदाई के टाइम पर मैं पूरे जोश में ठुकाई करता हूँ.


इस बार मैं दीप्ति को बीस मिनट तक चोदता रहा और तेज तेज सांस लेते हुए जड़ तक चूत में लंड पेलने लगा.

कुछ ही क्षण बाद मैं स्खलित हो गया और दीप्ति के ऊपर से हटकर कंडोम को निकाल कर डस्टबिन में फेंक दिया.


झड़ कर मैं दीप्ति के पास लेट गया.


दीप्ति बिना कुछ बोले लेटी थी.

फिर वो खड़ी होकर बाथरूम में चली गई और मैं आराम करने लगा.

मुझे कब नींद आ गई, कुछ पता ही नहीं चला.


सुबह दीप्ति फ्रेश होकर कपड़े पहनकर मुझे उठाने आई.

मैं जाग गया.


दीप्ति- उठ जाओ, सुबह हो चुकी है. तुम फ्रेश हो लो, मैं ब्रेकफास्ट बनाती हूँ.

मैं- ठीक है.


इतना कहकर वो बाहर चली गई और मैं अपने कपड़े लेकर गेस्ट रूम में चला गया.

उधर बाथरूम में जाकर ब्रश करके मैं नहाया और बाहर आकर दूसरे कपड़े पहन लिए.


तभी दीप्ति ने मुझे आवाज दी और मैं बाहर आ गया.

नाश्ते के लिए हम दोनों एक-दूसरे के सामने बैठ गए.


हम दोनों एक-दूसरे को एक अजीब सी नजर से देख रहे थे.

दीप्ति के चेहरे पर शर्म और हल्की सी ख़ुशी नजर आ रही थी.


मैं दीप्ति से कुछ कहने ही वाला था कि वो मुझसे बात करने लगी- देखो आरव, कल रात जो हुआ था, वो हम दोनों की मर्जी से हुआ था. लेकिन मैं एक शादीशुदा औरत हूँ तो कल रात जो हुआ, उससे आगे कुछ नहीं हो सकता. कल की रात हम दोनों के लिए पहली और आखिरी बार था.दीप्ति ने मुझे बोल दिया था कि वो आखिरी बार सेक्स था. हम दोनों के बीच अब आगे कभी सेक्स नहीं होगा.

यह सुनकर मुझे थोड़ा बुरा लगा लेकिन मुझे यह बात माननी थी.

दीप्ति ना ही मेरी गर्लफ्रेंड थी और ना ही मेरी बीवी थी.


मैं- हां, मैं समझ सकता हूँ.

दीप्ति- जिंदगी में कल पहली बार मैंने अपने पति को धोखा दिया है.


मैं- कल रात मुझसे कोई गलती हुई हो तो माफ कर देना.

दीप्ति- अरे नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. वैसे कल रात तुम्हारा स्टेमिना जबरदस्त था … मानना पड़ेगा. जितना कल रात तुमने मुझे तड़पाया था उतना तो मानव ने फर्स्ट नाईट को भी नहीं तड़पाया था.

मैं- अच्छा!


हम दोनों नाश्ता करते हुए बातचीत करते रहे.


फिर दीप्ति को अलविदा कहने का टाइम आ गया.

मैंने अपना बैग लिया और दीप्ति मुझे कार तक छोड़ने के लिए आ गई.


मैंने अपना बैग कार में रख लिया.


मैं- दीप्ति जी, लास्ट टाइम एक किस कर सकता हूं प्लीज!

दीप्ति- यार तुम भी न … चलो ठीक है कर लो.


मैं तुरंत दीप्ति के होंठों पर किस करने लगा और दीप्ति भी मेरा साथ देने लगी.

हम दोनों ने दो मिनट तक किस किया और दीप्ति को अलविदा कहकर मैं अपनी कार में बैठकर निकल गया.


मैं उसके घर से होटल न जाकर सीधे अपनी कम्पनी के काम में जुट गया. जिधर मेरी मीटिंग थी, मैं उधर आ गया.


मीटिंग खत्म करके मैं वापस मुंबई निकल गया.


दीप्ति के साथ वो हसीन रात मेरे लिए हमेशा यादगार रहेगी. दीप्ति ने बोल दिया था कि आगे कुछ नहीं होगा लेकिन उसने ये भी कहा था कि हम दोस्त रह सकते हैं.


दोस्तो दीप्ति के साथ बातचीत जारी रही और मुझे भरोसा है कि इस दोस्ती में दोबारा मुलाकात जरूर होगी.


मुझे आशा है कि आपको यह हॉर्नी Xxx भाभी की चुदाई कहानी जरूर पंसद आई होगी.

मुझे मेल करके जरूर बताएं.

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